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अल्लाह के बंदों तक दीन का पैगाम पहुंचाना और उन्हें अल्लाह से जोड़़ना ओलिया-ए-किराम का असल मिशन:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी


आचाराणियों की ढाणी,उंद्रोड़ में हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्रहमा की याद में “जल्सा-ए-सरवरी” मनाया गया।

(उंद्रोड़,बाड़मेर,राजस्थान) 31/मई 2022 ईस्वी मंगलवार को जुम्ला मुसलमानाने अहले सुन्नत बिलखुसूस “सरवरी जमाअ़त” आचाराणियों की ढाणी,उंद्रोड़ की जानिब से हज़रत मख्दूम शाह लुत्फुल्लाह अल मअ़रूफ हज़रत मख्दूम नूह सरवर हालाई अ़लैहिर्रहमा की याद में “जल्सा-ए- सरवरी” इन्तिहाई अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ मनाया गया-
इस जल्से की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से की गई, बादहू दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के कुछ होनहार तल्बा ने यके बाद दीगरे लोगों के सामने नअ़त व मन्क़बत और दीनी व इस्लाही मौज़ूअ़ पर तक़ारीर पेश कीं,लोगों ने बच्चों की दाद व दहिश के ज़रिया खूब हौसला अफज़ाई की, जब कि खुसूसी नअ़त ख्वाँ की हैषियत से वासिफे शाहे हुदा हज़रत क़ारी अ़ताउर्रहमान साहब क़ादरी अनवारी जोधपुर ने भी नअ़त व मन्क़बत ख्वानी का शर्फ हासिल किया।

फिर रीवड़ी बाड़मेर से तशरीफ लाए हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद पठान साहब सिकन्दरी ने “नमाज़ और औलिया-ए-किराम की तअ़लीमात” के उ़न्वान पर बहुत ही नासिहाना और उ़म्दा खिताब किया।

