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अपनी शादी विवाह को खुराफात से पाक कर के नेक मज्लिसों का एहतिमाम करें:अ़ल्लामा सय्यद पीर नूरुल्लाह शाह बुखारी।25 फरवरी 2022 ईस्वी दिन:जुम्आ़ [शुक्रवार]

हज़रत मौलाना मुबारक हुसैन साहब कोनरा,चौहटन,बाड़़मेर के भाइयों की शादी के मुबारक मौक़े पर एक दीनी व इस्लाही प्रोग्राम हुवा।जिस में राजस्थान की मुम्ताज़ दीनी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा ” के मुहतमिम व शैखुल हदीष पीरे तरीक़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाब बुखारी सज्जादा नशीन:खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया सेहलाऊ शरीफ ने खिताब करते हुए फरमाया कि ” इस्लाम में शादी यानी निकाह बहुत आसान और कम खर्च वाला अ़मल (काम) था -लेकिन आज हम ज़िंदगी के हर शोअ़्बे में पस्ती का शिकार हुए,वहीं एैश परस्ती भी हमारे अंदर आ गई है-हम ने हर अ़मल व काम को दिखावा बना लिया है-मौजूदा दौर में बढ़ती हुई मंहगाई के बा वजूद शादी विवाह व दोसरे तक़रीबात के मौक़े पर इंतिहाई इसराफ व फुज़ूल खर्ची से काम लिया जा रहा है-जिस के नतीजे में मुआ़शरे में मौजूद अफराद की एक बहुत बड़ी तादाद को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है,खास तौर पर निचले तबक़े से तअ़ल्लुक़ रखने वाले हज़रात के लिए यह रुसूमात दर्दे सर बनी हुई हैं,शादी विवाह का मुरव्वजा निज़ाम ग़रीब लोगों की शादी में एक रुकावट बन चुका है,जिसे खतम करना हम में से हर एक की ज़्म्मेदारी है, क्यों कि इन रुसूमात की वजह से जितने भी लोग मतअष्षिर होंगे उन का वबाल रस्म व रिवाज पर अ़मल करने वालों पर भी होगा। इन रस्मों में किस क़दर माल खर्च किया जाता है जब कि कुरआने मुक़द्दस में फुज़ूल खर्ची करने वालों को शैतान का भाई कहा गया है,इसी वजह से हुज़ूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया “सब से बा बरकत निकाह वह है जिस में सब से कम मुशक़्क़त [कम खर्च और तकल्लुफ] हो-आज हम हराम रस्मों व बेहूदा रिवाजों की वजह से शादी को खाना आबादी की जगह “खाना बरबादी” बल्कि खानहा बरबादी यानी बहुत सारे घरों के लिए बरबादी का सबब बना लेते हैं।अगर हम अपने आक़ा हुज़ूर नबी-ए-रहमत सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम की शहज़ादी खातूने जन्नत हज़रत सय्यदतुना फातमा ज़हरा के मुबारक निकाह और दीगर सहाबा-ए-किराम की शादियों को देखा जाए तो पता चलता है कि शादी करना आसान है क्यों कि हमारे लिए रहबर व रहनुमा यही हस्तियाँ हैं जिन की इत्तिबाअ़ दुनिया व आखिरत में कामियाबी का ज़रिआ़ है -याद रखिए! शादी के लिए शरीअ़त ने बहुत बड़े टेंट व डेकूरेशन को लाज़िम नहीं क़रार दिया है और न ही नाम व नमूद व नुमाइश, और न ही आतिश बाज़ी और फुज़ूल खर्चियों को शादी का हिस्सा क़रार दिया है बल्कि इन में से बहुत सी सूरतैं नाजाइज़ व हराम हैं-जब शरीअ़त का हुक्म इसराफ व फुज़ूल खर्ची से बचने का और निकाह को आसान बनाने का है तो हमारे यहाँ निकाह की तक़रीबात जिन में खुल कर फुज़ूल खर्चीयाँ होती हैं और नाच गाना करवाई जाती हैं और अहकामे शरीअ़त की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं उन से हमारे और आप के आक़ा की खुशी कैसे नसीब हो सकती है? और जिस तक़रीब [प्रोग्राम] से अल्लाह व रसूल राज़ी न हों तो उस से पूरी दुनिया भी अगर खुश हो जाए तो भी उस तक़रीब में बरकत नहीं आ सकती,इस के बर खिलाफ जिस तक़रीब से अल्लाह व रसूल खुश हों तो वही बा बरकत होगी अगरचे पूरी दुनिया नाराज़ हो जाए- इस लिए हमें चाहिए कि हम अपनी शादियों को बेजा व ग़ैर शरई रुसूमात बिल खुसूस नाच गाने से पाक कर के एैसे मौक़ों पर नेक मज्लिसों का इन्इक़ाद व एहतिमाम किया करें जैसे मौलाना मुबारक साहब क़ादरी और इन के घर वालों ने किया है ताकि इन मज्लिसों के ज़रिआ़ लोगों की इस्लाह हो , और वैसे भी एैसी मज्लिसैं जिन में अल्लाह व रसूल का ज़िक्र किया जाए,ज़िक्र व अज़कार और दरूद शरीफ पढ़ा जाए वोह बाइषे खैर व बरकत हुवा करते हैं।मौलाना मुबारक साहब ने यह एक अच्छी पहल की है,अल्लाह तआ़ला इन शादीयों को बाइषे खर व बरकत बनाए।आप ने अपने खिताब में शादी से मतअ़ल्लिक़ और भी बहु सी इस्लाही बातैं कीं।इस दीनी व मज़हबी प्रोग्राम में इफ्तिताह़ी[शुरुआ़ती] तक़रीर करते हुए हज़रत मौलाना मुबारक हुसैन साहब क़ादरी अशफाक़ी ने भी लोगों को यही पैग़ाम दिया कि”हम सभी लोगों को चाहिए कि शादी विहाह के मौक़ों पर हमारे मुआ़शरे में जो खुराफात आ गए हैं उन से हत्तल इम्कान[जहाँ तक हो सके] परहेज़ करें”इस प्रोग्राम में खुसूसियत के साथ मद्दाहे रसूल जनाब हाफिज़ रोशन साहब क़ादरी मिठे का तला ने नअ़त व मन्क़बत के नज़राने पेश किए-जब कि इस पेरोग्राम में यह हज़रात शरीक हुए-★हज़रत मौलाना ग़ुलाम रसूल साहब क़ादरी खतीब व इमाम: जामा मस्जिद ईटादा,☆हज़रत मौलाना अ़ब्दुल हलीम साहब खतीब व इमाम: जामा मस्जिद कोनरा,★हज़रत मौलाना दिलावर हुसैन हुसैन साहब क़ादरी सदर मुदर्रिस:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,☆हज़रत हाफिज़ व क़ारी कबीर अहमद साहब सिकन्दरी अशफाक़ी सदर मुदर्रिस:मदरसा फैज़ाने हिज़्बुल्लाह शाह लाठी,जैसलमेर,★मौलाना शाकिर साहब सुहर्वर्दी,☆क़ारी मुहम्मद शरीफ अशफाक़ी कोनरा,★ मौलाना दोस्त मुहम्मद अशफाक़ी ईटादा,☆क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी सोभाणी वग़ैरहुम-सलातो सलाम और क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह मज्लिस इख्तिताम पज़ीर हुई।रिपोर्टर:मुहम्मद उ़र्स सिकन्दरी अनवारीमुतअ़ल्लिम दरजा-ए-फज़ीलत:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा पच्छमाई नगर,सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया [तह:रामसर]ज़िला:बाड़मेर (राज:)

लालासर बाड़मेर में जश्ने ग़ौषे आज़म…………………………………………………बेजा और ग़ैर शरई रस्म व रिवाज से परहेज़ इन्तिहाई ज़रूरी:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी

