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Category बाड़मेर राजस्थान

सेहलाऊ शरीफ में हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया 76 वाँ स्वतंत्रा दिवस

रिपोर्टर:बाक़िर हुसैन क़ादरी बरकाती अनवारी।खादिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा पच्छमाई नगर,सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया,तह:रामसर,ज़िला:बाड़मेरराजस्थान

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इलाक़ा-ए-थार की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा दरगाह हज़रत पीर सय्यद हाजी आ़ली शाह बुखारी पच्छमाई नगर,सेहलाऊ शरीफ में जश्ने यौमे आज़ादी [स्वतंत्रा दिवस] जोश व जज़्बा के साथ मनाया गया।
सब से पहले “ध्वजारोहण” हज़रत पीर सय्यद दावन शाह बुखारी के हाथों किया गया।
फिर दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के बच्चों द्वारा क़ौमी व वतनी तराने पढ़े गए,उस के बाद मुख्य अतिथि नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी व हज़रत मौलाना मोहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही ने बच्चों के ज़रिया पेश किये जाने वाले प्रेड का निरीक्षण किया और दारुल उ़लूम के कई बच्चों ने हिंदी,उर्दू व अंग्रेज़ी भाषा में देश की आज़ादी के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले जाँबाज़ों के बारे में लोगों को संबोधित किया।
प्रोग्राम का संचालन अनवारे मुस्तफा माध्यमिक विद्यालय सेहलाऊ शरीफ के प्रधानाचार्य मास्टर मोहम्मद यूनुस खान साहब व मास्टर अहमद रजा ने कीॆ-
आखिर में हज़रत पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी ने लोगों को मुजाहिदीने आज़ादी और देश से मुहब्बत करने के बारे में खिताब करने के साथ सभी लोगों को 76 वें स्वतंत्रा दिवस की मुहारकबाद पेश की।
फिर अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत तिरंगे के साथ शांदार रैली निकाली गई।
बच्चों के रंगारंग कार्यक्रम ने सब का मन मोह लिया।
इस जश्ने आज़ादा में शरीक सभी लोगों का शान्दार मिठाइयों से मुंह मीठा किया गया, और लोगों ने एक दोसरे को यौमे आज़ादा की मुबारकबाद पेश की-
दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा शिक्षण संस्थान के प्रबंधक पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की तरफ से प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाले सभी बच्चों को इन्आ़म व इकराम से नवाज़ा गया।
इस प्रोग्राम में विशेष तौर पर यह हज़रात उपस्थित रहे।
हज़रत मौलाना दिलावर हुसैन साहब क़ादरी सदर मुदर्रिस:दारुल उ़लूम हाज़ा,पीर सय्यद ग़ुलाम मोहम्मद शाह बुखारी,सय्यद ज़मन अ़ली शाह बुखारी,मौलाना सय्यद जान मोहम्मद शाह बुखारी,सय्यद मेहर अ़ली शाह बुखारी,हज़रत मौलाना हबीबुल्लाह क़ादरी अनवारी,हज़रत मौलाना खैर मोहम्मद क़ादरी अनवारी,हज़रत मौलाना जमालुद्दीन क़ादरी अनवारी, हज़रत मौलाना अ़ब्दुर्रऊफ जामई, हज़रत मौलाना अ़ब्दुस्सुब्हान मिस्बाही, मौलाना इल्मुद्दीन साहब अनवारी,मौलाना इस्लामुद्दीन साहब अनवारी,मौलाना अ़ब्दुल हलीम क़ादरी अनवारी,हाफिज़ व क़ारी बरकत अ़ली क़ादरी,मौलाना हकीम सिकन्दर अ़ली अनवारी,हाफिज़ क़मरुद्दीन क़ादरी अनवारी,क़ारी अरबाब अ़ली अनवारी,मौलाना मोहम्मद उ़र्स सिकन्दरी अनवारी,मास्टर शेर मोहम्मद खान,मास्टर मोहम्मद इस्हाक़ खान, मास्टर ताहिर साहब सेहता,मास्टर मक़बूल खान,मास्टर मोहम्मद सुलेमान,मास्टर मुरीद साहब वग़ैरहुम…

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अपने बच्चों की तअ़लीम व तरबियत पर ध्यान दें:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी

रिपोर्ट:(मौलाना)अ़ली मोहम्मद क़ादरी अनवारी…मुदर्रिस:मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भूणी का पार,तहसील:गडरा रोड,ज़िला:बाड़मेर [राजस्थान

मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भूणी का पार,गडरा रोड में एक दीनी व इस्लाही मिटिंग

22 ज़िल क़अ़दा 1443 हिजरी / 23 जून 2022 ؛ दिन: गुरुवार [खमीस] को इलाक़ा-ए-थार की अ़ज़ीम व मुम्ताज़ दीनी व तरबियती दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ” की तअ़लीमी शाख “मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भुणी का पार,तहसील:गडरा रोड,ज़िला:बाड़मेर” में पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़िल्लहुल आ़ली मुहतमिम व शैखुल हदीष दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा व सज्जादा नशीन खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया सेहलाऊ शरीफ की सरपरस्ती में मुन्अ़क़िद हुई।

वाज़ेह रहे कि यह मिटिंग दारुल उ़लूम के अरकान की तहरीक और दारुल उ़लूम की तअ़लीमी शाख “मदरसा फैज़ाने गुल मोहम्मद शाह जीलानी भुणी का पार ” के ज़िम्मेदारों बिल खुसूस फक़ीर अ़ली मोहम्मद क़ादरी अनवारी मुदर्रिस मदरसा हाज़ा की दरख्वास्त व गुज़ारिश पर दारुल उ़लूम की मज़कूरा तअ़लीमी शाख में तअ़लीमी व तअ़मीरी मैदान में बेहतरी व सुधार लाने और लोगों के दिलों में दीनी तअ़लीम की अहमियत व फज़ीलत और दीनी जज़्बा पैदा करने खास तौर पर मस्जिद व मदरसा को बा क़ाइदा आबाद करने की खातिर मुन्अ़क़िद की गई थी।

इस मज्लिस की शुरुआ़त हज़रत मौलाना मोहम्मद दाएम साहब अनवारी के ज़रिआ़ तिलावते कलामे रब्बानी से हुई,बादहु मोलवी अबू बकर अनवारी मुतअ़लल्लिम दरजा-ए- फज़ीलत दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा ने बारगाहे नबवी صلی اللہ علیہ وسلم में नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।

फिर दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के नाज़िमे तअ़लीमात हज़रत मौलाना मोहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही ने लोगों के सामने इस दीनी व इस्लाही मिटींग के अग़्राज़ व मक़ासिद को बयान करते हुए लोगों को अपनी आबादी की मस्जिद व मदरसा को बाज़ाब्ता आबाद करने और उस की मज़ीद तअ़मीर व तरक़्क़ी की तरफ ध्यान देने की ताकीद की,और साथ ही साथ आप ने “इल्मे दीन के हुसूल की अहमियत, फज़ीलत व ज़रूरत” के उ़न्वान पर मुख्तसर खिताब भी किया।