आखिर में इस जलसे के खुसूसी खतीब व सरपरस्त नूरुल उ़़ल्मा पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा व सज्जादा नशीन:खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया सेहलाऊ शरीफ ने कम वक़्तों मे इन्तिहाई जामेअ़, नसीहतों से पुर और दुआ़ईया कलिमात से नवाज़ा।
आप ने अपने खिताब में फरमाया कि “बिला शुब्हा किसी भी बुज़ुर्ग की याद मनाने और उन की रुह को ईसाले षवाब व बुलंदी-ए-दरजात की दुआ़ करने के लिए उन के मुहिब्बीन [चाहने वालों] व मुरीदीन और मुअ़तक़िदीन वग़ैरह का उन के नाम की जानिब निस्बत करते हुए नेक मज्लिसों का इन्इक़ाद करना व सजाना और एैसी मज्लिसों में ज़िक्रुल्लाह,नअ़्त ख्वानी और क़ुरआने पाक की तिलावत, उ़ल्मा-ए-दीन के ज़रिया वअ़ज़ व नसीहत और अल्लाह व रसूल के अहकाम व फरमूदात और बुज़ुर्गाने दीन के हालात व खिदमात पर मुश्तमिल बयानात और इस के एलावा दोसरे नेक काम कर के उन को जो ईसाले षवाब किया जाता है वोह जाइज़ व मुस्तहसन है…क्यो कि इस तरह से बुज़ुर्गाने दीन की याद गीरी करने का असल मक़्सद उन को ईसाले षवाब करने के साथ एैसी नेक मज्लिसों के ज़रिया लोगों तक अल्लाह व रसूल और बुज़ुर्गाने दीन के पैग़ामात को लोगों तक पहुंचाना और लोगों को दीन व शरीअ़त के क़रीब करना,और लोगों के अंदर दीनी जज़्बा बेदार करना होता है।
आप ने अपने खिताब के दौरान क़ौम को मुखातब कर के इख्तिसार के साथ हज़रत मख्दूम नूह सरवर हालाई अ़लैहिर्रहमा के हालाते ज़िंदगी को भी कुछ इस तरह बयान फरमाया कि “आप हज़रात ने जिस बुज़ुर्ग की याद में इस महफिल का इन्इक़ाद किया है वोह हज़रत मख्दूम नूह सरवर हालाई अ़लैहिर्रहमा हैं,जिन का शुमार बिला शुब्हा सरज़मीने सिंध के मशहूर व मअरूफ और बुज़ुर्ग सूफिया में होता है-
आप का नामे नामी इस्मे ग्रामी शाह लुत्फुल्लाह और लक़ब मख्दूम नूह सरवर और वालिदे ग्रामी का नाम हज़रत नेअ़मतुल्लाह शाह है-आप का सिलसिला-ए-नसब हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआ़ला अ़न्हु से जा मिलता है-आप के जद्दे आला शैख अबू बकर बूबक ज़िला दादू के मक़ाम पर आबाद हुए-
हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्रहमा की विलादते बा सआ़दत[पैदाइश] 27 रमज़ानुल मुबारक 911 हिजरी बरोज़ जुम्आ़ मुबारका सूबा-ए-सिंध के मौजूदा मटियारी ज़िला के शहर व तअ़ल्लुक़ा [तहसील] हाला में हुई-
अल्लाह तआ़ला ने आप को इल्मे लदुन्नी से मालामाल फरमाया था,आप का शुमार सिंध के सरकरदा औलिया-ए-किराम में होता है-आप हर शख्स से उस के हस्बे हाल गुफ्तगू फरमाते और बर महल व बरजस्ता क़ुरआनी आयतों से इस्तिदलाल फरमाते-क़ुरआन मजीद के मआ़नी व मतालिब [तौज़ीह व तशरीह] इस अंदाज़ से बयान फरमाते कि बड़े बड़े उ़़ल्मा भी दम ब खुद [हैरान] रह जाते-बुज़ुर्गाने दीन के हालात और उन से मुतअ़ल्लिक़ बातों का ज़िक्र एैसे पुर ताषीर अंदाज़ में करते कि सामईन को रुजूअ़ इलल्लाह की दौलत हासिल हो जाती-
आप की करामतैं बचपन से ही ज़ाहिर होने लगीं थीं जिन से आप का मादर ज़ाद [पैदाइशी] वली होना षाबित हो गया था,…बुज़ुर्गों से मन्क़ूल है कि पैदाइश के सातवीं दिन क़रीब की मस्जिद से अज़ान की आवाज़ आई, उस वक्त आप झूले में आराम कर रहे थे, जब अज़ान खतम हुई तो आप ने फसीह व बलीग़ अ़रबी ज़बान में कहा نعم لااله الاالله ولا نعبد الااياه مخلصين له الدين
ऐक मरतबा हुज़ूर ग़ौषे पाक रदियल्लाहु तआ़ला अ़न्हु की औलाद में से ऐक बुज़ुर्ग आप के पास आए और कहा कि मैं आप को इजाज़त व खिलाफत देने और फाइदा पहुंचाने के लिए आया हूं, और मैं इल्मे कीमिया भी जानता हूं अगर आप कहें तो आप को इल्मे कीमिया भी सिखा सकता हूं, जो शायद किसी वक़्त आप के काम आए-आप ने जवाब में फरमाया: कि जिस दिन से मैं बारगाहे नबवी से मुशर्रफ हुवा हूं दुनिया की हविस दिल से निकल गई है,यह कह कर आप ने ऐक दिरहम मंगवाया और उस पर मिट्टी मल दी तो वह बिलकुल खरा सोना बन गया”-
हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्हमा का विसाल 87 साल की उ़म्र में 27 ज़ुलक़अ़दा 988 हिजरी ब मुताबिक़ 02 जनवरी 1581 ईस्वी को हुवा-