23 फरवरी 2022 ईस्वी दिन:बुध आ़ली जनाब मुहम्मद याक़ूब खान नोहड़ी ने अपने गाँव लालासर में अपने मुर्शिदाने तरीक़त ” मशाइखे सिल्सिला-ए- आ़लिया क़ादरिया साँगरा शरीफ” बिल खुसूस सिलसिला-ए-क़ादरिया के बानी हुज़ूर ग़ौषे आज़म सय्यदुना शैख अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी की याद में एक अ़ज़ीमुश्शान जल्सा बनाम “जश्ने ग़ौषे आज़म” का इन्इक़ाद व एहतिमाम किया।इस जल्से की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से की गई।बादुहू दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ व दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची के कई होनहार तुल्बा ने यके बाद दीगरे नअ़त व मनाक़िब और तक़ारीर पेश कीं।फिर उ़ल्मा-ए-किराम में दर्ज ज़ैल उ़ल्मा-ए-ज़विल एहतिराम ने इस्लाहे मुआ़शरा,दीनी व दुनियावी तअ़लीम की ज़रूरत व अहमियत और तअ़लीमाते औलिया-ए-किराम जैसे उ़न्वानात पर उ़म्दा खिताबात किए।★खतीबे ज़ीशान हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद आदम साहब क़ादरी,अलजामिअ़तुल इस्हाक़िया [अशफाक़िया हास्टल] जोधपुर, ☆साबिक़ क़ाज़ी-ए- शहर पाली हज़रत मौलाना मुहम्मद अय्यूब साहब अशरफी अ़ली नगर,हाथमा, ★हज़रत मौलाना अ़ली हसन साहब क़ादरी, मुदर्रिस:जामिआ़ इस्हाक़िया जोधपुर, ☆हज़रत मौलाना वली मुहम्मद साहब सदर मुदर्रिस:दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची,★हज़रत मौलाना कमालुद्दीन साहब ग़ौषवी, सूड़ियार,☆मौलाना मुहम्मद रियाज़ुद्दीन सिकन्दरी अनवारी, ★मौलाना दिलदार हुसैन अनवारी वग़ैरहुम……आखिर में खुसूसी तक़रीर राजस्थान की अ़जीम व मुम्ताज़ दीनी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ” के मुहतमिम व शैखुल हदीष पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़्ल्लहुल आ़ली की हुई।आप ने इन्तिहाई नासिहाना तक़रीर की जिसे उ़ल्मा व अ़वाम ने बहुत पसंद किया और उन नसीहतों पर अ़मल की यक़ीन दहानी की। आप ने अपने खिताब के दौरान यह भी फरमाया की “हम सभी मुसलमानों को चाहिए कि अपने दिलों में अल्लाह का खौफ और अल्लाह व रसूल की मुहब्बत,सहाबा-ए-किराम, अहले बैते अतहार नीज़ औलिया-ए-किराम की मुहब्बत और अपने मुर्शिदाने तरीक़त की तअ़ज़ीम व तकरीम और उन से उल्फत व मुहब्बत करें, और मुहब्बत दिल से और सही़ह मानों में करें, और सही़ह मुहब्बत यह है कि मुहब्बत के तक़ाज़ों पर ग़ौर व फिक्र कर के उस पर अमल पैरा हो जाएं, वरना सिर्फ ज़बान से मुहब्बत का दावा किसी काम का नहीं,और मुहब्बत का तक़ाज़ा यह है कि उन के फरमूदात व इरशादात पर अ़मल करें और उन के बताए हुए मार्ग[रास्ते]पर चलें।आप ने अपने आखिरी जुम्लों मे इन चीज़ों के बारे में बहुत ही उ़म्दा नसीहत किया।(1):अपने बच्चों की दीनी व दुनियावी तअ़लीम पर खूब तवज्जोह दें, क्यों कि तअ़लीम रोशनी है और जहालत तारीकी-(2):आपसी इत्तिफाक़ व इत्तिहाद और भाईचारा हर हाल में बर क़रार रखें, क्यों कि “इत्तिफाक़ ज़िंदगी है और इख्तिलाफ मौत”-(3):अपने खालिक़ व मालिक [अल्लाह तआ़ला] की खूब इबादत करें,खास तौर पर नमाज़े पंजगाना की पाबंदी करें,जुम्ला अवामिरे शरइय्या पर अ़मल और मन्हिय्यात से परहेज़ करें-अपने से बड़ों की तअ़ज़ीम और छोटों पर रहम व शफक़त और अपने माँ बाप की खिदमत करने के साथ उ़ल्मा-ए-किराम का अदब व एहतिराम करें-(4):अपने बच्चों की शादी वक़्त पर करें, यानी जब वोह शादी के लाएक़ हो जाएं तो बिला वजह ताखीर न करें और सुन्नते रसूल पर अ़मल करते हुए शादीयों में नाम व नमूद के लिए बिल्कुल फुज़ूल खर्ची न करें।(5):अपने अ़ज़ीज़ व अक़ारिब में किसी की मौत के बाद बिला वजह और ग़ैर शरई रस्म व रिवाज व खुराफात से परहेज़ करें और हरगिज़ हरगिज़ एैसे मौक़ों पर फुज़ूल खर्ची कर के अपने मालों को बरबाद न करें,और अगर अल्लाह तआ़ला ने आप को माल व दौलत से नवाज़ा है और आप खर्च करना चाहते हैं तो उसे अपने मरहूमीन के ईसाले षवाब के लिए नेक मसारिफ व कामों मे खर्च कर के खुद भी षवाबे दारैन के मुस्तहिक़ हों,जैसे मस्जिद, मदरसा की तअ़मीर या किसी ज़रूरत में हिस्सा लें या किसी ग़रीब तालिबे इल्म की किफालत की ज़िम्मेदारी क़बूल कर लें या किसी भी मुहताज, फक़ीर, व ज़रूरत मंद की ज़रूरत पूरी कर दें।निज़ामत के फ्राइज़ हज़रत मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी निगराँ शाखहा-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ व हज़रत मौलाना मुहम्मद यूसुफ साहब क़ादरी देरासर ने मुश्तरका तौर पर ब हुस्न व खूबी अंजाम दिया।इस दीनी प्रोग्राम में यह हज़रात खुसूसियत के साथ शरीक हुए।★हज़रत सय्यद सोहबत अ़ली शाह मटारी आ़लमसर,☆हज़रत मौलाना अल्हाज सखी मुहम्मद साहब क़ादरी बीसासर,★हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही सेहलाऊ शरीफ,हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद रमज़ान साहब क़ादरी,☆मौलाना अ़ब्दुल हकीम क़ादरी झेलून,★मौलाना मुहम्मद हाकम क़ादरी,☆क़ारी मुहम्मद यामीन क़ादरी अनवारी देतानी,★क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी, ☆मौलाना मुराद अली क़ादरी अनवारी,★मौलाना अ़ब्दुल वकील क़ादरी अनवारी लालासर,☆मौलाना अ़ब्दुल मजीद क़ादरी करीम का पार★मौलाना मुहम्मद उर्स सिकन्दरी अनवारी, ☆अल्हाज खलीफा रोशन खान खलीफे की बावड़ी,★जनाब मुहम्मद सलमान साहब प्रधान,☆हाजी कबीर खान तोगा जैसलमेर व जनाब खलीफा मुहम्मद सिद्दीक़ धोबली वग़ैरहुम।सलातो सलाम और क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह जल्सा इख्तिताम पज़ीर हुवा।

रिपोर्टर:मुम्मद नसीर अनवारीS/O: मुहम्मद आदम [तालसर]मुतअ़ल्लिम दरजा-ए-फज़ीलत: दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया[तह:रामसर]ज़िला:बाड़मेर(पाज:)

کامیابی وکامرانی کےلیے آپسی اتفاق واتحاد اور دینی وعصری تعلیم کی ضرورت:مولاناعبدالکریم بن مولانا عبداللطیف کی بستی،نیگرڑا میں “جشن سنّت رسول”علّامہ پیرسید نوراللہ شاہ بخاری