आखिर में सरपरस्ते मज्लिस नूरुल उ़ल्मा रहबरे क़ौम व मिल्लत शैखे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़िल्लहुल आ़ली ने सभी शुरका-ए-मज्लिस को अपने नासिहाना खिताब से नवाज़ा,आप ने अपनी नसीहतों के दौरान खुसूसियत के साथ इन बातों पर ज़ोर दिया।
★आप हज़रात ईमान की पुख्तगी के साथ ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करने की कोशिश करें।
★आपस में इत्तिहाद व इत्तिफाक़ और भाई चारा क़ाइम रखें,क्यों की “इत्तिफाक़ ज़िंदगी है और इख्तिलाफ मौत”-
★अपने बच्चों के दीनी व दुनियावी तअ़लीम पर खुसूसी तवज्जोह दें बिल खुसूस दीनी तअ़लीम पर,और तअ़लीम के साथ बचपन से ही उन की अच्छी तरबियत पर भी खुसूसी तवज्जोह दें, क्यों कि बच्चों की तरबियत पर ध्यान देना इन्तिहाई ज़रूरी है, बहुत से लोग यह कह दिया करते हैं कि जब बच्चा बड़ा हो जाएगा तो खुद ही ठीक हो जाएगा,जब कि सहीह और तजरबा की बात यह है कि जो बच्चा बचपन में तमीज़ नही सीखता वह बड़ा हो कर भी जल्दी तमीज़ नही सीख पाता,अगर बच्चों को बचपन से ही अच्छी तअ़लीम व तरबियत दी जाए तो वोह बड़े हो कर अच्छी ज़िंदगी बसर करेंगे और एैसे बच्चे समाज व मुल्क के लिए फाइदा मंद साबित होंगे,इस लिए हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को बचपन से ही दीन की तरफ बिल खुसूस दीनी तअ़लीम की तरफ राग़िब व माइल करें,क्यों कि सभी माँ बाप और गारजियन के लिए यह लाज़िम व ज़रूरी है कि वोह अपने बच्चों की अच्छी तरबियत करें, उन्हें अच्छा इंसान बनाएं,उन की अच्छी तअ़लीम व तरबियत का इंतिज़ाम करें खास तौर पर बुनियादी दीनी तअ़लीम व तरबियत से ज़रूर आरास्ता करें-इस के लिए अल्हम्दुलिल्लाह आप हज़रात ने अपनी आबादी [गाँव] में एक अच्छे मकतब व मदरसा का क़याम किया है,माशाअल्लाह इस मदरसे में तल्बा व तालिबात [पढ़ने वाले बच्चे व बच्चियों] की अच्छी तअ़दाद है जो अपने आप को तअ़लीम व तरबियत से आरास्ता करने में मशग़ूल व मसरुफ हैं-

आप ने दौराने नसीहत यह भी फरमाया कि आप हज़रात अपनी आबादी की मस्जिद व मदरसा और उन के इमाम व मुदर्रिस पर खुसूसी ध्यान दें, नमाज़े पंजगाना के पाबंद बनें और दोसरे इस्लामी भाइयों को भी नमाज़ व दीगर अरकाने इस्लाम की जहाँ तक हो सके अपने हैसियत के मुताबिक़ दावते खैर दें,अपने गाँव में दीनी व इस्लामी माहौल क़ाइम करें,अपने मस्जिद के इमाम व मदरसा के मुदर्रिस की खूब खूब खिदमत करें,उन की इज़्ज़त अफ्ज़ाई करें,हर तरह से उन का भर पूर ख्याल रखते हुए बराबर मस्जिद व मदरसा की खबर गीरी करते रहें,और मदरसा के लिए कम से कम एक कुशादा हाॅल और अपने मुदर्रिस की रिहाइश के लिए एक अच्छे कमरे की तअ़मीर करवाने की ज़रूर कोशिश करें,आपस में इत्तिफाक़ व इत्तिहाद का मुज़ाहरा करें और मस्जिद व मदरसा के मुआ़मले में किसी भी तरह की दुनियावी सियासत से दूर रहें,दीनी कामों में सब लोग भाई भाई बन कर जोश व जज़्बा के साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें,मस्जिद व मदरसा में खर्च किया हुवा आप का माल सदक़ा-ए- जारिया की हैसियत रखता है,इस लिए अपनी आखिरत की भलाई के लिए मस्जिद व मदरसा की तअ़मीर व तरक़्क़ी में जिस क़दर ज़्यादा से ज़्यादा हो सके हिस्सा लें,दीनी तअ़लीम के साथ दुनियावी तअ़लीम के हुसूल पर भी खूह खूब तवज्जोह दें,अपने बच्चों को दुनियावी एतबार से भी अ़सरी तअ़लीम के ज़रिआ़ आला पोस्टों पर फाइज़ करने की कोशिश करें, …आप ने इस तरह की बहुत सी मुफीद बातें और बेहतर मशवरे लोगों के सामने रखे……जिस पर लोगों ने अ़मल करने की यक़ीन दहानी कराई…आखिरी कलिमात में आप ने अ़वामे अहले सुन्नत बिल खुसूस मदरसा के ज़िम्मेदारान व मदरसे के मुदर्रिस को मुखातब कर के फरमाया कि दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा की जो पूरे इलाक़ा-ए-थार में 80 तअ़लीमी शाखें चल रही हैं हम उन शाखों की कामियाबी उस वक़्त तसव्वुर करते हैं जब उन मकातिब के मुदर्रिसीन अपने मकतब से नाज़रा क़ुरआन और ज़रूरी उ़र्दू वग़ैरह पढ़ा कर साल ब साल कुछ बच्चों को दारुल उ़लूम में हिफ्ज़ व क़िरात या अ़ालिमिय्यत का कोर्स करने के लिए दारुल में दाखिला करवाते हैं,इस लिए आप से भी गुज़ारिश है कि आप सालाना कुछ होनहार तल्बा को इस लाइक़ ज़रूर बनाएं कि वोह दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा में दाखिला ले कर हाफिज़ व क़ारी या आ़लिमे दीन बन सकें…

अल्हम्दुलिल्लाह!दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ में जहाँ हिफ्ज़ व क़िरात और आ़लिम व फाज़िल तक की बा ज़ाब्ता पढ़ाई का नज़्म व नस्क़ है वहीं साथ ही साथ दसवीं क्लास [हाॅई स्कूल] तक अ़सरी तअ़लीम का भी बंदो बस्त है,और इंशा अल्लाह जल्द ही बारहवीं कल्लास तक की मंज़ूरी राजस्थान हुकूमत की तरफ से मिल जाएगी-

अल्हम्दुलिल्लाह:यह मज्लिसे मुशावरत [इस्लाही मिटिंग] उम्मीद से ज़्यादा कामियाब रही,गाँव के लोगों ने जोश व जज़्बा और खुलूस व मुहब्बत का खूब खूब इज़हार किया।

इस मज्लिस में उ़ल्मा-ए-किराम के इलावा यह हज़रात खुसूसियत के साथ शरीक हुए।
जनाब मोहम्मद एहसान वल्द बचल खान,मोहम्मद रमज़ान वल्द जलालुद्दीन,मोहम्मद अमीन,हाजी अ़ब्दुर्रहीम,मास्टर मोहम्मद यूनुस,मास्टर अ़ब्दुल मलूक,मोहम्मद अमीन वल्द बचल खान,मुरीद खान वल्द अ़ब्दुर्रहीम ,मोहम्मद एसान वल्द अ़:हकीम, व मोहम्मद अमीन वल्द अ़ब्दुल हकीम वग़ैरहुम……

सलातो सलाम और क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।

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अल्लाह के बंदों तक दीन का पैगाम पहुंचाना और उन्हें अल्लाह से जोड़़ना ओलिया-ए-किराम का असल मिशन:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी


आचाराणियों की ढाणी,उंद्रोड़ में हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्रहमा की याद में “जल्सा-ए-सरवरी” मनाया गया।