अब्रे रहमत उन की मरक़द पर गोहर बारी करे।
हश्र तक शाने करीमी नाज़ बरदारी करे।

आप का मज़ारे पुर अनवार हाला शरीफ में ज़ियारत गाहे आ़म व खास है।
हज़रत मख्दूम नूह सरवर अ़लैहिर्हमा की हयात व खिदमात पर इस तरह बिल इख्तिसार रोशनी डालते हुए आप ने सभी शुरका-ए-जल्सा को मुखातब कर के फरमाया कि “दुनिया में जितने भी अल्लाह के नेक बंदे या औलियाअल्लाह गुज़रे हैं उन का असल मिशन और मक़सद अल्लाह के बंदों को अल्लाह से जोड़ना,दीन और शरीअ़ते इस्लामिया पर लोगों को कारबंद होने की ताकीद व तल्क़ीन करना ही रहा है-इस लिए हम सभी लोगों को चाहिए कि हम बुज़ुर्गाने दीन की तअ़लीमात पर अ़मल पैरा हों,यही बुज़ुर्गाने दीन के नामों से मज्लिसों के इन्इक़ाद का असल मक़्सद व हदफ है”-
इस दीनी प्रोग्राम में खुसूसियत के साथ यह हज़रात शरीक हुए।
★हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही नाज़िमे तअ़लीमात:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,☆हज़रत मौलाना बाक़िर हुसैन साहब क़ादरी बरकाती अनवारी,★मौलाना अ़ताउर्हमान साहब क़ादरी अनवारी नाज़िमे आला मदरसा क़ादरिया फैज़े जीलानी मेकरन वाला,★मौलाना फिरोज़ रज़ा साहब रतनपुरी आचारियों की ढाणी,☆मौलाना मुहम्मद हमज़ा क़ादरी अनवारी सोलंकिया,★क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी, ☆मौलाना मुहम्मद उ़र्स सिकन्दरी, ★मौलाना फतेह मुहम्मद साहब सरपंच,☆मौलाना निहालुद्दीन साहब अनवारी आसाड़ी,★मास्टर शेर मुहम्मद खान साहब☆जनाब मुहम्मद उ़र्स खान,★जनाब अ:लतीफ खान,☆जनाब मुहम्मद अमीन खान,★जनाब जमाल खान,☆जनाब ग़ुलाम खान,☆जनाब वरियाम खान वग़ैरहुम।

सलातो सलाम और नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह जल्सा समाप्त हुवा।

रिपोर्टर:(मौलाना)हबीबुल्लाह क़ादरी अनवारी।
आफिस इंचार्ज:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा दरगाह हज़रत पीर सय्यद हाजी आ़ली शाह बुखारी,पच्छमाई नगर,सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया [तह:रामसर] ज़िला:बाड़मेर [राज:]

بندگان خدا کو دین وشریعت کا پیغام پہنچانا اور انہیں اللہ سے جوڑنا اولیاء اللہ کا اصل مشن:سیدنوراللہ شاہ بخاری