20 فروری 2022 عیسوی بروز اتوار مولانا صوفی عبدالکریم صاحب نیگرڑا کے بچوں کی شادی خانہ آبادی کے مبارک موقع پر “وامّابنعمة ربک فحدّث”پر عمل کرتے ہوئے بعد نماز مغرب فوراً ایک شاندار “جشن عید میلادالنّبی وسنّت رسول” کا انعقاد کیا گیا-اس جشن کی شروعات تلاوت کلام ربانی سے کی گئی،بعدہ یکے بعد دیگرے حضرت پیر سیّد محمداشرف جمالی صاحب جام سر،بیکانیر وقاری محمدحمیر صاحب بریاڑا نے بارگاہ رسول انام صلی اللّٰہ علیہ وسلّم میں نعتہائے رسول کے نذرانے پیش کئے-پھر حضرت مولانا شاہ میر صاحب سکندری صدرالمدرسین:دارالعلوم قادریہ فیض سکندریہ جیسلمیر نے “انّ اکرمکم عندالله اتقٰکم” کو موضوع سخن بناتے ہوئے اسلاف کرام کے تقویٰ وطہارت اور ان کی عبادتوں بالخصوص نماز کی پابندی کے کچھ واقعات بیان کرتے ہوئے لوگوں کو نماز کی پابندی کی تاکید وتلقین کی-بعدہ پیکر اخلاص ومحبت حضرت مولانا الحاج محمدپٹھان صاحب سکندری [سابق صدرالمدرسین: دارالعلوم فیض راشدیہ، سم،جیسلمیر] سربراہ اعلیٰ:مدرسہ اہلسنّت فیض گلشنِ سکندری لاکھانیوں کی بستی،ریوڑی،فتح گڑھ،نے ذکر الٰہی کی اہمیت وفضیلت کو بیان کرتے ہوئے کہا کہ “بیشک اللّٰہ کا ذکر ہی ایک ایسا عمل ہے کہ جس سے دلوں کو چین وسکون میسر آتا ہے اور یہی قرآن کا فیصلہ بھی ہے،لہٰذا ہم سکندریوں کے پیران طریقت نے ہمیں جوذکر کی تعلیم وتاکید کی ہے ہمیں نمازوں کی پابندی کے ساتھ اس پر مواظبت کرنی چاہییے”…آخر میں اس بزم کے خصوصی خطیب نورالعلماء شیخ طریقت حضرت علامہ الحاج سیّدنوراللّٰہ شاہ بخاری مدّظلّہ العالی مہتمم وشیخ الحدیث:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر نے خصوص اورصدارتی خطاب فرمایا-آپ نے اپنے خطاب کے دوران قوم مسلم کے آپسی اتفاق واتحاد اور کتاب و سنت پر کار بند رہنے کے متعلق گفتگو کرتے ہوئے اس کی فضیلت اور نتائج واضح کئے اور یہ بھی بتلایا کہ اس طرح پوری امت فتنوں سے محفوظ ہو جائے گی، نیز انہوں نے اختلافات، آپسی رسہ کشی اور تنازعات سے خبردار بھی کیا؛ کیونکہ ان کی وجہ سے مسلمانوں میں مشکلات اور آزمائشیں آتی ہیں اور مسلمانوں کی صفوں میں انتشار پیدا ہوتا ہے۔مزید آپ نے فرمایا کہ کسی بھی کام میں کامیابی وکامرانی حاصل کرنے کا واحد اور عمدہ طریقہ اتفاق واتحاد ہے،جس قوم یا جماعت میں اتفاق واتحاد نہیں وہ کمزور ہے،اتفاق واتحاد کی برکت سے ہم ہرایک منزل پر کامیابی حاصل کرسکتے ہیں اور دوسروں کے لیے مثال بن سکتے ہیں،اتفاق واتحاد میں وہ طاقت ہے جو کبھی ختم نہیں ہوتی، اتفاق ہر جگہ ضروری ہے،اس لیے کہ گھر کے افراد میں اگر اتفاق نہ ہو تو گھر خراب ہو جاتا ہے،خاندان میں اتفاق واتحاد نہ ہو تو خاندان تباہ وبرباد ہوجاتا ہے،ملک یا ریاست میں اتفاق نہ ہوتو امن وامان نہیں رہتا اور ہر طرف خطرہ پیدا ہوجاتا ہے جب کہ اتفاق سے یہ دنیا جنت بن جاتی ہے اور اگر اتفاق نہ ہو تو جہنم میں تبدیل ہوجاتی ہے،تاریخ گواہ ہے کہ دنیا میں اکثر وبیشتر کامیابیاں اتفاق کی برکت سے حاصل ہوئی ہیں،اتفاق سے قوموں کی قسمت بدل جاتی ہے-اس لیے ہم سبھی لوگوں کو چاہییے کہ آپسی اتفاق واتحاد پر زور دیتے ہوئے ہم آپس میں کبھی نا اتفاقی نہ کریں”ساتھ ہی ساتھ آپ نے دینی وعصری تعلیم کے حصول پر زور دیتے ہوئے فرمایا کہ “ہم سبھی لوگوں کو چاہییے کہ اپنے بچوں کے دینی وعصری تعلیم پر خصوصی دھیان دیں کیونکہ علم خواہ دینی ہو یا دنیوی انسان کو عالی مرتبت بناتا ہے، علم کی اہمیت وحی الہی کے آغاز سے مسلّم ہے،علیم و حکیم پروردگار نے انبیاء و رسل کو علم کی شمع جلانے،نور ہدایت کو عام کرنے،اور جہالت کی ظلمت کو کافور کرنے کے لیے معلمین انسانیت بناکر اس دنیا میں مبعوث فرمایا،علم کے بارے میں حضور نبی کریم صلی اللّٰہ علیہ وسلم کا ارشاد گرامی ہے:”العم نور والجھل ظلمة” علم ایک نور ہے اور جہالت ایک تاریکی،علم وہ شئ ہے جسے نہ چرایا جاسکتا ہے،نہ چھینا جا سکتا ہے،اور نہ ہی آگ علم کو جلا سکتی ہے،نہ دریا ڈبو سکتا ہے نہ سمندر غرق کرسکتا ہے اور نہ ہی اسے کیڑے کھا سکتے ہیں، علم ہی کے بارے میں حضرت علی رضی اللہ عنہ کا ارشاد گرامی ہے العلم باق لا یزال (علم باقی رہنے والا جوہر ہے جو کبھی فنا اور ختم نہیں ہوگا) کیونکہ یہ انبیاء کی میراث ہے ارشاد گرامی ہے:إنَّ العلماءَ ورثةُ الأنبياءِ، وإنَّ الأنبياءَ، لم يُوَرِّثوا دينارًا، ولا درهمًا، إنما وَرّثوا العلمَ، فمن أخذه أخذ بحظٍّ وافرٍ (رواه أبو داود (3641)، والترمذي (2682)رہی بات خاص علم دین کی تواس کی اہمیت و فضیلت تو مسلّم ہے قرآن و حدیث کے صفحات علم دین کی فضیلت سے بھرے پڑے ہیں، علم جہاں نعمت خداوندی ہے وہیں رحمت ربانی بھی ہے، جہاں ذریعۂ برکت ہے تو وہیں باعث نجات اور وجہِ سربلندی ہے، اصل علم تو علمِ دین ہے،یہی علم دین انسان کو گمراہی سے ہدایت تک پہنچاتا ہے، تاریکی کے قعر مذلت سے نکال کر نور ہدایت سے روشناس کرتا ہے،اسی علم دین سے وابستگی نے قومِ مسلم کو ہرمحاذ پر کامیاب کیا،اسی علم دین سے جُڑے رہنے کی بنیاد پر اسلامی شوکت کا علَم بنجر وادیوں کی سربلند چوٹیوں پر لہرایا،اسی علم دین سے رشتہ و تعلق نے امت مسلمہ کو عظیم مناصب اور کامیابی کی بلند منازل پر فائز کیا،اسی علم دین سے وابستگی کی بنیاد پر کبھی ساری دنیا میں تہذیبِ اسلامی کا سویرا تھا،مغرب کی گمراہ کن تہذیب وادیِ ضلالت میں غرقاب تھی۔ان سب فضائل کے باوجود بھی آج ہمارا معاشرہ علم دین سے کوسوں دور ہوتا جارہا ہے اور دن بہ دن دینی علوم سے دوری میں اضافہ ہی ہوتا جارہا ہے، اس پر جتنا افسوس کیا جائے کم ہے کہ ایک بچہ مسلمان گھرانے میں پیدا ہونے کے باوجود صحیح کلمہ پڑھنا نہیں جانتا ہے، طہارت اور نماز کے ضروری مسائل سے ناواقف ہوتا ہے، قرآن مجید کی چھوٹی چھوٹی سورتیں بھی صحیح ڈھنگ سے نہیں پڑھ پاتا، اسلام کے بنیادی عقائد، اور وہ ضروریات دین جن پر ایمان کا دارومدار ہے اس کا بھی علم نہیں رکھتا، کیا شہر، کیا گاؤں اور دیہات ہر جگہ بقدر ضرورت دینی تعلیم کا فقدان ہے ،اور افسوس صد افسوس یہ ہے کہ مسلم معاشرہ دینی تعلیم کی اہمیت اور ضرورت ہی کو سرے سے نظر انداز کررہا ہے اور سارا زور صرف اور صرف عصری علوم کو حاصل کرنے پر لگا رہا ہے،اعلیٰ نوکری اور عمدہ جاب کے چکر میں دین و شریعت کی پاسداری کا لحاظ بھلا بیٹھا ہے، دنیوی تعلیم کا حصول شریعت میں منع نہیں ہے بلکہ ہر علم نافع کا حصول بیحد ضروری ہے لیکن شریعت کو پس پشت ڈال دینا اور دینی تعلیم سے یکسر غافل ہوکر زندگی گذارنا دنیا میں بھی نقصان دہ اور آخرت میں بھی موجب عقاب ہے،حالانکہ دین کا اتنا علم سیکھنا کہ جس کے ذریعہ انسان شریعت کے مطابق اپنی زندگی گزار سکے، ہر کلمہ گو پر فرض ہے، خواہ اس کا تعلق عقائد سے ہو یا عبادات سے، معاملات سے ہو یا معاشرت سے، چنانچہ ارشاد نبوی ہے:طلب العلم فريضة على كل مسلم.(رواه ابن ماجة)یہ حقیقت ہے کہ جب تک انسان کو احکام خداوندی اور تعلیماتِ نبوی کا علم نہیں ہوگا اس وقت تک یقینا ان پر عمل پیرا ہونا بھی ناممکن اور مشکل ہوگا اور جب دین سے ناواقفیت کی وبا عام ہوگی تو امت طرح طرح کی پریشانیوں اور دشواریوں کا شکار ہو جائے گی۔چنانچہ نبی کریم علیہ الصلوٰۃ والسلام کا ارشاد گرامی ہے :عَنْ عَبْدِ اللَّہِ بْنِ عَمْرٍو قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّہِ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ: إِنَّ اللَّہَ لَا یَقْبِضُ الْعِلْمَ انْتِزَاعًا یَنْتَزِعُہُ مِنَ الْعِبَادِ وَلَکِنْ یَقْبِضُ الْعِلْمَ بِقَبْضِ الْعُلَمَاء ِ حَتَّی إِذَا لَمْ یُبْقِ عَالِمًا اتَّخَذَ النَّاسُ رُء ُوسًا جُہَّالًا فَسُئِلُوا فَأَفْتَوْا بِغَیْرِ عِلْمٍ فضلوا وأضلوا”.(متفق علیہ، مشکوٰة المصابیح:33)ترجمہ:حضرت عبدالله بن عمرو رضی الله عنہ سے نبی کریم علیہ السلام کا یہ فرمان مروی ہے کہ الله رب العزت علم دین کو اچانک (بندوں کے سینوں سے) نہیں ختم کرے گا، لیکن وہ علماء کرام کو وفات دے کر علم دین کو ختم فرمائے گا، یہاں تک کہ جب کوئی عالم ( دین کا ضروری علم رکھنے والا) باقی نہیں رہے گا تو لوگ جاہلوں کو اپنا راہنما اور راہبر بنالیں گے اور ان ہی سے مسائل پوچھیں گے ، وہ لوگوں کو بغیر جان کاری کے فتویٰ دیں گے اور مسائل بتائیں گے، جس کی وجہ سے خود بھی گم راہ ہوں گے اور عوام کو بھی گم راہ کریں گے۔ذرا نبی کریم صلی اللہ علیہ و سلم کے اس جامع فرمان پر غور کیجئے!! اور دیکھیے کہ علم دین کے سلسلے میں معاشرہ کی کیا صورت حال ہے؟در حقیقت حدیث شریف میں جو صورت حال بتائی گئی ہے اس وقت من وعن اسی صورت حال سے ہمارا معاشرہ گذر رہا ہے، علوم دینیہ سے بے رغبتی عام ہوگئی ہے لوگوں کو دین اور علم دین سے کوئی رغبت نہیں رہی اور عام لوگ جاہلوں کو ہی اپنا سردار اورراہ نما بناچکے ہیں،ان ہی سے مشورے کرتے ہیں حد تو یہ ہوگئی کہ اب ان ہی سے مسائل بھی پوچھ رہے ہیں، بے دینی کے عام ہونے اور علم دین سے بے رغبتی اور علماء دین کی تحقیر کی بنا پر آج عوام خود بھی گمراہی کے شکار ہیں اور اوروں کو بھی اس گمراہی میں گھسیٹ رہے ہیں، جس کے نتیجہ میں آج مسلمان عقائد و احکام میں شکوک و شبہات میں مبتلا ہیں،عبادات و معاملات کی ادائیگی میں غافل ہیں،معاشرت و معیشت کے اسلامی اصول سے بالکلیہ ناواقف ہیں،حقوق اللہ ہو یا حقوق العباد دونوں کی ادائیگی پر کوئی توجہ باقی نہیں ہے، ذہنوں میں صبح وشام،رات ودن حرام اور حلال کی تمیز کے بغیر صرف دولت جمع کرنے کی فکر سوارہے-اللّٰہ تعالیٰ قوم مسلم کو صراط مستقیم پر گامزن فرمائے،اور انہیں اپنے بچوں کی تعلیم وتربیت کی فکر کے ساتھ آپس میں اتفاق واتحاد اور محبت ومودت کی زندگی بسر کرنے کی توفیق مرحمت فرمائے-صلوٰة وسلام اور دعا پر یہ مجلس خیر اختتام پزیر ہوئی