(उंद्रोड़,बाड़मेर,राजस्थान) 31/मई 2022 ईस्वी मंगलवार को जुम्ला मुसलमानाने अहले सुन्नत बिलखुसूस “सरवरी जमाअ़त” आचाराणियों की ढाणी,उंद्रोड़ की जानिब से हज़रत मख्दूम शाह लुत्फुल्लाह अल मअ़रूफ हज़रत मख्दूम नूह सरवर हालाई अ़लैहिर्रहमा की याद में “जल्सा-ए- सरवरी” इन्तिहाई अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ मनाया गया-
इस जल्से की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से की गई, बादहू दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के कुछ होनहार तल्बा ने यके बाद दीगरे लोगों के सामने नअ़त व मन्क़बत और दीनी व इस्लाही मौज़ूअ़ पर तक़ारीर पेश कीं,लोगों ने बच्चों की दाद व दहिश के ज़रिया खूब हौसला अफज़ाई की, जब कि खुसूसी नअ़त ख्वाँ की हैषियत से वासिफे शाहे हुदा हज़रत क़ारी अ़ताउर्रहमान साहब क़ादरी अनवारी जोधपुर ने भी नअ़त व मन्क़बत ख्वानी का शर्फ हासिल किया।

फिर रीवड़ी बाड़मेर से तशरीफ लाए हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद पठान साहब सिकन्दरी ने “नमाज़ और औलिया-ए-किराम की तअ़लीमात” के उ़न्वान पर बहुत ही नासिहाना और उ़म्दा खिताब किया।

आखिर में इस जलसे के खुसूसी खतीब व सरपरस्त नूरुल उ़़ल्मा पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा व सज्जादा नशीन:खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया सेहलाऊ शरीफ ने कम वक़्तों मे इन्तिहाई जामेअ़, नसीहतों से पुर और दुआ़ईया कलिमात से नवाज़ा।
आप ने अपने खिताब में फरमाया कि “बिला शुब्हा किसी भी बुज़ुर्ग की याद मनाने और उन की रुह को ईसाले षवाब व बुलंदी-ए-दरजात की दुआ़ करने के लिए उन के मुहिब्बीन [चाहने वालों] व मुरीदीन और मुअ़तक़िदीन वग़ैरह का उन के नाम की जानिब निस्बत करते हुए नेक मज्लिसों का इन्इक़ाद करना व सजाना और एैसी मज्लिसों में ज़िक्रुल्लाह,नअ़्त ख्वानी और क़ुरआने पाक की तिलावत, उ़ल्मा-ए-दीन के ज़रिया वअ़ज़ व नसीहत और अल्लाह व रसूल के अहकाम व फरमूदात और बुज़ुर्गाने दीन के हालात व खिदमात पर मुश्तमिल बयानात और इस के एलावा दोसरे नेक काम कर के उन को जो ईसाले षवाब किया जाता है वोह जाइज़ व मुस्तहसन है…क्यो कि इस तरह से बुज़ुर्गाने दीन की याद गीरी करने का असल मक़्सद उन को ईसाले षवाब करने के साथ एैसी नेक मज्लिसों के ज़रिया लोगों तक अल्लाह व रसूल और बुज़ुर्गाने दीन के पैग़ामात को लोगों तक पहुंचाना और लोगों को दीन व शरीअ़त के क़रीब करना,और लोगों के अंदर दीनी जज़्बा बेदार करना होता है।
आप ने अपने खिताब के दौरान क़ौम को मुखातब कर के इख्तिसार के साथ हज़रत मख्दूम नूह सरवर हालाई अ़लैहिर्रहमा के हालाते ज़िंदगी को भी कुछ इस तरह बयान फरमाया कि “आप हज़रात ने जिस बुज़ुर्ग की याद में इस महफिल का इन्इक़ाद किया है वोह हज़रत मख्दूम नूह सरवर हालाई अ़लैहिर्रहमा हैं,जिन का शुमार बिला शुब्हा सरज़मीने सिंध के मशहूर व मअरूफ और बुज़ुर्ग सूफिया में होता है-
आप का नामे नामी इस्मे ग्रामी शाह लुत्फुल्लाह और लक़ब मख्दूम नूह सरवर और वालिदे ग्रामी का नाम हज़रत नेअ़मतुल्लाह शाह है-आप का सिलसिला-ए-नसब हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआ़ला अ़न्हु से जा मिलता है-आप के जद्दे आला शैख अबू बकर बूबक ज़िला दादू के मक़ाम पर आबाद हुए-
हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्रहमा की विलादते बा सआ़दत[पैदाइश] 27 रमज़ानुल मुबारक 911 हिजरी बरोज़ जुम्आ़ मुबारका सूबा-ए-सिंध के मौजूदा मटियारी ज़िला के शहर व तअ़ल्लुक़ा [तहसील] हाला में हुई-
अल्लाह तआ़ला ने आप को इल्मे लदुन्नी से मालामाल फरमाया था,आप का शुमार सिंध के सरकरदा औलिया-ए-किराम में होता है-आप हर शख्स से उस के हस्बे हाल गुफ्तगू फरमाते और बर महल व बरजस्ता क़ुरआनी आयतों से इस्तिदलाल फरमाते-क़ुरआन मजीद के मआ़नी व मतालिब [तौज़ीह व तशरीह] इस अंदाज़ से बयान फरमाते कि बड़े बड़े उ़़ल्मा भी दम ब खुद [हैरान] रह जाते-बुज़ुर्गाने दीन के हालात और उन से मुतअ़ल्लिक़ बातों का ज़िक्र एैसे पुर ताषीर अंदाज़ में करते कि सामईन को रुजूअ़ इलल्लाह की दौलत हासिल हो जाती-
आप की करामतैं बचपन से ही ज़ाहिर होने लगीं थीं जिन से आप का मादर ज़ाद [पैदाइशी] वली होना षाबित हो गया था,…बुज़ुर्गों से मन्क़ूल है कि पैदाइश के सातवीं दिन क़रीब की मस्जिद से अज़ान की आवाज़ आई, उस वक्त आप झूले में आराम कर रहे थे, जब अज़ान खतम हुई तो आप ने फसीह व बलीग़ अ़रबी ज़बान में कहा نعم لااله الاالله ولا نعبد الااياه مخلصين له الدين
ऐक मरतबा हुज़ूर ग़ौषे पाक रदियल्लाहु तआ़ला अ़न्हु की औलाद में से ऐक बुज़ुर्ग आप के पास आए और कहा कि मैं आप को इजाज़त व खिलाफत देने और फाइदा पहुंचाने के लिए आया हूं, और मैं इल्मे कीमिया भी जानता हूं अगर आप कहें तो आप को इल्मे कीमिया भी सिखा सकता हूं, जो शायद किसी वक़्त आप के काम आए-आप ने जवाब में फरमाया: कि जिस दिन से मैं बारगाहे नबवी से मुशर्रफ हुवा हूं दुनिया की हविस दिल से निकल गई है,यह कह कर आप ने ऐक दिरहम मंगवाया और उस पर मिट्टी मल दी तो वह बिलकुल खरा सोना बन गया”-
हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्हमा का विसाल 87 साल की उ़म्र में 27 ज़ुलक़अ़दा 988 हिजरी ब मुताबिक़ 02 जनवरी 1581 ईस्वी को हुवा-