آچارانیوں کی ڈھانی،اندروڑ میں حضرت مخدوم نوح سرور کی یاد میں جلسہ

(باڑمیر،راجستھان[پریس ریلیز])یقیناً کسی بھی بزرگ کی یاد منانے اور ان کو ایصالِ ثواب وبلندئِ درجات کی دعا کرنے کے لئے ان کے مُحبّین ومریدین اور معتقدین وغیرہ کا ان کے نام سے منسوب محافل ومجالس کا انعقاد کرنا اور ایسی مجالس میں ذکرُاللّٰہ ، نعت خوانی اورقرآنِ پاک کی تلاوت،علمائے کرام کے ذریعہ وعظ ونصیحت اور اللہ ورسول کے احکام وفرمودات اور بزرگان دین کے احوال پر مشتمل بیانات اور اس کے علاوہ دیگر نیک کام کر کے ان کو جو ایصالِ ثواب کیا جاتاہے وہ بلاشبہ جائز و مستحسن ہے-
کیونکہ اس طرح سے بزرگان دین کی یادگیری کرنے کا اصل مقصد ان کو ایصال ثواب کرنے کے ساتھ ایسی مجالس خیر کے ذریعہ لوگوں تک اللہ ورسول اور بزرگان دین کے پیغامات کو پہنچانا اور لوگوں کو دین وشریعت کے قریب کرنا،اور لوگوں کے اندر دینی جذبہ بیدار کرنا ہوتاہے-
مذکورہ خیالات کا اظہار 31 مئی 2022 عیسوی سہ شنبہ کو آچارانیوں کی ڈھانی،اندروڑ،باڑمیر میں سروری جماعت وجملہ مسلمانانِ اہلسنت کی طرف سے حضرت مخدوم شاہ لطف اللہ المعروف مخدوم نوح سرور ہالائی علیہ الرحمہ کی یاد میں منعقدہ عظیم الشان اجلاس میں مغربی راجستھان کی عظیم وممتاز اور علاقۂ تھار کی مرکزی دینی،تربیتی وعصری درسگاہ “دارالعلوم انوارمصطفیٰ” کے مہتمم وشیخ الحدیث اور “خانقاہ عالیہ بخاریہ” سہلاؤشریف کے سجادہ نشین نورالعلماء شیخ طریقت حضرت علامہ الحاج سیدنوراللہ شاہ بخاری مدظلہ العالی نے کیا-
ساتھ ہی ساتھ آپ نے بالاختصار حضرت مخدوم نوح سرور ہالائی علیہ الرحمہ کے حالات زندگی کو بھی کچھ اس طرح بیان فرمایا کہ آپ حضرات نے جس بزرگ کی یاد میں اس محفل کا انعقاد کیا ہے وہ حضرت مخدوم نوح سرور ہالائی علیہ الرحمہ ہیں جن کا شمار بلاشبہ ارضِ سندھ کے مشہور وبزرگ صوفیاء میں ہوتا ہے۔
آپ کااسمِ گرامی لطف اللہ اور لقب مخدوم نوح سرور اور والد کا نام حضرت نعمت اللہ شاہ ہے۔آپ کا سلسلۂ نسب حضرت ابو بکر صدیق رضی اللہ تعالیٰ عنہ سے جاملتا ہے۔آپ کے جدِ اعلیٰ شیخ ابوبکر بوبک (ضلع دادو) کے مقام پر آباد ہوئے۔
حضرت مخدوم نوح سرور کی ولادتِ باسعادت 27 رمضان المبارک 911ھ بروز جمعہ مبارکہ صوبۂ سندھ کے موجودہ مٹیاری ضلع کے شہر وتعلقہ ہالا میں ہوئی۔
اللہ تعالیٰ نے آپ کو علمِ لدنی سے مالا مال فرمایا تھا۔ آپ کا شمار سندھ کے سرکردہ اولیاء کرام میں ہوتا ہے۔ ہر شخص سے اس کے حسبِ حال خود ہی گفتگوکا آغاز فرماتے اور برمحل قرآنی آیات سے استدلال فرماتے۔قرآن مجید کے معانی و مطالب اس انداز سے بیان فرماتے کہ جید علماء کرام بھی دم بخود رہ جاتے۔بزرگانِ دین کے احوال و آثار کا ذکر ایسے پر تاثیر انداز میں فرماتے کہ سامعین کو رجوع الی اللہ کی دولت حاصل ہوجاتی۔
آپ کی کرامات بچپن ہی سے ظاہر ہوگئی تھیں جن سے آپ کا مادر زاد ولی ہونا ثابت ہوگیا۔ منقول ہے کہ پیدائش کے ساتویں روز قریبی مسجد سے اذان کی آواز آئی، آپ جھولے میں آرام کررہے تھے، جب اذان ختم ہوئی آپ نے بزبانِ فصیح کہا: نعم : لا الہ الا اللہ ولا نعبد الا ایاہ مخلصین لہ الدین

ایک مرتبہ حضور غوثِ پاک رضی اللہ تعالیٰ عنہ کی اولاد میں سے ایک صاحب حاضرِ خدمت ہوئےاور کہا کہ میں آپ کو خلافت دینے اور فائدہ پہنچانے کے لئے آیا ہوں، میں علم کیمیا بھی جانتا ہوں اگر آپ کہیں تو میں آپ کو کیمیا بھی سیکھا سکتا ہوں، جو شاید کسی وقت آپ کے کام آئے۔ آپ نے فرمایا: جس روز سے بارگاہِ نبویﷺ سے مشرف ہوا ہوں دنیا کی ہوس دل سے نکل گئی ہے، یہ کہ کر ایک درہم منگوایااس پر مٹی ملی تو وہ بالکل کھرا سونا بن گیا۔

