रिपोर्ट:(मौलाना)अ़ली मोहम्मद क़ादरी अनवारी…मुदर्रिस:मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भूणी का पार,तहसील:गडरा रोड,ज़िला:बाड़मेर [राजस्थान
मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भूणी का पार,गडरा रोड में एक दीनी व इस्लाही मिटिंग
22 ज़िल क़अ़दा 1443 हिजरी / 23 जून 2022 ؛ दिन: गुरुवार [खमीस] को इलाक़ा-ए-थार की अ़ज़ीम व मुम्ताज़ दीनी व तरबियती दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ” की तअ़लीमी शाख “मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भुणी का पार,तहसील:गडरा रोड,ज़िला:बाड़मेर” में पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़िल्लहुल आ़ली मुहतमिम व शैखुल हदीष दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा व सज्जादा नशीन खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया सेहलाऊ शरीफ की सरपरस्ती में मुन्अ़क़िद हुई।
वाज़ेह रहे कि यह मिटिंग दारुल उ़लूम के अरकान की तहरीक और दारुल उ़लूम की तअ़लीमी शाख “मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भुणी का पार ” के ज़िम्मेदारों बिल खुसूस फक़ीर अ़ली मोहम्मद क़ादरी अनवारी मुदर्रिस मदरसा हाज़ा की दरख्वास्त व गुज़ारिश पर दारुल उ़लूम की मज़कूरा तअ़लीमी शाख में तअ़लीमी व तअ़मीरी मैदान में बेहतरी व सुधार लाने और लोगों के दिलों में दीनी तअ़लीम की अहमियत व फज़ीलत और दीनी जज़्बा पैदा करने खास तौर पर मस्जिद व मदरसा को बा क़ाइदा आबाद करने की खातिर मुन्अ़क़िद की गई थी।
इस मज्लिस की शुरुआ़त हज़रत मौलाना मोहम्मद दाएम साहब अनवारी के ज़रिआ़ तिलावते कलामे रब्बानी से हुई,बादहु मोलवी अबू बकर अनवारी मुतअ़लल्लिम दरजा-ए- फज़ीलत दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा ने बारगाहे नबवी صلی اللہ علیہ وسلم में नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।
फिर दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के नाज़िमे तअ़लीमात हज़रत मौलाना मोहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही ने लोगों के सामने इस दीनी व इस्लाही मिटींग के अग़्राज़ व मक़ासिद को बयान करते हुए लोगों को अपनी आबादी की मस्जिद व मदरसा को बाज़ाब्ता आबाद करने और उस की मज़ीद तअ़मीर व तरक़्क़ी की तरफ ध्यान देने की ताकीद की,और साथ ही साथ आप ने “इल्मे दीन के हुसूल की अहमियत, फज़ीलत व ज़रूरत” के उ़न्वान पर मुख्तसर खिताब भी किया।
आखिर में सरपरस्ते मज्लिस नूरुल उ़ल्मा रहबरे क़ौम व मिल्लत शैखे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़िल्लहुल आ़ली ने सभी शुरका-ए-मज्लिस को अपने नासिहाना खिताब से नवाज़ा,आप ने अपनी नसीहतों के दौरान खुसूसियत के साथ इन बातों पर ज़ोर दिया।
★आप हज़रात ईमान की पुख्तगी के साथ ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करने की कोशिश करें।
★आपस में इत्तिहाद व इत्तिफाक़ और भाई चारा क़ाइम रखें,क्यों की “इत्तिफाक़ ज़िंदगी है और इख्तिलाफ मौत”-
★अपने बच्चों के दीनी व दुनियावी तअ़लीम पर खुसूसी तवज्जोह दें बिल खुसूस दीनी तअ़लीम पर,और तअ़लीम के साथ बचपन से ही उन की अच्छी तरबियत पर भी खुसूसी तवज्जोह दें, क्यों कि बच्चों की तरबियत पर ध्यान देना इन्तिहाई ज़रूरी है, बहुत से लोग यह कह दिया करते हैं कि जब बच्चा बड़ा हो जाएगा तो खुद ही ठीक हो जाएगा,जब कि सहीह और तजरबा की बात यह है कि जो बच्चा बचपन में तमीज़ नही सीखता वह बड़ा हो कर भी जल्दी तमीज़ नही सीख पाता,अगर बच्चों को बचपन से ही अच्छी तअ़लीम व तरबियत दी जाए तो वोह बड़े हो कर अच्छी ज़िंदगी बसर करेंगे और एैसे बच्चे समाज व मुल्क के लिए फाइदा मंद साबित होंगे,इस लिए हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को बचपन से ही दीन की तरफ बिल खुसूस दीनी तअ़लीम की तरफ राग़िब व माइल करें,क्यों कि सभी माँ बाप और गारजियन के लिए यह लाज़िम व ज़रूरी है कि वोह अपने बच्चों की अच्छी तरबियत करें, उन्हें अच्छा इंसान बनाएं,उन की अच्छी तअ़लीम व तरबियत का इंतिज़ाम करें खास तौर पर बुनियादी दीनी तअ़लीम व तरबियत से ज़रूर आरास्ता करें-इस के लिए अल्हम्दुलिल्लाह आप हज़रात ने अपनी आबादी [गाँव] में एक अच्छे मकतब व मदरसा का क़याम किया है,माशाअल्लाह इस मदरसे में तल्बा व तालिबात [पढ़ने वाले बच्चे व बच्चियों] की अच्छी तअ़दाद है जो अपने आप को तअ़लीम व तरबियत से आरास्ता करने में मशग़ूल व मसरुफ हैं-