अब्रे रहमत उन की मरक़द पर गोहर बारी करे।
हश्र तक शाने करीमी नाज़ बरदारी करे।

आप का मज़ारे पुर अनवार हाला शरीफ में ज़ियारत गाहे आ़म व खास है।
हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्हमा की हयात व खिदमात पर इस तरह बिल इख्तिसार रोशनी डालते हुए आप ने सभी शुरका-ए-जल्सा को मुखातब कर के फरमाया कि “दुनिया में जितने भी अल्लाह के नेक बंदे या औलियाअल्लाह गुज़रे हैं उन का असल मिशन और मक़सद अल्लाह के बंदों को अल्लाह से जोड़ना,दीन और शरीअ़ते इस्लामिया पर लोगों को कारबंद होने की ताकीद व तल्क़ीन करना ही रहा है-इस लिए हम सभी लोगों को चाहिए कि हम बुज़ुर्गाने दीन की तअ़लीमात पर अ़मल पैरा हों,यही बुज़ुर्गाने दीन के नामों से मज्लिसों के इन्इक़ाद का असल मक़्सद व हदफ है”-
इस दीनी प्रोग्राम में खुसूसियत के साथ यह हज़रात शरीक हुए।
★हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही नाज़िमे तअ़लीमात:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,☆हज़रत मौलाना बाक़िर हुसैन साहब क़ादरी बरकाती अनवारी,★मौलाना अ़ताउर्हमान साहब क़ादरी अनवारी नाज़िमे आला मदरसा क़ादरिया फैज़े जीलानी मेकरन वाला,★मौलाना फिरोज़ रज़ा साहब रतनपुरी आचारियों की ढाणी,☆मौलाना मुहम्मद हमज़ा क़ादरी अनवारी सोलंकिया,★क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी, ☆मौलाना मुहम्मद उ़र्स सिकन्दरी, ★मौलाना फतेह मुहम्मद साहब सरपंच,☆मौलाना निहालुद्दीन साहब अनवारी आसाड़ी,★मास्टर शेर मुहम्मद खान साहब☆जनाब मुहम्मद उ़र्स खान,★जनाब अ:लतीफ खान,☆जनाब मुहम्मद अमीन खान,★जनाब जमाल खान,☆जनाब ग़ुलाम खान,☆जनाब वरियाम खान वग़ैरहुम।

सलातो सलाम और नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह जल्सा समाप्त हुवा।

रिपोर्टर:(मौलाना)हबीबुल्लाह क़ादरी अनवारी।
आफिस इंचार्ज:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा दरगाह हज़रत पीर सय्यद हाजी आ़ली शाह बुखारी,पच्छमाई नगर,सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया [तह:रामसर] ज़िला:बाड़मेर [राज:]

सेहलाऊ शरीफ में “जश्ने इफ्तिताहे बुखारी” मनाया गया।

हर साल की तरह इसाल भी इलाक़ा-ए-थार की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,गरडिया,ज़िला: बाड़मेर,राजस्थान” की अ़ज़ीमुश्शान “ग़रीब नवाज़ मस्जिद” में 26 शव्वाल 1443 हिजरी/28 मई 2022 ईस्वी शनिवार को इन्तिहाई अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ “जश्ने इफ्तिताहे बुखारी शरीफ” का प्रोग्राम नूरुल उ़़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की क़यादत व सरपरस्ती में हुवा।
प्रोग्राम की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बाने से हुई।

बादहु दारुल उ़़लूम के कई तल्बा ने बारगाहे रसूल صلی اللہ علیہ وسلمमें नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।

फिर दारुल के मुदर्रिस हज़रत मौलाना खैर मुहम्मद साहब क़ादरी अनवारी ने इस प्रोग्राम में तशरीफ लाए सभी हज़रात का दा:उ़: के ज़िम्मेदारान, स्टाफ और तल्बा की तरफ से शुक्रिया अदा करने के साथ शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए-थार हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी सोहरवर्दी नाज़िमे आला: दारुल उ़़लूम अनवारे ग़ौषिया सेड़़वा को दावते खिताब दिया…आप ने हज़रत इमाम बुखारी की सीरत के मुख्तलिफ पहलुओं पर रोशनी डालते हुए बुखारी शरीफ की जमअ़ व तरतीब की कैफियत वग़ैरह पर भी रोशनी डाली और आप ने दौराने खिताब कहा कि हज़रत इमाम बुखारी इल्म व फन में यकताए रोज़गार थे,अल्लाह तआ़ला ने आप को उ़लूमे हदीष व क़ुरआन के साथ दीगर बहुत सारे उ़़लूम व फुनून से नवाज़ा था, आप जहाँ ज़ुह्द व तक़वा के पैकर थे वहीं तवाज़ुअ़ व इन्किसारी उन का वतीरा था,ज़ाहिर व बातिन में खुदा से बहुत डरते थे,मुश्तबहात से भी बचते,ग़ीबत और दोसरे गुनाहों से इज्तिनाब करते और लोगों के हुक़ूक़ का पूरा पूरा खयाल करते,हासिले कलाम यह कि हज़रत इमामे बुखारी बेहद इबादत गुज़ार और शब बेदार थे,आप का हर क़ौल व फेअ़्ल व अ़मल हुज़ूर नबी-ए-अकरम صلی اللہ علیہ وسلم के क़ौल व फेअ़्ल का मज़हर था-

फिर दरजा-ए-फज़ीलत के एक तालिबे इल्म ने बहुत ही वालिहाना अंदाज़ में नअ़ते रसूल صلی اللہ علیہ وسلم पेश किया।

बादहु क़ाइदे क़ौम व मिल्लत ताजुल उ़़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा व मौलाना ताजुद्दीन अहमद साहब सोहरवर्दी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची ने तल्बा-ए-फज़ीलत को “इफ्तिताहे बुखारी शरीफ” की इस तक़रीब में बुखारी शरीफ की पहली हदीष का दर्स देते हुए कहा कि इल्मे क़ुरआन व हदीष तमाम दीनी उ़़लूम की असल हैं,इस लिए हम सभी लोगों को चाहिए कि हम अपने बच्चों के उ़़लूमे क़ुरआन व हदीष की तअ़लीम के हुसूल पर खुसूसी धयान दें,फिर आप ने बुखारी शरीफ पढ़़ने की फज़ीलत पर भी शान्दार गुफ्तगू की और फरमाया कि बुखारी शरीफ पढ़ने से अल्लाह की रहमतों का नुज़ूल होता है, पढ़़ने वाले के चेहरे पर नूरानियत और शादाबी रहती है,इस की क़िरात व दर्स व तदरीस से मुश्किलात दूर होती हैं…आप ने भी हज़रत इमाम बुखारी अ़लैहिर्रहमा की सीरत व सवानेह और बुखारी शरीफ की जमअ़ व तरतीब की कैफियत और इल्मे हदीष की अ़ज़मत व फज़ीलत और उस की तारीख पर सैर हासिले बहष पेश की…सिलसिला-ए-खिताब को जारी रखते हुए आप ने फरमाया कि हज़रत इमाम बुखारी को रसूलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم से बे पनाह मुहब्बत थी और वोह इस से ज़ाहिर है कि अमीरुल मोमिनीन फिल हदीष हज़रत इमाम बुखारी ने अपनी पूरी ज़िंदगी इत्तिबाए सुन्नत और अहादीषे नबविया की तफतीश व तहक़ीक़ और फिर दर्स व तदरीस व नश्र व इशाअ़त में सर्फ कर दी…आप का क़ुव्वते हाफिज़ा निराला और ग़ैर मअ़मूली था,आप को “जबलुल हिफ्ज़” यानी याद दाश्त का पहाड़ कहा जाता था,उस्ताद से जो हदीष सुनते या किसी किताब पर नज़र डालते तो वह आप के हाफिज़ा में महफूज़ हो जाती थी,इल्मे हदीष के साथ आप दोसरे बहुत से उ़़लूम व फुनून के माहिर थे,…साथ ही साथ आप ने दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा की उ़़म्दा व बेहतरीन कार कर्दगी और इस की तअ़मीर व तरक़्क़ी पर दा:उ़:अनवारे मुस्तफा के मुहतमिम व शैखुल हदीष नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी مدظلہ العالی को मुबारकबाद पेश करने के साथ अपनी दुआ़ओं और हौसला अफज़ा कलिमात से नवाज़ा…साथ ही साथ आप ने क़ौम को खिताब करते हुए कहा कि आप हज़रात अपने बच्चों के दीनी तअ़लीम के साथ अ़सरी व दुनियावी तअ़लीम की तहसील पर खूब खूब तवज्जोह दें क्यों कि तअ़लीम के बगैर सहीह मअ़नों में तरक़्क़ी ना मुम्मकिन है, गोया आप ने दीनी तअ़लीम के साथ दुनियावी तअ़लीम की तहसील पर ज़ोर दिया-
सलात व सलाम, इज्तिमाई फातिहा ख्वानी और नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा सय्यद पीर नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।