مخدوم نوح سرور علیہ الرحمہ ستاسی سال کی عمر میں27 ذو القعدہ 988ھ/بمطابق 2 جنوری 1581ء کو واصل الی اللہ ہوئے۔ آپ کا مزارِ پرانوارہالہ کندی میں زیارت گاہ خاص و عام ہے۔
حضرت نوح سرور علیہ الرحمہ کی حیات وخدمات پر بالاختصار روشنی ڈالنے کے ساتھ آپ نے سبھی شرکاء جلسہ کو مخاطب کر کے فرمایا کہ دنیا میں جتنے بھی اللہ کے نیک بندے یا اولیاءاللہ گذرے ہیں ان کا اصل مقصد اور مشن بندگان خدا کو اللہ سے جوڑنا،دین اور شریعت کے احکام کو پہنچانا اور شریعت اسلامیہ پر لوگوں کو کاربند ہونے کی تاکید وتلقین کرنا ہی رہا ہے- اس لیے ہم سبھی لوگوں کو چاہیے کہ ہم بزرگان دین کی تعلیمات پر عمل پیرا ہوں یہی بزرگان دین کے ناموں سے محافل کے انعقاد کا اصل مقصد بھی ہے-
آپ کے خطاب سے قبل ریوڑی، باڑمیر کے حضرت مولانا محمد پٹھان صاحب سکندری نے “نماز اور اولیائے کرام” کے عنوان پر بہت ہی ناصحانہ اور تفصیلی وخصوصی خطاب کیا جب کہ خصوصی نعت ومنقبت خوانی کاشرف مداح رسول حضرت قاری عطاؤالرحمٰن صاحب قادری انواری جودھپورنے حاصل کیا-نظامت کے فرائض طلیق اللسان حضرت مولانا محمدحسین صاحب قادری انواری نگراں شاخہائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ نے بحسن وخوبی انجام دیا-
اس دینی پروگرام میں خصوصیت کے ساتھ مندرجہ ذیل علمائے کرام شریک ہوئے-ادیب شہیر حضرت مولانا محمدشمیم احمدصاحب نوری مصباحی،ناظم تعلیمات:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،مولانا باقرحسین صاحب قادری انواری،مولانافیروز رضارتن پوری، مولاناعطاؤالرحمٰن صاحب قادری سمیجا بیجل کاپار،مولانا محمدحمزہ قادری نوہڑی سولنکیا،قاری ارباب علی قادری انواری،مولانا سرپنچ فتح محمد انواری،مولانانہال الدین انواری آساڑی،مولانا محمدعرس سکندی انواری وغیرہم-
صلوٰة وسلام اور نورالعلماء حضرت علامہ پیرسیدنوراللہ شاہ بخاری کی دعا پر جلسہ اختتام پزیر ہوا-

رپورٹ:حبیب اللہ قادری انواری
آفس انچارج:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر[راجستھان]

सेहलाऊ शरीफ में “जश्ने इफ्तिताहे बुखारी” मनाया गया।

हर साल की तरह इसाल भी इलाक़ा-ए-थार की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,गरडिया,ज़िला: बाड़मेर,राजस्थान” की अ़ज़ीमुश्शान “ग़रीब नवाज़ मस्जिद” में 26 शव्वाल 1443 हिजरी/28 मई 2022 ईस्वी शनिवार को इन्तिहाई अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ “जश्ने इफ्तिताहे बुखारी शरीफ” का प्रोग्राम नूरुल उ़़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की क़यादत व सरपरस्ती में हुवा।
प्रोग्राम की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बाने से हुई।

बादहु दारुल उ़़लूम के कई तल्बा ने बारगाहे रसूल صلی اللہ علیہ وسلمमें नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।