-رپورٹ

:محمد نصیر انواری بن محمدآدم متعلم درجۂ فضیلت:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف، باڑمیر(راجستھان)

रीवड़ी,जैसलमेर में जल्सा-ए- ईसाले षवाब। मौत एक अटल हक़ीक़त।लिहाज़ा आखिरत की तय्यारी करें!…अ़ल्लामा सय्यद पीर नूरुल्लाह शाह बुखारी!17 फरवरी 2022 ईस्वी बरोज़:जुमेरात

रीवड़ी जैसलमेर के साबिक़ सरपंच मरहूम फोटे खान के ईसाले षवाब के लिए एक अ़ज़ीमुश्शान “जल्सा-ए-सिकन्दरी व इस्लाहे मुआ़शरा” का इन्इक़ाद किया गया,जिस में इलाक़े के बहुत से उ़ल्मा-ए-किराम व तालिबाने उ़लूमे नबविया ने शिरकत कर के इज्तिमाई क़ुरआन ख्वावी कर के मरहूम के लिए दुआ़-ए-मग़्फिरत व ईसाले षवाब किया।फिर बाद नमाज़े ज़ुहर तिलावते कलामे रब्बानी से जल्से की शुरूआ़त की गई!दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ और कुछ दीगर इदारों के बच्चों ने नअ़तहा-ए-रसूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम पेश किया।जब की खुसूसी नअ़त ख्वाँ की हैषियत से क़ारी अमीरुद्दीन साहब सिकन्दरी ने खुसूसी नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।फिर रीवड़ी के क़ाज़ी मौलाना सूफी अ़ब्दुल करीम साहब सिकन्दरी ने इफ्तिताही खिताब किया…आप के बाद दारुल उ़लूम क़ादरिया फैज़े सिकन्दरिया जैलमेर के सदरुलमुदर्रिसीन हज़रत मौलाना शाहमीर साहब सिकन्दरी ने “इस्लाहे मुआशरा” के उ़न्वान पर बहुत ही शान्दार बयान किया…फिर खतीबे हर दिल अ़ज़ीज़ हज़रत मौलाना जमालुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी ने सिंधी ज़बान में क़ौम को खिताब किया…बादहु दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ के नाज़िमे तअ़लीमात हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही ने अरकाने इस्लाम बिलखुसूस नमाज़ की अहमियत व फज़ील और नमाज़ न पढ़ने वालों के सिल्सिले में वईदों के बारें में मुख्तसर मगर जामेअ़ खिताब किया।निज़ामत के फराइज़ हज़रत मौलाना अल्हाज पठान साहब सिन्दरी साबिक़ सदर मुदर्रिस:दारुल उ़लूम फैज़े राशिदिया सम,जैलमेर ने बहुस्न व खूबी निभाते हुए आखिरी और खुसूसी खिताब के लिए नूल उ़ल्मा शैखे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़िल्लहुल आ़ली मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ को दावते खिताब दिया-क़िब्ला सय्यद साहब ने अपने खिताब के दौरान फरमाया कि “जब मौत एक अटल हक़ीक़त है,और यह एक एैसी चीज़ है कि इस का ज़एक़ा हर एक नफ्स को चखना है जैसा कि यही क़ुरआन का फैसला भी है और इस बाबत किसी को कोई इन्कार भी नही है तो एैसी सूरत मे हम सभी लोगों को चाहिए कि जब हमें इस दुनिया-फानी को खैराबाद कहना है तो इस के लिए यानी आखिरत के लिए हमेशा तय्यारी में मसरूफ रहें,ज़्यादा से ज़्यादा नेक कामों के करने की कोशिश करें, नमाज़ व दीगर अरकाने इस्लाम के अदाइगी की हर मुम्मकिन कोशिश करें,अपने माँ बाप की खूब खूब खिदमत करें,अपने पीराने तरीक़त से अ़क़ीदत व मुहब्बत रखें,उ़ल्मा-ए-किराम की तअ़ज़ीम व तकरीम करें,जुम्ला अवामिरे शरइय्या पर अमल और मन्हिय्यात से बचने की कोशिश करें “आप के नासिहाना खिताब के बाद मरहूम फोटे खान के ईसाले षवाब के लिए इज्तिमाई फातिहा ख्वानी करके दुआ़-ए-मग़फिरत की गई।सलातो सलाम व दुआ़ पर यह जल्सा इख्तिताम पज़ीर हुवा।इस प्रोग्राम में खुसूसियत के साथ यह हज़रात शरीक हुए।हज़रत सय्यद इस्माईल शाह बुखारी कच्छ,भुज(गुज:),हज़रत मौलाना बाक़िर हुसैन क़ादरी अनवारी,क़ारी मुहम्मद अ़ब्बास सिकन्दरी,क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी,क़ारी अ़ब्दुस्सुब्हान साहब सिकन्दरी खतीब व इमाम:जामा मस्जिद रीवड़ी,मौलाना अ़ब्दुल करीम गुल्ज़ारी खतीब व इमाम जामा मस्जिद मतुओं की ढाणी,क़ारी मुहम्द उ़र्स सिकन्दरी अनवारी,मास्टर मुहम्मद यूनुस साहब वग़ैरहुम-जब कि हज़ारों की तअ़दाद में अ़वामे अहले सुन्नत बिलखुसूस सिकन्दरी जमाअ़त के लोगों न् शिरकत कर के मरहूम के लिए दुआ़-ए- मग़्फिरत की।रिपोर्ट:मुहम्मद अनवर अ़ली सिकन्दरी S/O अ़ब्दुल मलूक मुतअ़ल्लिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया,ज़िला:बाड़मेर(राजस्थान)