रिपोर्ट:मुहम्नद शमीम अहमद नूरी मिस्बाही
खादिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा पच्छमाई नगर, सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया,तह:रामसर,ज़िला:बाड़मेर (राजस्थान)

हरपालिया [बाड़मेर,राजस्थान] में पहली बार विशाल सामूहिक विवाह समारोह 15 मई को।

62 परिवार के 92 दुल्हा दुल्हन शादी के बंधन में बंधेंगेबाड़मेर जनपद में पहली बार सेड़वा तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत हरपालिया में दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा शिक्षण संस्था सेहलाऊ शरीफ की देख रेख और संस्था के संस्थापक हजऱत पीर सैयद नूरुल्लाह शाह बुखारी की अध्यक्षता में 15 मई 2022 ईस्वी रविवार को हज़रत पीर सैयद कबीर अहमद शाह बुखारी अ़लैहिर्रहमा के ओताक़ में विशाल सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया है। यह ग्राम पंचायत हरपालिया के लोगों का एक इतिहासिक व बहुत ही सराहनीय कार्य है कि एक ही जाज़म पर 92 बच्चों की शादी हो जाएगी, इस सराहनीय व नेक कार्य से जहाँ क़ौम के लोगों का समय बरबाद होने से बचेगा वहीं शादी विवाह के मौक़े पर जो फुज़ूल खर्ची की जाती है उस पर लगाम लग जाएगा और लोग बहुत सी परेशानियों से बच जाएंगे।बिला शुब्हा हरपालिया गाँव के ज़िंदा दिल लोगों ने सिंधी समाज और दोसरे बिरादराने वतन के लिए एक नमूना पेश किया है!हरपालिया ग्राम वासियों के अंदर एसी सोच व फिक्र पैदा करने वाले हज़रत अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी को अल्लाह तआ़ला लंबी ज़िंदगी अ़ता फरमाए।इलाक़े के लोगों का कहना है कि “हमें हरपालिया वासियों पर नाज़ है क्यों कि इस गाँव के लोगों ने समाज को माली [आर्थिक] नुक़सान से बचाने और वक़्त [समय] जैसी अनमोल दौलत की बरबादी से बचाने का समाज को बहुत अच्छा पैग़ाम व संदेश दिया है।अगर यह सामूहिक विवाह प्रोग्राम न होता तो इतने सारे लोगें की शादियाँ कम से कम लगातार 2 महीने में होतीं जिसे सिर्फ 01 दिन में अंजाम दे दिया जाएगा, इस सामूहिक विवाह समारोह से किस क़दर वक़्त और पैसों की बचत है यह किसी से पोशीदा नहीं।उम्मीद की जा रही है कि यह अच्छी रस्म अब पूरे इलाक़े में राइज [प्रभावी] होगी। [इन शा अल्लाह तआ़ला]अल्लाह तआ़ला हमें हर तरह की फुज़ूल बातों और ग़लत रस्म व रिवाज से बचाए,समाज में व्याप्त बुराइयों को खतम करने और क़ौम को आला मक़ाम पर पहुंचाने वाले मुहसिन व लीडर नसीब करे जो हालात की नज़ाकत को समझने का शऊ़र [सूझ बूझ] रखते हों।

सिरिजपुरवा में अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ जश्ने सुन्नते रसूल मनाया।

07 मई 2022 ईस्वी बरोज़ सनीचर मदरसा अ़रबिया अहले सुन्नत सिद्दीक़िया फैज़ुल उ़लूम सिरिजपुरवा के सामने मरहूम व मग़्फूर अ़ब्दुर्रशीद अंसारी के बड़े साहबज़ादे मुहम्मद आ़लम की शादी खाना आबादी के मौक़े पर निहायत ही अ़क़ीदत व मुहब्बत के साथ “जश्ने सुन्नते रसूल व महफिले मीलादे पाक” का इन्इक़ाद किया गया।इस बा बरकत महफिल की शुरुआ़त हज़रत हाफिज़ व क़ारी अहमद रज़ा ज़ियाई मुदर्रिस: मदरसा अ़रबिया अहले सुन्नत सिद्दीक़िया फैज़ुल उ़लूम सिरिजपुरवा के ज़रिया तिलावते कलामुल्लाह से की गई।फिर यके बाद दीगरे कई लोगों ने बारगाहे रसूले अकरम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम में नअ़तों के नज़राने पेश किए।शुरुआ़ती तक़रीर हज़रत मौलाना मुहम्मद अ़ालमगीर साहब आ़सिम फैज़ी ने दीनी व अ़सरी तअ़लीम के हासिल करने की फज़ीलत,ज़रूरत और अहमियत के उ़़न्वान पर किया।आप ने लोगों को खानक़ाहे बरकातिया मारहरा शरीफ के पैग़ाम “आधी रोटी खाइये बच्चो को पढ़ाइये ” पर अ़मल करने की ताकीद व तल्क़ीन की।बादहू नाज़िमे मज्लिस हज़रत मौलाना शअ़बान साहब अ़ज़ीज़ी ने फिर कई मद्दाहाने रसूल को लोगों के सामने पेश किया-नअ़त ख्वाँ हज़रात ने मीठे लब व लेहजे मे उ़म्दा नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया, और लोगों ने खूब दाद व दहिश से नवाज़ा।खास तौर पर इन हज़रात ने नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।हज़रत मौलाना सेराज अह अहमद साहब क़ादरी अ़लीमी, हज़रत हाफिज़ व क़ारी अहमद रज़ा ज़ियाई,हाफिज़ व क़ारी कमाल अहमद,-जब कि हज़रत मौलाना आ़बिद अ़ली साहब निज़ामी अ़लीमी सदरुल मुदर्रिसीन दारुल उ़लूम फैज़ाने रज़ा नराएन जोत,महराज गंज ने भी लोगों को मुख्तसर खिताब किया।आखिर में खुसूसी खिताब खतीबे खुसूसी आ़लिमे बा अ़मल हज़रत मौलाना महबूब आ़लम साहब निज़ामी सदर मुदर्रिस:मदरसा अ़लीमिया लोटन बाज़ार, सिद्धार्थ नगर ने की-आप ने अपने खिताब के दौरान लोगों को अपने माँ बाप की इज़्ज़त व तौक़ीर और उन की खिदमत करने के साथ शादी विवाह को इस्लामी तौर तरीक़े से करने की गुज़ारिश की और साथ ही साथ शरीअ़ते मुस्तफा के मुताबिक़ अपनी ज़िंदगी बसर करने की ताकीद की।इस मज्लिस में खुसूसियत के साथ यह हज़रात शरीक हुए।हज़रत मौलाना मुहम्मद शाहिद रज़ा साहब नूरी सदर मुदर्रिस: दारुल उ़लूम ग़ौषिया फैज़ुर्रसूल सेमरहना, हाफिज़ व क़ारी मुहम्मद अनीस साहब,जनाब अ़ब्दुल हई साहब,जनाब अ़ब्दुल्लाह साहब,जनाब अ़ब्दुल मुईद साहब, जनाब मुहम्मद आज़म साहब,जनाब नबीहुल्लाह साहब,जनाब अफरोज़ अहमद,सरवरे आ़लम वग़ैरहुम…सलातो सलाम और हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही नाज़िमे तअ़लीमात:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ की दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।रिपोर्टर:मुहम्मद तौसीफ रज़ा बरकातीसाकिन:भवनिया पुर [सेमरहना] पो:उस्का बाज़ार, ज़िला:सिद्धार्थ नगर [उ:प्र:)