फिर दारुल के मुदर्रिस हज़रत मौलाना खैर मुहम्मद साहब क़ादरी अनवारी ने इस प्रोग्राम में तशरीफ लाए सभी हज़रात का दा:उ़: के ज़िम्मेदारान, स्टाफ और तल्बा की तरफ से शुक्रिया अदा करने के साथ शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए-थार हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी सोहरवर्दी नाज़िमे आला: दारुल उ़़लूम अनवारे ग़ौषिया सेड़़वा को दावते खिताब दिया…आप ने हज़रत इमाम बुखारी की सीरत के मुख्तलिफ पहलुओं पर रोशनी डालते हुए बुखारी शरीफ की जमअ़ व तरतीब की कैफियत वग़ैरह पर भी रोशनी डाली और आप ने दौराने खिताब कहा कि हज़रत इमाम बुखारी इल्म व फन में यकताए रोज़गार थे,अल्लाह तआ़ला ने आप को उ़लूमे हदीष व क़ुरआन के साथ दीगर बहुत सारे उ़़लूम व फुनून से नवाज़ा था, आप जहाँ ज़ुह्द व तक़वा के पैकर थे वहीं तवाज़ुअ़ व इन्किसारी उन का वतीरा था,ज़ाहिर व बातिन में खुदा से बहुत डरते थे,मुश्तबहात से भी बचते,ग़ीबत और दोसरे गुनाहों से इज्तिनाब करते और लोगों के हुक़ूक़ का पूरा पूरा खयाल करते,हासिले कलाम यह कि हज़रत इमामे बुखारी बेहद इबादत गुज़ार और शब बेदार थे,आप का हर क़ौल व फेअ़्ल व अ़मल हुज़ूर नबी-ए-अकरम صلی اللہ علیہ وسلم के क़ौल व फेअ़्ल का मज़हर था-

फिर दरजा-ए-फज़ीलत के एक तालिबे इल्म ने बहुत ही वालिहाना अंदाज़ में नअ़ते रसूल صلی اللہ علیہ وسلم पेश किया।

बादहु क़ाइदे क़ौम व मिल्लत ताजुल उ़़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा व मौलाना ताजुद्दीन अहमद साहब सोहरवर्दी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची ने तल्बा-ए-फज़ीलत को “इफ्तिताहे बुखारी शरीफ” की इस तक़रीब में बुखारी शरीफ की पहली हदीष का दर्स देते हुए कहा कि इल्मे क़ुरआन व हदीष तमाम दीनी उ़़लूम की असल हैं,इस लिए हम सभी लोगों को चाहिए कि हम अपने बच्चों के उ़़लूमे क़ुरआन व हदीष की तअ़लीम के हुसूल पर खुसूसी धयान दें,फिर आप ने बुखारी शरीफ पढ़़ने की फज़ीलत पर भी शान्दार गुफ्तगू की और फरमाया कि बुखारी शरीफ पढ़ने से अल्लाह की रहमतों का नुज़ूल होता है, पढ़़ने वाले के चेहरे पर नूरानियत और शादाबी रहती है,इस की क़िरात व दर्स व तदरीस से मुश्किलात दूर होती हैं…आप ने भी हज़रत इमाम बुखारी अ़लैहिर्रहमा की सीरत व सवानेह और बुखारी शरीफ की जमअ़ व तरतीब की कैफियत और इल्मे हदीष की अ़ज़मत व फज़ीलत और उस की तारीख पर सैर हासिले बहष पेश की…सिलसिला-ए-खिताब को जारी रखते हुए आप ने फरमाया कि हज़रत इमाम बुखारी को रसूलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم से बे पनाह मुहब्बत थी और वोह इस से ज़ाहिर है कि अमीरुल मोमिनीन फिल हदीष हज़रत इमाम बुखारी ने अपनी पूरी ज़िंदगी इत्तिबाए सुन्नत और अहादीषे नबविया की तफतीश व तहक़ीक़ और फिर दर्स व तदरीस व नश्र व इशाअ़त में सर्फ कर दी…आप का क़ुव्वते हाफिज़ा निराला और ग़ैर मअ़मूली था,आप को “जबलुल हिफ्ज़” यानी याद दाश्त का पहाड़ कहा जाता था,उस्ताद से जो हदीष सुनते या किसी किताब पर नज़र डालते तो वह आप के हाफिज़ा में महफूज़ हो जाती थी,इल्मे हदीष के साथ आप दोसरे बहुत से उ़़लूम व फुनून के माहिर थे,…साथ ही साथ आप ने दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा की उ़़म्दा व बेहतरीन कार कर्दगी और इस की तअ़मीर व तरक़्क़ी पर दा:उ़:अनवारे मुस्तफा के मुहतमिम व शैखुल हदीष नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी مدظلہ العالی को मुबारकबाद पेश करने के साथ अपनी दुआ़ओं और हौसला अफज़ा कलिमात से नवाज़ा…साथ ही साथ आप ने क़ौम को खिताब करते हुए कहा कि आप हज़रात अपने बच्चों के दीनी तअ़लीम के साथ अ़सरी व दुनियावी तअ़लीम की तहसील पर खूब खूब तवज्जोह दें क्यों कि तअ़लीम के बगैर सहीह मअ़नों में तरक़्क़ी ना मुम्मकिन है, गोया आप ने दीनी तअ़लीम के साथ दुनियावी तअ़लीम की तहसील पर ज़ोर दिया-
सलात व सलाम, इज्तिमाई फातिहा ख्वानी और नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा सय्यद पीर नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।