ریوڑی جیسلمیر میں جلسۂ ایصال ثواب::-موت ایک اٹل حقیقت:لہٰذا آخرت کی تیاری کریں:علّامہ پیر سید نوراللّٰہ شاہ بخاری گذشتہ روز [17 فروری 2022 عیسوی بروز؛جمعرات]

ریوڑی جیسلمیر کے سابق سرپنچ مرحوم فوٹے خان کے ایصال ثواب کے لیے ایک عظیم الشان “جلسۂ سکندری واصلاح معاشرہ”کا انعقاد کیا گیا،جس میں خصوصی خطاب کرتے ہوئے علاقۂ تھار کی عظیم وممتاز دینی درسگاہ”دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر” کے مہتمم وشیخ الحدیث وخانقاہ عالیہ بخاریہ کے صاحب سجادہ نورالعلماء شیخ طریقت حضرت علّامہ الحاج سیدنوراللّٰہ شاہ بخاری مدّظلہ العالی نے فرمایا کہ موت ایک اٹل حقیقت ہے اس لیے ہم سبھی لوگوں کو چاہییے کہ ہم آخرت کی زیادہ سے زیادہ تیاری کریں، کیونکہ موت ایک ایسی چیز ہے کہ اس کا ذائقہ چکھنے کے بعد آنکھ دیکھ نہیں سکتی، زبان بول نہیں سکتی، کان سن نہیں سکتے، ہاتھ پیر کام نہیں کرسکتے۔ موت نام ہے روح کا بدن سے تعلق ختم ہونے کا اور انسان کا دار فانی سے دار بقا کی طرف کوچ کرنے کا۔ موت پر انسان کے اعمال کا رجسٹر بند کردیا جاتا ہے، اور موت پر توبہ کا دروازہ بند اور جزا وسزا کا وقت شروع ہوجاتا ہے۔ حضور اکرم  نے ارشاد فرمایا کہ “اللہ تعالیٰ بندہ کی توبہ قبول کرتا ہے یہاں تک کہ اُس کا آخری وقت آجائے”
    ہم ہر روز، ہر گھنٹہ، بلکہ ہر لمحہ اپنی موت کے قریب ہوتے جارہے ہیں۔ سال، مہینے اور دن گزرنے پر ہم کہتے ہیں کہ ہماری عمر اتنی ہوگئی، لیکن حقیقت یہ ہے کہ یہ ایام ہماری زندگی سے کم ہوگئے-مزید آپ نے اپنے خطاب کے دوران موت کے تعلق سے آیت کریمہ “کل نفس ذائقة الموت” کے تحت فرمایا کہ “اللہ تعالیٰ کا ارشاد ہے کہ ہر جاندار کو موت کا مزا چکھنا ہے ۔ موت اور زندگی دونوں کو اللہ نے خلق فرمایا۔ موت برحق ہےجو ہر ایک کو آنی ہیں۔ دنیا میں اگر دیکھا جائے تو لوگ ہر چیز کے منکر ہوگیے حدتو یہ کہ اللہ کے وحدانیت وربوبیت اور نبی کریم صلّی اللہ علیہ وسلّم کی نبوت اور رسالت کے بھی منکر ہوگئے ۔لیکن آج تک کوئی بھی موت کا منکر نہیں ہوا کیونکہ ایسا کوئی طبیب ہی نہیں جو موت کاعلاج کرکے زندگی دلاسکے ۔ موت ایسی شی ہے کہ دنیا کا کوئی بھی شخص خواہ وہ کافر ہو یا فاسق و فاجر حتیٰ کہ دہریہ ہی کیوں نہ ہو، موت کو یقینی مانتا ہے۔ اگر کوئی موت پر شک وشبہ بھی کرے تو اسے بے وقوفوں کی فہرست میں شمار کیا جاتا ہے کیونکہ بڑی بڑی مادی طاقتیں اور مشرق سے مغرب تک قائم ساری حکومتیں موت کے سامنے عاجز وبے بس ہوجاتی ہیں موت کے بعد ہی انسان کی اصلی اور ابدی زندگی کا سفر شروع ہوجاتا ہے ۔انسان اس دنیا سے چلا جائے تو انتقال کر جاتا ہے جسکا معنی ہے ایک جگہ سے دوسری جگہ منتقل ہونا۔ دنیا میں ما سوائے اللہ کوئی چیز باقی رہنے والی نہیں،باقی سب کچھ فنا ہونے والا ہے۔
دنیا میں انسان وقت ِ متعینہ کےلئے ترتیب سے آتا ہے، پہلے دادا پھر باپ پھر بیٹا، لیکن دنیا سے جاتے وقت مالک الموت ترتیب نہیں بلکہ وقت متعین دیکھتا ہے۔ موت چھوٹے اور بڑے کو نہیں دیکھتی ہے ۔وہ دودھ پیتے ہوئے بچے کو اسکی ماں چھین لیتی ہے ۔ موت نہ رنگ و نسل دیکھتی ہے ، نہ ذات اور مرتبے کو۔موت نہ نیک و صالح لوگوں پر رحم کرتی ہے اور نہ ہی ظالموں کو بخش دیتی ہے ۔ ہر ایک کو اپنے گلے سے لگا کر رہتی ہے، پھر چاہے وہ جہاں کہیں بھی ہو وہاں پہنچ جاتی ہے۔یہاں تک کہ خود کو اللہ کہنے والا فرعون بھی موت سے نہیں بچ پایا ۔ اس لیےانسان کو ہر حال میں ہوشیاررہنا چاہییے اور ہمیشہ احتیاط سے کام لینا چاہییے اور اس بات پہ کامل یقین رکھنا چاہییےکہ یہ دنیا فانی ہے،جو مومن کیلئے قید خانہ ہے ۔ جس طرح ایک قیدی کو قید خانے کے اصول و ضوابط کے ماتحت رہنا پڑتا ہے، اُسی طرح دنیاوی زندگی میں بھی رہنا پڑتا ہے۔ ہر قیدی کو پتہ ہوتا ہے کہ یہ قیدخانہ اُس کے لئے ایک عارضی گھر ہے اوربالآخر اُسے اپنے اصلی گھر میں ہی منتقل ہونا ہے۔گویا ہر کسی کا اپنا اصلی اور ابدی گھر ہے ،اور وہ ہے موت کے بعد آخرت کا گھر ۔ظاہر ہےہر انسان کو آخرکاراپنے مالک کے دربار میں حاضر ہونا ہے ،جہاں اُس کو اپنے کیے کا حساب دینا ہے۔نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم فرماتے ہیں کہ ابن آدم کے قدم تب تک آگے نہیں بڑھ سکتے، جب تک کہ اس سے پانچ چیزوں کے بارے میں سوال نہ کرلیا جائے۔ پہلا:عمر کہاں گزاری؟دوسرا :جوانی کہاں گزاری؟تیسرا:مال کہاں سے کمایا؟چوتھا:مال جو کمایا کہاں پہ صرف کیا؟ اورپانچواں : جو علم حاصل کیا اس پر عمل کتنا کیا؟
لہٰذا ایک انسان کو پہلے سے ہی ان سوالات کی تیاری کرنی چاہے تاکہ وہ اس وقت مجرم نہ ٹھہرایا جائے۔ دنیا میں کوئی بھی نفس ایسا نہیں ہوگا، جس پر کوئی نہ کوئی مصیبت نہ آئی ہوگی۔چنانچہ انسان پر جو بھی آزمائش ڈال دی جاتی ہے اُس پر انسان کو صبر و تحمل سے کام لینا چاہئے ۔ اللہ تعالی قرآن پاک میں فرماتا ہے جس کا مفہوم یہ ہے کہ “میں نے موت اور زندگی کو اس لئے پیدا کیا تاکہ ہم تم کو آزمائیں کہ تم میں سے کون اچھا اور کون بُرا۔” چونکہ اللہ کی طرف سے ہی سب کچھ ہوتا ہے، اسکی اجازت کے بغیر مچھر کاپَر بھی نہیں کٹ سکتا۔لہٰذا شکوے شکایتوں سے پرہیز کرنا چاہیے۔ زندگی اور موت سب اُسی کے قبضۂ قدرت میں ہے۔ اللہ تعالی نے جب آدم علیہ السلام کی تخلیق فرمائی تو پہلے ان کو چیزوں کےنام سکھائے گئے اور اللہ نے انسان کے اندر یہ صلاحیت بھی رکھی کہ وہ نیکی اور برائی میں تمیز کر سکے ۔انسان کی زندگی بامقصد ہے اور اس کی موت بھی بامقصد اور یقینی ہے ۔