कोनरा बाड़मेर में उर्से गौसिया का समापन। रिपोर्ट : यामीन खान समेजा कोनरा विलायत शाह, तहसील, चौहटन, ज़िला, बाड़मेर राजस्थान

दिनांक 5 मई 2022 ईस्वी बमुताबिक 3 शव्वाल 1443 हिजरी बरोज मंगलवार हज़रत मखदूम सैयद पीर मियां विलायत शाह अलैहिर्रहमा का 16वां उर्स और दारुल उ़लूम फैज़ाने विलायत शाह शिक्षण संस्थान कोनरा विलायत शाह,चौहटन बाड़मेर का सालाना जल्सा बड़ी शानो-शौकत के साथ मनाया गया।

बाद नमाज़े जोहर क़ुरान ख्वानी की गई।बाद नमाज़े अ़स्र फातिहा खानी हुई।बाद नमज़़े मग़रिब मदरसा के तुल्बा का प्रोग्राम हुआ, इसके बाद उ़ल्मा ए किराम का बेहतरीन खिताब हुआ। प्रोग्राम का आगाज़ तिलावते कलामे पाक से हुआ, तिलावत करने का शर्फ मौलाना अल्हाज इल्मुद्दीन अशफाक़ी ने हासिल किया।बादहु मौलाना गुलाम रसूल इमाम जामा मस्जिद ईटादा, शहजादा -ए- मुफ्ती ए थर हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी सोहरवर्दी नाज़िमे आला दा:उ़:अनवारे ग़ौषिया सेड़वा, मौलाना अ़लीमुद्दीन साँवलोर (नोहडी़ ) मुदर्रिस दा:उ़:इस्हाकिया जोधपुर, मौलाना अय्यूब साहब अशरफी साबिक़ क़ाज़ी- ए-शहर पाली, और खुसुसी मुकर्रिर नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सैयद नुरूल्लाह शाह बुखारी मद्दजिल्लहुल आ़ली मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ़ ने बहुत ही बेहतरीन और जामेअ़ खिताब फरमाया।
क़िब्ला सैयद साहब ने कहा कि जब तक आप इल्म हासिल नहीं करोगे तब तक तरक्की संभव नहीं है।
आपसी इतिहाद और इतिफाक़ बनाएं रखें ,संगठन में जो ताकत है वह और किसी चीज़ में नहीं है। आखिर में पीरी मुरीदी के आदाब वग़ैरह के बारे में विस्तार से बताया।
इसके अलावा स्टेज पर उ़ल्मा,अइम्मा हज़रात ,शादाते किराम व मोहसिन ए क़ौम का जम्मे गफीर मौजूद रहा।
खास तौर पर यह हज़रात मौजूद रहे।
सैयद अमीर शाह बामणोर, सैयद मिठन शाह आलमसर, सैय्यद सोहबत अ़ली शाह आलमसर, सैय्यद शेर मोहम्मद, सैय्यद इक़बाल शाह, सैय्यद मीर मौहम्मद शाह अरटी, एडवोकेट पूर्व सरपंच कोनरा शाकर खान समेजा,खानू खान हेड कांस्टेबल, हकीम साहब क़ायम दर्श, बच्चू खान बलोच सालरिया, बेहतरीन सिन्धी सना ख्वाँ (मौलुदी) क़ारी मोहम्मद हनीफ सेड़वा ,अनवर खान,
मौलाना मोहम्मद युसुफ डेरासर, मौलाना रोशन अली पाली, मौलाना अ़ब्दुल हलीम इमाम जामा मस्जिद कोनरा ,क़ारी मौहम्मद शरीफ़ और दीगर उल्मा-ए- थर ने प्रोग्राम की ज़ीनत में चार चांद लगाये।
प्रोग्राम का संचालन मौलाना अ़लीमुद्दीन जैसार (रहुमा) इमाम:मदीना मस्जिद सुमेरपुर (पाली) ने किया। सभी पधारे गणमान्य मेहमानों का मौलाना अल्हाज मोहम्मद आदम खान क़ादरी ने शुक्रिया अदा किया। इसके बाद मौलुद शरीफ़ का प्रोग्राम हुआ।
बाद नमाज़े फज्र सलातो सलाम और खुसूसी ज़िक्र व दुआ़ बाद प्रोग्राम का इख्तिताम हुआ।

रिपोर्ट :-यामीन खान समेजा कोनरा विलायत शाह,तहसील:चौहटन, ज़िला:बाड़मेर (राज:)