आप ने दौराने नसीहत यह भी फरमाया कि आप हज़रात अपनी आबादी की मस्जिद व मदरसा और उन के इमाम व मुदर्रिस पर खुसूसी ध्यान दें, नमाज़े पंजगाना के पाबंद बनें और दोसरे इस्लामी भाइयों को भी नमाज़ व दीगर अरकाने इस्लाम की जहाँ तक हो सके अपने हैसियत के मुताबिक़ दावते खैर दें,अपने गाँव में दीनी व इस्लामी माहौल क़ाइम करें,अपने मस्जिद के इमाम व मदरसा के मुदर्रिस की खूब खूब खिदमत करें,उन की इज़्ज़त अफ्ज़ाई करें,हर तरह से उन का भर पूर ख्याल रखते हुए बराबर मस्जिद व मदरसा की खबर गीरी करते रहें,और मदरसा के लिए कम से कम एक कुशादा हाॅल और अपने मुदर्रिस की रिहाइश के लिए एक अच्छे कमरे की तअ़मीर करवाने की ज़रूर कोशिश करें,आपस में इत्तिफाक़ व इत्तिहाद का मुज़ाहरा करें और मस्जिद व मदरसा के मुआ़मले में किसी भी तरह की दुनियावी सियासत से दूर रहें,दीनी कामों में सब लोग भाई भाई बन कर जोश व जज़्बा के साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें,मस्जिद व मदरसा में खर्च किया हुवा आप का माल सदक़ा-ए- जारिया की हैसियत रखता है,इस लिए अपनी आखिरत की भलाई के लिए मस्जिद व मदरसा की तअ़मीर व तरक़्क़ी में जिस क़दर ज़्यादा से ज़्यादा हो सके हिस्सा लें,दीनी तअ़लीम के साथ दुनियावी तअ़लीम के हुसूल पर भी खूह खूब तवज्जोह दें,अपने बच्चों को दुनियावी एतबार से भी अ़सरी तअ़लीम के ज़रिआ़ आला पोस्टों पर फाइज़ करने की कोशिश करें, …आप ने इस तरह की बहुत सी मुफीद बातें और बेहतर मशवरे लोगों के सामने रखे……जिस पर लोगों ने अ़मल करने की यक़ीन दहानी कराई…आखिरी कलिमात में आप ने अ़वामे अहले सुन्नत बिल खुसूस मदरसा के ज़िम्मेदारान व मदरसे के मुदर्रिस को मुखातब कर के फरमाया कि दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा की जो पूरे इलाक़ा-ए-थार में 80 तअ़लीमी शाखें चल रही हैं हम उन शाखों की कामियाबी उस वक़्त तसव्वुर करते हैं जब उन मकातिब के मुदर्रिसीन अपने मकतब से नाज़रा क़ुरआन और ज़रूरी उ़र्दू वग़ैरह पढ़ा कर साल ब साल कुछ बच्चों को दारुल उ़लूम में हिफ्ज़ व क़िरात या अ़ालिमिय्यत का कोर्स करने के लिए दारुल में दाखिला करवाते हैं,इस लिए आप से भी गुज़ारिश है कि आप सालाना कुछ होनहार तल्बा को इस लाइक़ ज़रूर बनाएं कि वोह दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा में दाखिला ले कर हाफिज़ व क़ारी या आ़लिमे दीन बन सकें…
अल्हम्दुलिल्लाह!दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ में जहाँ हिफ्ज़ व क़िरात और आ़लिम व फाज़िल तक की बा ज़ाब्ता पढ़ाई का नज़्म व नस्क़ है वहीं साथ ही साथ दसवीं क्लास [हाॅई स्कूल] तक अ़सरी तअ़लीम का भी बंदो बस्त है,और इंशा अल्लाह जल्द ही बारहवीं कल्लास तक की मंज़ूरी राजस्थान हुकूमत की तरफ से मिल जाएगी-
अल्हम्दुलिल्लाह:यह मज्लिसे मुशावरत [इस्लाही मिटिंग] उम्मीद से ज़्यादा कामियाब रही,गाँव के लोगों ने जोश व जज़्बा और खुलूस व मुहब्बत का खूब खूब इज़हार किया।
इस मज्लिस में उ़ल्मा-ए-किराम के इलावा यह हज़रात खुसूसियत के साथ शरीक हुए।
जनाब मोहम्मद एहसान वल्द बचल खान,मोहम्मद रमज़ान वल्द जलालुद्दीन,मोहम्मद अमीन,हाजी अ़ब्दुर्रहीम,मास्टर मोहम्मद यूनुस,मास्टर अ़ब्दुल मलूक,मोहम्मद अमीन वल्द बचल खान,मुरीद खान वल्द अ़ब्दुर्रहीम ,मोहम्मद एसान वल्द अ़:हकीम, व मोहम्मद अमीन वल्द अ़ब्दुल हकीम वग़ैरहुम……
सलातो सलाम और क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।
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