ایک انسان کو زندگی کا مقررہ وقت اس لئے دیا گیا تاکہ اس کا امتحان لیا جائےاور موت اس لیے آتی ہے کیونکہ امتحان میں پرچے کا وقت ختم ہوتاہے اور پھر موت کے فرشتے کو حکم دیا جاتا ہے کہ وہ اس بندے کو اپنا پرچے سمیت اللہ کے دربار میں لے آئے تاکہ اسکی ابدی اور اصلی زندگی کا فیصلہ طے کرلیا جائےکہ کیا یہ جنت کا حقدار ہے یا جہنم کا ۔اللہ تعالیٰ کسی کے ساتھ بھی ظلم نہیں کرتا بلکہ جس نے جیسا کیا ہوگا ،اسکو اُسی کے مطابق جزا و سزا دی جائے گی۔اللہ عادل ہے اور عدل کو پسند فرماتاہے ۔چونکہ اُس نے انسان کو اختیار دے رکھا ہے، وہ چاہے تو سیدھے راستے اختیار کرلے، چاہے تو غلط راستے چن لے ۔ایک انسان کو غور وفکر کرنے کی ضرورت ہے کہ میرے لیے کیا بہتر ہے ۔انسان کو پہلے ہی یہ دیکھنا چاہئے کہ مجھے کس لیے پیدا کیا گیا اور میری آخری منزل کہاں ہے؟۔جس انسان کو یہ حقیقتِ زندگی سمجھ میں آجائے تو اس کے لیے کوئی چارہ نہیں رہتا کہ وہ اپنی کتاب زندگی کو نیک کاموں سے سجا کراپنےاعمال نامہ کا تحفہ دائیں ہاتھ میں لے لے۔انسان کا اعمال نامہ جیسا ہوگا، اُسی کے مطابق جزا و سزا ہو گی ۔کیونکہ جزا و سزا ضروری ہے ،اگر یہ نہ ہوتا تو پھر نہ ہی زندگی کا کوئی مقصد ہوتا اور نہ امتحان کا کوئی فائدہ ۔اللہ تعالیٰ جس کو بھی زندگی دیتا ہے اس کے لئےامتحان بھی رکھتا ہے تاکہ انسان کی اصلیت پتہ چل جائے، خواہ وہ نیک ہو یا بد ۔اور اگر بندہ اللہ کی پسند کے مطابق زندگی گزار رہا ہو تو وہ فرمانبردار بندوں میں سے ہے اور اگر اللہ کے احکام وفرامین کو چھوڑ کر اپنے نفس کا غلام بن کے اس کی پیروی کرنے لگا تو بے شک اللہ کا باغی ، سرکش اور نافرمان بندوں میں شمار کیا جائے گا ۔انسان کو یہ بات ذہن میں رکھنی چاہیے کہ اِس زندگی کے بعد اللہ تعالیٰ ایک ایسے دن کو بھی لائے گا، جس دن ہم سب کو ازسرِ نو زندہ کیا جائے گا اور ہمارا اعمال نامہ دیکھ کر ہمارے ٹھکانے کا فیصلہ کیا جائے گا کہ اس کی جائے پناہ کہاں ہے ؟ وہ دن ایسا ہے جہاں کوئی بچ نہیں سکتا۔ ۔ نفسی نفسی کا عالم ہوگا کوئی کسی کا پرسان حال نہیں ہوگا وہاں آپ کے نیک اعمال کام آئیں گے ۔
یقیناً موت سب سے بڑی حقیقت ہے جسے ہر شخص بھلا بیٹھا ہے اور زندگی سب سے بڑا دھوکا ہے جس کے پیچھے ہر کوئی بھاگ رہا ہے۔
موت یقینی اور اکیلا سفر ہے جو ہر انسان کو اکیلے طے کرنا ہے ۔اس کے ساتھ نامۂ اعمال کے سوا کچھ نہیں جائے گا، نہ ہی اس کے ماں باپ نہ ہی احباب و اقارب ۔ موت انسان کا محافظ اور وفادار دوست ہے جو اپنے مقررہ وقت پر آکر اس کی روح قبض کر لیتی ہے ، لہٰذا موت کی تیاری لازمی ہے ۔ انسان کو ہر سانس لیتے وقت یہ دل میں رکھنا چاہئے کہ ابھی موت آئے گی ،تب جاکے انسان دنیا کی لذتوں کو چھوڑکر آخرت کا فکر مند رہے گا ۔ حضرت ابو ہریرہ سے روا یت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ “لذتوں کو توڑنے والی چیز (موت) کو کثرت سے یاد کرو” یعنی موت یاد کرنے سے دنیا کی اِن لذتوں کو بدمزہ کردو تاکہ ان کی طرف طبیعت مائل نہ ہو اور تم صرف اللہ کی طرف متوجہ ہوجاؤ۔ اللہ اپنے بندوں کو مختلف مرحلوں اور حالات سے گزاتا ہے کبھی غم اور خوشی دے کر، کبھی بڑھاپا اور کبھی جوانی دے کر تاکہ وہ دیکھے کہ میرا شاکر بندہ کون ہے اور ناشکری کرنے والا کون ہے؟ اور کون مجھے یاد کرتا ہے اور کون بھلا بیٹھا ہے؟ کون مصیبتوں پر صبر کرتا ہے،کون نہیں؟ اور وہ لوگ نادان اور احمق ہیں جو مصیبتوں کے آنے پر ہی اللہ کو یاد کرتے ہیں اور عقلمند انسان کبھی ایسا احمقانہ کام نہیں کرے گا کہ اُس پر مصیبت آئےتو وہ خود کو اللہ کے سامنے رگڑنا شروع کر دے اور جب مصیبت ٹل جائےتو اللہ کو بالکل ہی بھول جائے۔ ایک انسان کی زندگی چاہے کتنی ہی لمبی کیوں نہ ہو، آخرکار ختم ہوہی جاتی ہے اور جو ابدی زندگی ہے، وہ آخرت ہے ۔ لہٰذا انسان کو اس زندگی کیلئےسامان تیار کرنا چاہیے جو اصلی ہے ۔ انسان کی روح جب نکالی جاتی ہے تو اس پر اسی وقت قیامت آتی ہے اور اصلی گھر کا سفر شروع ہوتا ہے ۔ کسی کے بس میں بھی نہیں ہے کہ وہ اس میں تبدیلی لائے ۔لہٰذا انسان کےلیے ضروری ہے کہ وہ زندگی کے ہر لمحے کو بھلائی اور نیک کاموں میں گزارے تاکہ جنت اس کو حاصل ہوجائے اور عذاب الہٰی سے بچ سکے ۔
آپ کے خطاب سے قبل ان حضرات نے بھی اصلاح معاشرہ،اصلاح عقائد واعمال اور جملہ ارکان اسلام بالخصوص نمازپنجگانہ کی پابندی اور اس کی اہمیت وفضیلت پر مشتمل تقاریر کیں!
ادیب شہیرحضرت مولانا محمدشمیم احمدنوری مصباحی،ناظم تعلیمات: دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف، حضرت مولاناشاہ میر صاحب سکندری صدرالمدرسین:دارالعلوم قادریہ فیض سکندریہ جیسلمیر،حضرت مولانا جمال الدین صاحب قادری انواری،
نائب صدر:دارالعلوم انوارمصطفی سہلاؤشریف-
قاضیِ ریوڑی حضرت مولانا صوفی عبدالکریم صاحب سکندری نیگرڑا-

نظامت کے فرائض حضرت مولاناالحاج محمدپٹھان صاحب سکندری سابق صدرالمدرسین: دارالعلوم فیض راشدیہ سَم، جسلمیر نے بحسن وخوبی نبھائی-
جب کہ خصوصی نعت خوان کی حیثیت سے قاری امیرالدین صاحب سکندری نے شرکت کی-

اس پروگرام میں خصوصیت کے ساتھ یہ حضرات شریک ہوئے-
مولاناباقرحسین صاحب قادری انواری،قاری محمدعباس صاحب سکندری،قاری ارباب علی قادری انواری،مولاناریاض الدین سکندری انواری،قاری عبدالسبحان صاحب سکندری خطیب وامام: جامع مسجد ریوڑی،مولاناعبدالکریم گلزاری خطیب وامام:جامع مسجد متؤں کی ڈھانی،قاری محمد عرس سکندری انواری،ماسٹر محمدیونس صاحب جبکہ ہزاروں کی تعداد میں عوام اہل سنّت بالخصوص سکندری جماعت کے لوگوں نے شرکت کر کے مرحوم کے لیے دعائے مغفرت وایصال ثواب کیا-
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آخر میں مرحوم کے حق میں اجتماعی فاتحہ خوانی ہوئی،اور صلوٰة وسلام ودعا پر یہ مجلس اختتام پزیر ہوئی!