सेहलाऊ शरीफ में 154 वां उर्से बुखारी मनाया गया

सेहलाऊ शरीफ में 154 वाँ उ़र्से बुखारी मनाया गया।उर्स के प्रोग्राम में ज़ाइरीन का सैलाब उमंड पड़ा।इलाक़ा-ए-थार की मशहूर दीनी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,गरडिया,बाड़मेर” के वसीअ़ ग्राउंड में 13 मार्च 2022 ईस्वी दिन:रविवार को क़ुतुबे थार हज़रत पीर सय्यद हाजी आ़ली शाह बुखारी का 154 वाँ, हज़रत पीर सय्यद अ़लाउद्दीन शाह बुखारी का 50 वाँ और बानी-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा हज़रत पीर सय्यद कबीर अहमद शाह बुखारी [अ़लैहिमुर्रहमा] का आठवाँ उ़र्से बुखारी इन्तिहाई शानो शौकत और अ़क़ीदत व मोहब्बत और हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया। सबसे पहले बाद नमाज़े फज्र: इज्तिमाई कुरआन ख्वानी की गई, फिर बाद नमाजे ज़ोहर क़ौमी एकता का प्रोग्राम हुआ जिसमें एडिशनल एसपी बाड़मेंर नरपत सिंह जी, तहीलदार रामसर छोटे लाल जी,सलमान खान प्रधान गडरारोड,अ:लतीफ AC:Beoo बलाक रामसर, तन सिंह चौहान के सुपुत्र जोगेन्दर सिंह चौहान जी, हाजी फतेह मोहम्मद साहब अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी बाड़मेर ने अपने अपने विचार व्यक्त किए, अधिकतर लोगों ने दीनी शिक्षा के साथ दुनियावी शिक्षा हासिल करने और आपसी भाईचारा और देश से मोहब्बत पर जोर दिया। हज़रत पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी ने कौमी एकता प्रोग्राम में शामिल सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि” औलिया-ए-किराम, सूफी संतों के आस्ताने आपसी भाई चारा को बढ़ावा देते हैं, और इन आस्तानों से देश वासियों को आपसी मेल मिलाप अमन चैन और देश से मोहब्बत का पैगाम दिया जाता है, हज़रत पीर साहब ने दरगाह इंतिज़ामिया कमेटी की तरफ से अपने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा करने के साथ मुख्य अतिथियों को साफा बांधकर और हार पहनाकर स्वागत किया।इस प्रोग्राम का संचालन मास्टर खान मोहम्मद [हरपालिया] व मौलाना मोहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी ने किया- यह दोनों हज़रात गाहे बगाहे लोगों के सामने दारुल उ़लुम अनवारे मुस्तफा और उस के मातहत चलने वाले इदारों बिल खुसूस अनवारे मुस्तफा माध्यमिक विद्यालय का तआ़रुफ भी पेश करते रहे। बाद नमाजे अ़स्र:दारुल उ़लूम के दारुल हदीष से दरगाह शरीफ के लिए जुलूसे चादर साहिबे सज्जादा नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी और उन के बिराद्रान,सादाते किराम व उ़ल्मा-ए-ज़विल एहतिराम की क़यादत में सिंधी मौलूद शरीफ व नअ़त व मन्क़बत पढ़ते और दरूद शरीफ व कलमा का ज़िक्र करते हुए रवाना हुआ।लोगों के जन सैलाब के बा वजूद अबना-ए- दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा व ग़ुलामाने बुखारी कमेटी गागरिया [इलाक़ा:खावड़] और थाना रामसर व बिजिडियार के पुलिस प्रशासन की अच्छी देख रेख व गाइडिंग की वजह से इंतिहाई सुकून व इतमिनान के साथ दरगाह शरीफ पहुंचा। सबसे पहले दरगाह शरीफ में आराम फरमा सभी बुजुर्गों के मज़ारों पर चादर पोशी व गुलपाशी की गई, फिर इज्तिमाई फातिहा ख्वानी हुई, सलातो सलाम के बाद दरगाह के सज्जादा नशीन क़िब्ला पीर साहब ने उ़र्स में तशरीफ लाए सभी ज़ायरीन और दूसरे लोगों के लिए जुमला आफतों व बलाओं और हर तरह की बीमारियों से हिफाज़त और मुल्क व मिल्लत की सलाह व फलाह और देश में अमन चैन और शांति की खुसूसी दुआ की।बाद नमाज़े मग़रिब:दारुल उ़लूम व शाखहा-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के कुछ होनहार तल्बा का दीनी,इल्मी,इस्लाही व षक़ाफती प्रोग्राम तिलावत,नअ़त व मन्क़बत, तक़रीर व मुकालमा की सूरत में हुआ जिसे उ़ल्मा व अ़वाम ने बहुत पसंद किया और दाद व तहसीन से खूब खूब नवाज़ा।बाद नमाज़े इशा:उ़ल्मा-ए-किराम का खुसूसी प्रोग्राम तिलावते कलामे पाक से शुरूअ़ हुआ।इस प्रोग्राम में खुसूसी तक़रीर जानशीने हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म राजस्थान हज़रत अ़ल्लामा मुफ्ती शेर मोहम्मद खान साहब रिज़्वी शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम इस्हाक़िया जोधपुर की हुई।आप ने अपने खिताब में फरमाया कि “अगर आप लोग दुनिया व आखिरत की भलाई चाहते हैं तो अपने बच्चों की दीनी व अ़सरी तअ़लीम पर तवज्जोह दें,आपसी इत्तिफाक़ व इत्तिहाद क़ाइम करें,अपने माँ बाप की खिदमत करें,अपने से बड़ों की तअ़ज़ीम व तकरीम करें,ग़रीबों और मुहताजों की मदद करें हासिले कलाम यह कि तअ़लीमाते इस्लाम को अपनाएं।आप से पहले इन हज़रात ने भी खिताब किया। शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए- थर हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी सेड़वा,हज़रत मौलाना अ़य्यूब अ़ली साहब अशरफी अ़ली पुरा हाथमा,हज़रत मौलाना पठान साहब सिकन्दरी,रीवड़ी जैसलमेर-खुसूसी नअ़त व मन्क़बत ख्वानी का शर्फ मद्दाहे रसूल हाफिज़ व क़ारी अ़ताउर्रहमान क़ादरी अनवारी व वासिफे शाहे हुदा हज़रत मौलाना क़ारी मोहम्मद जावेद साहब सिकन्दरी अनवारी ने हासिल किया-निज़ामत के फराइज़ हज़रत मौलाना मोहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी निगराँ शाखहा-ए-दारुल उ़लूम हाज़ा व हज़रत मौलाना अ़लीमुद्दीन साहब क़ादरी अशफाक़ी सुमेरपुर ने मुश्तरका तौर पर अंजाम दिए।उ़र्स की तक़रीबात मे खास तौर पर यह हज़रात शरीक हुए।मुस्लिहे क़ौम व मिल्लत हज़रत अ़ल्लामा मौलाना हाफिज़ अल्लाह बख्श साहब अशरफी बासनी नागौर शरीफ,सय्यद गुलाम शाह बामणोर, सरपंच सय्यद मिठन शाह मटारी, मौलाना मोहम्मद इमरान अशफाक़ी नागौर शरीफ,मौलाना कमालुद्दीन ग़ौषवी,मौलाना सखी मोहम्मद क़ादरी,मौलाना मोहम्मद रमज़ान क़ादरी,मौलाना ग़ुलाम रसूल साहब,मौलाना अ़ली हसन क़ादरी अशफाक़ी ,हाजी अ़ब्दुलगफूर पुर्व राज्यमंत्री,जनाब राणा फक़ीर जैसलमेर,हरीस सिंह सोढा पुर्व विधायक शिव,एडोकेट रूपसिंह राठौर चौहटन,क़िब्ला पीर साहब ने सभी ज़ाइरीने उ़र्स व सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा करने के साथ इस साल के उ़र्से बुखारी में किसी भी तरह से हिस्सा लेने वालों या दारुल उ़लू में अपना तआ़वुन पेश करने वालों का भी शुक्रिया अदा करने के साथ उन की हौसला अफ्ज़ाई भी की और अपनी दुआ़ओं से नवाज़ा,सलातो सलाम और दुआ़ पर यह जल्सा इख्तिताम पज़ीर हिआ।रिपोर्ट:मोहम्मद शमीम अहमद नूरी मिस्बाहीखादिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा पच्छमाई नगर, सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया,ज़िला:बाड़मेर[राज:]

सेहलाऊ शरीफ में 154 वां उर्से बुखारी 13 मार्च को

बाड़़मेर राजस्थान] इलाका-ए-थार की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा दरगाह हज़रत पीर सय्यद हाजी अ़ालीशाह बुखारी,पच्छमाई नगर, सेहलाऊ शरीफ,गरडिया, बाड़मेर” के वसीअ़ ग्राउंड में 13 मार्च 2022 ईस्वी दिन:रविवार को 154 वां उर्से बुखारी नूरुल उ़ल्मा शैखे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा व सज्जादा नशीन:खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया सेहलाऊ शरीफ की क़यादत व सरपरस्ती में इंतिहाई शानो शौकत और अक़ीदत व एहतिराम के साथ शरई मरासिम की पाबंदी के साथ मनाया जाएगा। प्रोग्राम की तफ्सील कुछ इस तरह है। बाद नमाज फज्र: इज्तिमाई कुरआन ख्वानी,… बाद नमाज़े ज़ोहर: क़ौमी एकता प्रोग्राम,… बाद नमाज़े अ़स्र: चादर पोशी व गुल पाशी व मुल्क व मिल्लत की सलाह व बहबूद की खातिर दरगाह शरीफ में खुसूसी दुआ़,… बाद नमाज़े मग़रिब: दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा व शाखा-ए- दारुल उ़़लूम के कुछ होनहार बच्चों का दीनी,इल्मी,षक़ाफती व इस्लाही प्रोग्राम,…बाद नमाज़े इशा: उ़़ल्मा-ए-किराम का खुसूसी प्रोग्राम, जिसमें खास तौर पर जानशीने मुफ्ती-ए- आज़म राजस्थान हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी शैखुल हदीष: दारुल उ़़लूम इस्हाक़िया जोधपुर की खुसूसी तक़रीर होगी। आपके अ़लावा दीगर उ़ल्मा-ए- किराम,सादाते ज़विल एहतिराम, व नअ़त ख्वानाने रसूल की भी शिरकत होगी।इसलिए आप सभी हज़रात इस दीनी व मज़हबी प्रोग्राम में शिरकत करके उर्स के फुयूज़ व बरकात से मालामाल हों!

