मदरसा अहले सुन्नत फैजाने शाह रुकने आ़लम मदीना मस्जिद सलारिया में हर्ष व उल्लास और अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ जल्सा-ए-ग़ौषिया मनाया गया
पिछले वर्षों के अनुसार, मंगलवार, 15 सफ़रुल-मुज़फ़्फ़र 1444 हिजरी/13 सितंबर 2022 ई. “मदरसा अहले सुन्नत फैज़ाने शाह रुकने आ़लम मदीना मस्जिद सलारिया, सेड़़वा” में ऐक इस्लाही सम्मेलन [जल्सा] “ग़ौषुल आ़लमीन हज़रत ग़ौष बहाउल हक़ बहाउद्दीन ज़करिया मुल्तानी अलैहिर्रहमा” के नाम से बहुत ही अ़क़ीदत और एहतिराम के साथ आयोजित किया गया।
इस धार्मिक सम्मेलन [जल्सा-ए-ग़ौषिया] की शुरुआ़त तिलावते कलामे पाक से हुई।
उस के बाद मदरसा फैज़ाने शाह रुकने आ़लम के छात्रों ने नात, ग़ज़ल [सिंधी नात] और संवाद के रूप में अपना धार्मिक [इस्लामिक ] कार्यक्रम प्रस्तुत किया –
फिर ख़तीबे हर दिल अ़ज़ीज़ हज़रत मौलाना जमालुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी,नाएब सदर दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ ने “समाज सुधार में धार्मिक बुजुर्गों की भूमिका” विषय पर एक उत्कृष्ट खिताब [भाषण] किया –
आप के संबोधन [तक़रीर] के बाद शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए-थार हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी सुहरवर्दी नाज़िमे आला दारुल उ़़लूम अनावरे ग़ौषिया सेड़़वा ने “मोहब्बते रसूल व औलिया-ए-किराम” विषय पर बेहतरीन व सराहनीय खिताब किया।
अंत में, पीरे तरीक़त मशहूर धर्मगुरु नूरुल उ़़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ ने विशेष भाषण दिया। .
आप ने अपने संबोधन [खिताब] में धर्मगुरुओं [बुज़ुर्गों] के नाम पर होने वाली इन सभाओं का वास्तविक उद्देश्य समझाया और कहा कि यदि आप सज्जनों, जो धर्म के नाम पर इन सभाओं को आयोजित करते हो, यदि आप वास्तव में उनकी दुआ़एं और फैज़ प्राप्त करना चाहते हो तो आप को उनके धन्य जीवन का अध्ययन कर के उन्हीं की तरह जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए, उनकी बातों, उपदेशों और शिक्षाओं का पालन करना चाहिए। अगर हम और आप उनसे प्यार करने का दावा करते हैं, तो हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके शरीअ़ते इस्लामिया पर अ़मल करें, नेक कार्य करें,बड़ों को सम्मान दें,छोटों से प्यार और नरमी से पेश आएं,नमाज़,रोज़ा,हज व ज़कात की अदायगी पर विशेष ध्यान दें।
इस दीनी प्रोग्राम में मौलाना मुहम्मद उर्स सिकंदरी अनवारी ने विशेष नात-ख्वानी की और मौलाना मुहम्मद रियाजुद्दीन सिकन्दरी अनवारी ने निजामत के कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाया।
इन सज्जनों ने इस धार्मिक [दीनी व मज़हबी] कार्यक्रम में विशेषता के साथ भाग लिया!
हज़रत पीर सय्यद दावान शाह बुखारी, हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम साहब नूरी मिस्बाही, हज़रत मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा,, क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी, क़ारी मुहम्मद हाशिम अनवारी आदि।
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