17 सफ़रुल-मुज़फ़्फ़र 1444 हिजरी/15 सितंबर 2022 ई.दिन: गुरुवार [सुबह 08 बजे से 02 बजे दोपहर तक]”मदरसा अहले सुन्नत फैज़े जीलानी ठठर का डेर में क़ौमी रहनुमा हज़रत सय्यद गुलाम शाह मटारी बामणोर की सरपरस्ती में ऐक इस्लाही सम्मेलन [जल्सा] “ग़ौषुल आ़लमीन हज़रत ग़ौष बहाउल हक़ बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी अलैहिर्रहमा” के नाम से बहुत ही अ़क़ीदत और एहतिराम के साथ आयोजित किया गया।
इस धार्मिक सम्मेलन [जल्सा-ए-ग़ौषिया] की शुरुआ़त मौलाना अल्हाज मुराद अ़ली के ज़रिया तिलावते कलामे पाक से हुई।
उस के बाद मदरसा फैज़े जीलानी के छात्रों ने नात, ग़ज़ल [सिंधी नात] और संवाद के रूप में अपना धार्मिक [इस्लामिक ] कार्यक्रम प्रस्तुत किया –
फिर ख़तीबे हर दिल अ़ज़ीज़ हज़रत मौलाना जमालुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी,नाएब सदर दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ ने “समाज सुधार में औलिया-ए-किराम की भूमिका” और बुज़ुर्गों से निस्बत व तअ़ल्लुक़… विषय पर एक उत्कृष्ट खिताब [भाषण] किया –
आप के संबोधन [तक़रीर] के बाद ताजुल उ़ल्मा मुफक्किरे क़ौम व मिल्लत हज़रत अ़ल्लामा व मौलाना ताज मोहम्मद साहब सोहरवर्दी ने “दीनी व दुनियावी शिक्षा की जरूरत व अहमियत” विषय पर बेहतरीन व सराहनीय खिताब किया।
आप ने अपने खिताब के ज़रिया क़ौम के लोगों को बहुत ही फिकरी पैग़ाम दिया।
अंत में, पीरे तरीक़त मशहूर धर्मगुरु नूरुल उ़़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ ने विशेष भाषण दिया। .
आप ने अपने संबोधन [खिताब] में धर्मगुरुओं [बुज़ुर्गों] के नाम पर होने वाली इन सभाओं का वास्तविक उद्देश्य समझाया और कहा कि यदि आप सज्जनों, जो धर्म के नाम पर इन सभाओं को आयोजित करते हो, यदि आप वास्तव में उनकी दुआ़एं और फैज़ प्राप्त करना चाहते हो तो आप को उनके धन्य जीवन का अध्ययन कर के उन्हीं की तरह जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए, उनकी बातों, उपदेशों और शिक्षाओं का पालन करना चाहिए। अगर हम और आप उनसे प्यार करने का दावा करते हैं, तो हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके शरीअ़ते इस्लामिया पर अ़मल करें, नेक कार्य करें,बड़ों को सम्मान दें,छोटों से प्यार और नरमी से पेश आएं,नमाज़,रोज़ा,हज व ज़कात की अदायगी पर विशेष ध्यान दें।
इस दीनी प्रोग्राम में मद्दाहे रसूल हज़रत मौलाना क़ारी मोहम्मद जावेद साहब सिकंदरी अनवारी मुदर्रिस: दारुल उ़लूम क़ादरिया अनवारे शाहे जीलाँ देरासर ने विशेष नात-ख्वानी की और क़ारी मोहम्मद अ़ली ने निजामत के कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाया।
इन सज्जनों ने इस धार्मिक [दीनी व मज़हबी] कार्यक्रम में विशेषता के साथ भाग लिया!
उप प्रधान सय्यद शुजा मोहम्मद शाह मटारी, सैयद टोअर शाह , सय्यद अहमद शाह,सय्यद उमेद अ़ली शाह, मौलाना हाजी मुराद अ़ली आरीसर, मौलाना हाजी हारुन साहब,मौलाना मोहम्मद शमीम साहब नूरी,मौलाना बाक़िर हुसैन साहब क़ादरी,मौलाना हाजी इस्हाक़ साहब,क़ारी मोहम्मद अ़ली,मौलाना हाजी मुराद अ़ली इमाम जामा मस्जिद बामणोर,मौलाना अमीन क़ादरी,क़ारी अ़ब्दुल हादी, खलीफा अहमद खान,खलीफा अ़ली खान, मास्टर मोहम्मद यूनुसुस साहब,मास्टर मोहम्मद अशरफ खान, क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी,मौलाना अब्दुल मजीद क़ादरी अनवारी,मौलाना मोहम्मद उ़र्स सिकन्दरी अनवारी आदि।
सलातो सलाम और क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह जल्सा संपन्न हुआ।