लालासर बाड़मेर में जश्ने ग़ौषे आज़म…………………………………………………बेजा और ग़ैर शरई रस्म व रिवाज से परहेज़ इन्तिहाई ज़रूरी:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी

23 फरवरी 2022 ईस्वी दिन:बुध आ़ली जनाब मुहम्मद याक़ूब खान नोहड़ी ने अपने गाँव लालासर में अपने मुर्शिदाने तरीक़त ” मशाइखे सिल्सिला-ए- आ़लिया क़ादरिया साँगरा शरीफ” बिल खुसूस सिलसिला-ए-क़ादरिया के बानी हुज़ूर ग़ौषे आज़म सय्यदुना शैख अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी की याद में एक अ़ज़ीमुश्शान जल्सा बनाम “जश्ने ग़ौषे आज़म” का इन्इक़ाद व एहतिमाम किया।इस जल्से की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से की गई।बादुहू दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ व दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची के कई होनहार तुल्बा ने यके बाद दीगरे नअ़त व मनाक़िब और तक़ारीर पेश कीं।फिर उ़ल्मा-ए-किराम में दर्ज ज़ैल उ़ल्मा-ए-ज़विल एहतिराम ने इस्लाहे मुआ़शरा,दीनी व दुनियावी तअ़लीम की ज़रूरत व अहमियत और तअ़लीमाते औलिया-ए-किराम जैसे उ़न्वानात पर उ़म्दा खिताबात किए।★खतीबे ज़ीशान हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद आदम साहब क़ादरी,अलजामिअ़तुल इस्हाक़िया [अशफाक़िया हास्टल] जोधपुर, ☆साबिक़ क़ाज़ी-ए- शहर पाली हज़रत मौलाना मुहम्मद अय्यूब साहब अशरफी अ़ली नगर,हाथमा, ★हज़रत मौलाना अ़ली हसन साहब क़ादरी, मुदर्रिस:जामिआ़ इस्हाक़िया जोधपुर, ☆हज़रत मौलाना वली मुहम्मद साहब सदर मुदर्रिस:दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची,★हज़रत मौलाना कमालुद्दीन साहब ग़ौषवी, सूड़ियार,☆मौलाना मुहम्मद रियाज़ुद्दीन सिकन्दरी अनवारी, ★मौलाना दिलदार हुसैन अनवारी वग़ैरहुम……आखिर में खुसूसी तक़रीर राजस्थान की अ़जीम व मुम्ताज़ दीनी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ” के मुहतमिम व शैखुल हदीष पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़्ल्लहुल आ़ली की हुई।आप ने इन्तिहाई नासिहाना तक़रीर की जिसे उ़ल्मा व अ़वाम ने बहुत पसंद किया और उन नसीहतों पर अ़मल की यक़ीन दहानी की। आप ने अपने खिताब के दौरान यह भी फरमाया की “हम सभी मुसलमानों को चाहिए कि अपने दिलों में अल्लाह का खौफ और अल्लाह व रसूल की मुहब्बत,सहाबा-ए-किराम, अहले बैते अतहार नीज़ औलिया-ए-किराम की मुहब्बत और अपने मुर्शिदाने तरीक़त की तअ़ज़ीम व तकरीम और उन से उल्फत व मुहब्बत करें, और मुहब्बत दिल से और सही़ह मानों में करें, और सही़ह मुहब्बत यह है कि मुहब्बत के तक़ाज़ों पर ग़ौर व फिक्र कर के उस पर अमल पैरा हो जाएं, वरना सिर्फ ज़बान से मुहब्बत का दावा किसी काम का नहीं,और मुहब्बत का तक़ाज़ा यह है कि उन के फरमूदात व इरशादात पर अ़मल करें और उन के बताए हुए मार्ग[रास्ते]पर चलें।आप ने अपने आखिरी जुम्लों मे इन चीज़ों के बारे में बहुत ही उ़म्दा नसीहत किया।(1):अपने बच्चों की दीनी व दुनियावी तअ़लीम पर खूब तवज्जोह दें, क्यों कि तअ़लीम रोशनी है और जहालत तारीकी-(2):आपसी इत्तिफाक़ व इत्तिहाद और भाईचारा हर हाल में बर क़रार रखें, क्यों कि “इत्तिफाक़ ज़िंदगी है और इख्तिलाफ मौत”-(3):अपने खालिक़ व मालिक [अल्लाह तआ़ला] की खूब इबादत करें,खास तौर पर नमाज़े पंजगाना की पाबंदी करें,जुम्ला अवामिरे शरइय्या पर अ़मल और मन्हिय्यात से परहेज़ करें-अपने से बड़ों की तअ़ज़ीम और छोटों पर रहम व शफक़त और अपने माँ बाप की खिदमत करने के साथ उ़ल्मा-ए-किराम का अदब व एहतिराम करें-(4):अपने बच्चों की शादी वक़्त पर करें, यानी जब वोह शादी के लाएक़ हो जाएं तो बिला वजह ताखीर न करें और सुन्नते रसूल पर अ़मल करते हुए शादीयों में नाम व नमूद के लिए बिल्कुल फुज़ूल खर्ची न करें।(5):अपने अ़ज़ीज़ व अक़ारिब में किसी की मौत के बाद बिला वजह और ग़ैर शरई रस्म व रिवाज व खुराफात से परहेज़ करें और हरगिज़ हरगिज़ एैसे मौक़ों पर फुज़ूल खर्ची कर के अपने मालों को बरबाद न करें,और अगर अल्लाह तआ़ला ने आप को माल व दौलत से नवाज़ा है और आप खर्च करना चाहते हैं तो उसे अपने मरहूमीन के ईसाले षवाब के लिए नेक मसारिफ व कामों मे खर्च कर के खुद भी षवाबे दारैन के मुस्तहिक़ हों,जैसे मस्जिद, मदरसा की तअ़मीर या किसी ज़रूरत में हिस्सा लें या किसी ग़रीब तालिबे इल्म की किफालत की ज़िम्मेदारी क़बूल कर लें या किसी भी मुहताज, फक़ीर, व ज़रूरत मंद की ज़रूरत पूरी कर दें।निज़ामत के फ्राइज़ हज़रत मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी निगराँ शाखहा-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ व हज़रत मौलाना मुहम्मद यूसुफ साहब क़ादरी देरासर ने मुश्तरका तौर पर ब हुस्न व खूबी अंजाम दिया।इस दीनी प्रोग्राम में यह हज़रात खुसूसियत के साथ शरीक हुए।★हज़रत सय्यद सोहबत अ़ली शाह मटारी आ़लमसर,☆हज़रत मौलाना अल्हाज सखी मुहम्मद साहब क़ादरी बीसासर,★हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही सेहलाऊ शरीफ,हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद रमज़ान साहब क़ादरी,☆मौलाना अ़ब्दुल हकीम क़ादरी झेलून,★मौलाना मुहम्मद हाकम क़ादरी,☆क़ारी मुहम्मद यामीन क़ादरी अनवारी देतानी,★क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी, ☆मौलाना मुराद अली क़ादरी अनवारी,★मौलाना अ़ब्दुल वकील क़ादरी अनवारी लालासर,☆मौलाना अ़ब्दुल मजीद क़ादरी करीम का पार★मौलाना मुहम्मद उर्स सिकन्दरी अनवारी, ☆अल्हाज खलीफा रोशन खान खलीफे की बावड़ी,★जनाब मुहम्मद सलमान साहब प्रधान,☆हाजी कबीर खान तोगा जैसलमेर व जनाब खलीफा मुहम्मद सिद्दीक़ धोबली वग़ैरहुम।सलातो सलाम और क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह जल्सा इख्तिताम पज़ीर हुवा।

रिपोर्टर:मुम्मद नसीर अनवारीS/O: मुहम्मद आदम [तालसर]मुतअ़ल्लिम दरजा-ए-फज़ीलत: दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया[तह:रामसर]ज़िला:बाड़मेर(पाज:)