रिपोर्ट:मुहम्नद शमीम अहमद नूरी मिस्बाही
खादिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा पच्छमाई नगर, सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया,तह:रामसर,ज़िला:बाड़मेर (राजस्थान)

جملہ علوم دینیہ کی اصل قرآن وحدیث،قرآن کے بعد صحیح بخاری کادرجہ- سہلاؤشریف میں افتتاح بخاری شریف، رپورٹ:محمدشمیم احمدنوری مصباحی ناظم تعلیمات:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر[راجستھان]


سہلاؤشریف میں افتتاح بخاری شریف، مولاناتاج محمدسہروردی کاخطاب

حسب دستور سابق مغربی راجستھان کی عظیم وممتاز دینی،تربیتی وعصری درسگاہ “دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤ شریف،باڑمیر،راجستھان” کی عظیم الشان “غریب نوازمسجد” میں 26 شوال المکرم 1443 ہجری مطابق 28 مئی 2022 عیسوی بروز شنبہ انتہائی عقیدت واحترام کے ساتھ “جشن افتتاح بخاری شریف” کا پروگرام منعقد ہوا-
اس پروگرام کی شروعات تلاوت کلام ربانی سے کی گئی،بعدہ یکے بعد دیگرے دارالعلوم کے کئی خوش گلو طلبہ نے بارگاہ رسالت مآب میں نعت خوانی کاشرف حاصل کیا-پھر دارالعلوم کے استاذ حضرت مولاناخیر محمدصاحب قادری انواری نے بالاختصار درس بخاری کی عظمت واہمیت پر روشنی ڈالنے کے ساتھ اس پروگرام میں تشریف لائے سبھی حضرات کا شکریہ ادا کیا اور شہزادۂ مفتئِ تھار حضرت مولانا عبدالمصطفیٰ صاحب نعیمی سہروردی ناظم اعلیٰ دارالعلوم انوارغوثیہ سیڑوا کو دعوت خطاب دیا-آپ نے اپنے خطاب میں حضرت امام بخاری کی سیرت کے مختلف پہلوؤں پر روشنی ڈالتے ہوئے بخاری شریف کی جمع وترتیب کی کیفیت وغیرہ پر بھی عمدہ اورمعلوماتی خطاب کیا-
پھر آخر میں قائد قوم وملت تاج العلماء حضرت مولاناالحاج تاج محمدصاحب سہروردی مہتمم وشیخ الحدیث دارالعلوم فیض غوثیہ کھارچی نے طلبۂ فضلیت کو “افتتاح بخاری” کی اس تقریب میں بخاری شریف کی پہلی حدیث کادرس ہوتے ہوئے کہا کہ علم قرآن وحدیث تمام علوم دینیہ کی اصل ہیں ،اس لیے ہم سبھی لوگوں کو چاہییے کہ ہم اپنے بچوں کو علوم قرآن وحدیث کی تحصیل پر خصوصی دھیان دیں،پھر آپ نے بخاری شریف پڑھنے کی فضیلت پر بھی شاندار گفتگو کی اور فرمایا کہ بخاری شریف پڑھنے سے اللّٰہ کی رحمتوں کانزول ہوتا ہے،پڑھنے والے کے چہرے پر نورانیت اور شادابی رہتی ہے،آپ نے بھی حضرت امام بخاری علیہ الرحمہ کی سیرت وسوانح اور بخاری شریف کی جمع وترتیب