رپورٹر:محمدانور علی سکندری انواری بن عبدالملوک
متعلم:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر(راجستھان)

دارالعلوم رضائے مصطفیٰ ممبرا کے ایک ۱۲ سالہ طالب علم محمدعثمان نے ایک نشست میں مکمل قرآن سنایا-✒️محمدشریف القادری اشفاقی بہرائچی!صدرالمدرسین:دارالعلوم رضائے مصطفیٰ چاندنگر،کوسہ،ممبرا، ممبئ[مہاراشٹر]

ممبئ مہاراشٹر میں واقع دارالعلوم رضائے مصطفیٰ چاندنگر،کوسہ،ممبرا کے شعبۂ حفظ کے ایک کم سن ہونہار طالب علم حافظ محمد عثمان بن امیر احمد ساکن:سرائےقاضی بہرائچ شریف(یوپی)نے دارالعلوم کے سربراہ حضرت حافظ وقاری باب السلام صاحب قادری کی سرپرستی اور اپنے استاذ خاص حضرت حافظ وقاری محمدشریف القادری اشفاقی بہرائچی وحضرت حافظ وقاری محمدسعود رضاقادری کی نگرانی اور دارالعلوم کے دیگر اساتذہ وطلبہ کی موجودگی میں ایک نشست میں مکمل قرآن پاک سناکر اپنے اساتذہ اور والدین کا سر فخر سے اونچا کردیا-اللّٰہ تعالیٰ عزیزم حافظ محمدعثمان سلّمہ کو مزید علوم دینیہ کے حصول کی توفیق سعید بخشے-حافظ محمدعثمان نے صبح آٹھ بجے سے پوراقرآن پاک ایک نشست میں سنانا شروع کیا اور بحمداللّٰہ محض ایک غلطی کے ساتھ شام ساڑھے چھ بجے تک پورا قرآن پاک مکمل کردیا-اس موقع پر دارالعلوم میں فاتحہ خوانی کا اہتمام کیا گیا جس میں دارالعلوم کے اساتذہ وطلبہ نے خوشی کا اظہار کرتے حافظ محمدعثمان کو مبارکباد پیش کی اور ان کے تابناک مسقبل کے لیے دعاؤں سے نوازا- ازیں قبل دارالعلوم رضائے مصطفیٰ کے ایک اور طالب علم حافظ محمد شاہد بھی ایک نشست میں مکمل قرآن سنانے کی سعادت حاصل کر چکے ہیں، جب کہ ان شاءاللّٰہ العزیز دارالعلوم کےایک اور خوش نصیب وہونہار طالب علم ۱۷ فروری ۲۰۲۲ء کو ایک نشست میں مکمل قرآن سنانے کا شرف حاصل کریِں گے- یقیناً قرآن پاک کا حافظ ہونا بہت ہی اکرام و اعزاز کی بات ہے،کل قیامت کے روز حافظ قرآن اور حافظ قرآن کے والدین کو امتیازی مقام ومرتبہ عطا کیا جائےگا اور اعزاز واکرام سے نوازا جائے گا-اس مجلس میں امت مسلمہ کے لیے دعائے خیراور ملک وملت کے فلاح و بہبود کی دعا کی گئی-

پردہ بری نظروں کے لئے آہنی دیوار ہے۔ عالمہ صدیقہ بانو امجدی

مہراج گنج(شبیر احمد نظامی ) شان سدھارتھ

جامعۃ الصالحات گرلس کالج مغلہا بھگیرتھ پور کی صدر معلمہ عالمہ صدیقہ بانو امجدی نے حالیہ دنوں پردے کے متعلق کرناٹک کے کالجز میں ہو رہے تنازع کی شدید مذمت کی اور کہا کہ پردہ بری نظر والوں کے لئے آہنی دیوار ہے۔ جو پراگندہ افکار و نظریات کے حامل افراد ہیں وہ بے پردگی کو پسند کرتے ہیں۔ لیکن پردہ ہر مذہب کے ماننے والوں کے نزدیک ضروری چیزوں میں سے ہے۔ غیر مسلم عورتیں پردے کے لئے گھونگھٹ اختیار کرتی ہیں۔ لیکن اسلام نے اپنے ماننے والوں کو حجاب (پردہ) ضروری قرار دیا ہے۔
عالمہ ام حبیبہ ضیائی نظامی بنت مولوی اسد علی نظامی چھتونا نے کہا کہ ہمارا ملک جمہوری ملک ہے یہاں ہر ایک کو مذہبی آزادی دی گئی ہے۔ دستور ہند کے حصہ سوم دفعہ 25 میں تمام ہندوستانیوں کو مذہبی آزادی دی گئی ہے۔ ہر ہندوستانی اس بات میں خود مختار ہے کہ وہ اپنی مرضی کے مذہب کو قبول کرے اور ساتھ ہی ساتھ اس مذہب پر عمل کرنے کا اس کو پورا اختیار دیا گیا ہے۔ تو آخر سنگھی ذہنیت کے لوگوں کو اسلامی شعار پردے سے اتنی جلن کیوں ہے۔
عالمہ بشریٰ غیاث نوری معلمہ جامعۃ الصالحات گرلس کالج مغلہا نے کہا کہ اسلام مخالف طاقتیں آئے دن کسی نہ کسی اسلامی حکم اور اس پر عمل درآمد کو لے کر سر گرم رہتی ہے۔ مسلمانوں کو ہراساں کرنے میں نیز دینی اصولوں پر عمل پیرا ہونے کے لئے ہر طرح کے ہتھکنڈے استعمال کرتی ہیں۔ فی الحال ان کی نظروں میں حجاب کھٹک رہا ہے۔ وہ اس پر پابندی عائد کرنے کی بات کر رہے ہیں۔ لیکن انہیں معلوم نہیں کہ اسلام کی مقدس شہزادیاں اپنی اس دینی حکم کو کبھی نہیں چھوڑ سکتی ہیں۔ مخالف جو بھی کوششیں کر لے اس کا منہ توڑ جواب دینے کی کوشش کریں گی۔
عالمہ شگفتہ غیاث اختری نظامی بنت مولانا غیاث الدین خان نظامی مولا گنج نے حالیہ دنوں پردے کے تعلق سے معاملہ سرخیوں میں ہے۔ کرناٹک کے ایک کالج میں مسلم طالبات کو پردے کے ساتھ کالج میں داخلے سے روک دیا گیا۔ وہ طالبات اپنے امتحان کی دہائی دیتی رہیں لیکن انتظامیہ نے انہیں اجازت نہیں دی۔ آخر معاملہ کورٹ تک پہونچ گیا۔ کرناٹک کے مختلف کالجز کے انتظامیہ مسلسل کئی ہفتوں سے حجاب کو لے کر طالبات کو ہراساں کر رہی ہے۔ حالانکہ کہ ہندوستان کا آئین کسی بھی مذہب و مسلک کے لباس کے تعلق سے اجازت دیتا ہے اور کالج انتظامیہ کا اس طرح سے کرنا ہندوستان کے آئین کے ساتھ کھلواڑ کرنا ہوا۔
عالمہ انجم آرا امجدی بنت ماسٹر رعاب اللہ چھتونا نے کہا کہ پردہ صرف ایک معاشرتی و سماجی نظام نہیں بلکہ قرآنی حکم ہے۔ جس پر عمل پیرا ہونا ہر اسلامی بہن پر لازم ہے۔ اسلام نے جو نظام و اصول بنائے ہیں ان کی حجاب یعنی پردہ نہایت اہم حیثیت کا حامل ہے۔

خدا کرے “سہ ماہی پیام بصیرت سیتامڑھی” روز افزوں ترقی کی شاہ راہ پر ہو۔آصف جمیل امجدی {انٹیاتھوک،گونڈہ}رکن: تنظیم فارغین امجدیہ 2010؁ء

بحمدہ تعالیٰ گزشتہ کئی ماہ سے مختلف رسائل و جرائد سے فقیر کا علمی رشتہ ایسا منسلک ہوا کہ مضبوط تر ہوتا چلا گیا۔ ( جس شخص کے اندر تحریری طور پر قوم و ملت کے لیے کام کرنے کا جزبۂ بے کراں پیدا ہوتا ہے، پھر ہر لمحہ سوچ و فکر میں نئے نئے زاوۓ پرقلم چلاتے رہنے کی ایک جادوئی اثر کار فرما ہوجاتی ہے۔ اور اس پر مداومت بخشنے سے دینی، ملی، سماجی و اصلاحی خدمات میں ہر دن آسانیاں پیدا ہوتی چلی جاتی ہیں۔ یہ ایسا مشغلہ ہے جسے ہر عصر میں صاحب فہم و فراست نے مستحسن مشغلہ گردانا ہے۔) انہی متعدد رسالوں کے مابین قوس و قزح کی طرح مختلف النوع مضامین سے مزین “سہ ماہی پیام بصیرت سیتامڑھی” ہے۔ جو ملی، سماجی، ثقافتی، دینی، اقتصادی، معاشرتی تعلیمی حالات و مسائل پر اور بین الاقوامی معاملات و کوائف پر مستند و فکر انگیز تحریر شائع کرنے کی بنیاد پر حلقۂ ارباب و دانش میں ایک نمایاں نام تو پیدا ہی کیاہے، مگر ڈیجیٹل دنیا میں نیرتاباں و شہاب ثاقب بن کر ابھرا ہوا ہے۔ سہ ماہی ہذا کے مدیران و مجلس ادارت کی ٹیم اور جماعت رضاۓ مصطفے شاخ سیتا مڑھی کے اعلیٰ اراکین، خاص کر “مولانا محمد فیضان رضا علیمی صاحب مدیر اعلیٰ و مولانا محمد عامرحسین مصباحی صاحب نائب مدیر نیز مولانا محمد شفاء المصطفے مصباحی صاحب معاون مدیر سہ ماہی پیام بصیرت” کی صلاحیت عصری حالات و کوائف سے (کماحقہ) آگہی کے معیار بالغ نظری اور ملی شعور و حمیت کی بنیاد پر اپنے ہم عصر علماء میں امتیازی شان رکھتے ہیں۔ اس کے مدیران کی نظر صرف موٹی موٹی باتوں پر ہی نہیں بل کہ ایسے نازک اور لطیف پہلو پر بھی گئی ہے جو بظاہر معمولی محسوس ہوتے ہیں۔ مگر جب ان کی جانب توجہ کی گئی تو معلوم ہوا کہ یہ یقیناً قابل توجہ پہلو تھا۔ جیسے ماضی قریب میں کنزالدقائق مفتی حسن منظری قدیری صاحب، فقیہ اہل سنت استاذی الکریم مفتی آل مصطفے مصباحی صاحب اور معمار ملت علامہ شبیہ القادری علیہم الرحمہ جو جماعت اہل سنت کے لیے ریڑھ کی ہڈی تھے۔ جن کی بقا اہل سنت کے لیے کسی نعمت غیر مترقبہ سے کم نہ تھی۔ ان عظیم المرتبت علمی شخصیات کی حیات و خدمات پر مشتمل خصوصی شمارہ نکالنے کا عزم مصمم کرکے وابستگان قرطاس و قلم کو مجموعی طور پر دعوت تحریر دینا شروع کر دیئے ہیں۔
بارگاہ رب العزت میں دعا ہے کہ مولیٰ تعالیٰ سہ ماہی پیام بصیرت سیتامڑھی کو خوب خوب ترقی عطا فرما۔ اور اس کے مدیران کے بازؤں میں قوم و ملت کی خدمت کے لیے غیبی طاقت پیدا فرما۔ آمین

ماہِ رجب المرجب کی پرخلوص مبارک باد🌹🌹🌹 (ماہِ رجب کی فضیلت) :- از،، آصف جمیل امجدی صاحب

•2فروری2022 عیسوی•

مکرمی!۔۔۔۔۔۔۔السلام علیکم ورحمتہ اللہ
الحمدللہ ثم الحمدللہ رجب شریف کا چاند نکل آیا، اور اس بابرکت مہینے کا آغاز ہوچکا ہے۔ اسلامی سال کے ساتویں مہینہ کا نام رجب المرجب ہے۔ اور اس نام کی ایک خاص *وجہ تسمیہ یہ ہے کہ رجب* ترجیب’ سے ماخوذ ہے اور ترجیب کا معنی تعظیم کرنا ہے۔ یہ حرمت والا مہینہ ہے اس مہینے میں جدال و قتال نہیں ہوتے تھے اس لیے اسے *الاصم رجب’ کہتے تھے کہ اس میں ہتھیاروں کی آوازیں نہیں سنی جاتیں۔ اس ماہ کو *اصب’ بھی کہا جاتا ہے کیوں کہ اس ماہ میں اللہ عزوجل اپنے بندوں پر رحمت و بخشش کا خصوصی انعام فرماتا ہے۔ اس ماہ میں #عبادات اور #دعائیں مستجاب ہوتی ہیں۔ اس مقدس ماہ کی ستائیس تاریخ کو اللہ تعالیٰ نے اپنے آخری پیغمبر صلی اللہ تعالیٰ علیہ وسلم کو #معراج کرایا، آسمانوں کی سیر کرائی اور ملاقات کا شرف بخشا۔ #سلطان صلاح الدین ایوبی نے سن 583ھ، 1187ء کو رجب شریف میں فتح بیت المقدس کے بعد مسلمانوں کے ہمراہ مسجد اقصیٰ میں فاتحانہ شان و شوکت کے ساتھ داخل ہوکر عاجزانہ سجدۂ شکر ادا کرنے کا شرف حاصل کیا ۔ “الجامع الصغیر (ص 7948) میں ہے کہ رجب کے پہلے دن کا #روزہ تین سال کا کفارہ ہے۔ اور دوسرے دن کا روزہ دو سال کا، اور تیسرے دن کا ایک سال کا کفارہ ہے۔پھر ہر دن کا روزہ ایک مہینے کا کفارہ ہے۔

              ⁦✍️⁩#آصف_جمیل_امجدی

کورونا: تعلیم سے محروم بچوں کا حکومت خیال کرے: تنظیم فارغین امجدیہ2010؁ء

ماضی میں ہم نے اس سے قبل بھی وائرس کی وبا کے خطرات دیکھے ہیں۔تاہم کبھی کسی نئے وائرس کی وجہ سے دنیا کا نظام اس طرح معطل ہوکر نہیں رہ گیا تھا۔ اتر پردیش میں بچوں کی تعلیم کو مؤثر طور پر جاری رکھنے کے لیے تنظیم فارغین امجدیہ2010؁ء کے متحرک فعال علماۓ کرام نے حکام پر زور دیا ہے کہ تعلیم گا ہوں کو محفوظ انداز میں کھلا رہنا چاہیے۔
کورونا وائرس کے باعث بندش کے دوران حکومتوں اور تعلیمی اداروں سمیت دگر شراکت داروں نے آن لائن تعلیم کو وسعت دینے کی کوشش کی ہے۔ آن لائن تعلیم کو وسعت دینے کے اقدامات کے باوجود اترپردیش سمیت دگر ریاستوں میں بچوں کے اندر سیکھنے کے مواقع میں تشویش ناک حد تک عدم مساوات پیدا ہوگئی ہے۔ بھارت میں کورونا وائرس وبا کی وجہ سے بچوں کی تعلیم پر مرتب ہونے والے اثرات کے تحقیقی رپورٹ میں اس بات کا انکشاف کیا گیا ہے۔ کہ کورونا وائرس کے بڑھتے ہوۓکیسز کی وجہ سے تمام سرکاری اور نجی اسکول کو مکمل طور سے 31/جنوری تک بند رکھا جاۓ گا۔ کورونا وائرس کی وبا کے دوران اتر پردیش سمیت دگر ممالک میں اسکولوں کے بار بار بندش کی وجہ سے ایک اندازے کے مطابق 25/کروڈ 30/لاکھ بچوں کی تعلیم متاثر ہوئی ہے۔ رپورٹ کے مطابق بھارت میں 23/فی صد بچے ایسے ہیں جن کے پاس آن لائن تعلیم حاصل کرنے کے لیے انٹرنیٹ ڈیوائس کی سہولت موجود نہیں ہے۔ مذکورہ رپورٹ میں کہا گیا ہے تعلیمی اداروں کی بندش سے غریب اور محروم خاندانوں کے بچے سب سے زیادہ متاثر ہوۓ ہیں۔ کیوں کہ ان میں سے کئی خاندانوں کے لیے ایک انٹرنیٹ ڈیوائس کا حصول بھی مشکل ہے۔ تو ایسی صورت میں غریب و محروم خاندان کے بچے کیسے تعلیم حاصل کر پائیں گے۔ لہذا تنظیم فارغین امجدیہ2010؁ء کے ماہر تعلیم علماۓ کرام نے حکومت ہند کو یہ یقین دہانی کراکے تعلیم گاہوں کو محفوظ انداز میں کھلا رہنے کی اپیل کی ہے۔
رپورٹر: آصف جمیل امجدی