کی کیفیت اور علم حدیث کی تاریخ پر سیرحاصل بحث کی،سلسلۂ خطاب کو جاری رکھتے ہوئے آپ نے فرمایا کہ حضرت امام بخاری کو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے بے پناہ محبت تھی اور وہ اس سے ظاہر ہے کہ امیرالمومنین فی الحدیث حضرت امام بخاری نے اپنی پوری زندگی اتباع سنت اور احادیث نبویہ کی تحقیق وتفتیش اور پھر تدریس و اشاعت میں صرف کی،آپ کاقوت حافظہ نرالا اور غیرمعمولی تھا،آپ کو “جبل الحفظ” کہاجاتا تھا،استاد سے جو حدیث سنتے یا کسی کتاب پر نظر ڈالتے وہ آپ کے حافظہ میں محفوظ ہوجاتی تھی،علم حدیث کے ساتھ آپ دیگر کئی علوم وفنون کے ماہرتھے، ساتھ ہی ساتھ آپ نے دارالعلوم انوارمصطفیٰ کی عمدہ کارکردگی اور اس کی تعمیر وترقی پر دارالعلوم کے مہتمم وشیخ الحدیث نورالعلماء شیخ طریقت حضرت علامہ الحاج سید نوراللہ شاہ بخاری مدظلہ العالی کو مبارکباد پیش کرنے کے ساتھ اپنی دعاؤں اور حوصلہ افزاکلمات سے نوازا-ساتھ ہی ساتھ آپ نے قوم کو خطاب کرتے ہوئے کہا کہ آپ حضرات اپنے بچوں کو دینی تعلیم کے ساتھ عصری علوم کی تحصیل پر خوب خوب توجہ دیں اس لیے کہ تعلیم کے بغیراس دور میں ترقی ناممکن ہے گویا آپ نے دینی تعلیم کے ساتھ عصری علوم کی تحصیل پرزوردیا-
صلوٰة وسلام،اجتماعی فاتحہ خوانی اور نورالعلماء حضرت علامہ الحاج سید نوراللہ شاہ بخاری کی دعا پر یہ مجلس سعید اختتام پزیر ہوئی-

رپورٹ:محمدشمیم احمدنوری مصباحی
ناظم تعلیمات:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر[راجستھان]

حضرت علامہ مفتی محمد ہاشم صاحب قبلہ نعیمی اور حضرت علامہ مفتی محمد نظام الدین صاحب نوری علیہما الرحمہ کے لیےمرکز علم وادب دارالعلوم غریب نواز میں محفل ایصال ثواب کا انعقاد

آج ۲٦ مئی ۲۰۲۲ء جمعرات ۹ بجے صبح مرکز علم وادب دارالعلوم غریب نواز الٰہ آباد میں استاذ الاساتذہ حضرت علامہ مفتی محمد ہاشم صاحب قبلہ نعیمی مرادآبادی علیہ الرحمہ استاذ جامعہ نعیمیہ مرادآباد ا ور خطیب الہند حضرت علامہ مفتی محمد نظام الدین نوری علیہ الرحمہ استاذ دارالعلوم فیض الرسول براؤں شریف اور ان کے صاحب زادے حضرت مولانا انوار احمد نوری علیہ الرحمہ کے ایصال ثواب کے لیے قرآن خوانی کا اہتمام کیا گیا جس میں دارالعلوم کے پرنسپل حضرت مولانا محمود عالم صاحب اور اساتذہ میں حضرت مولانا محمدرفیع اللہ صاحب ،حضرت مولانااحمد رضاصاحب، حضرت مولانا مفتی کونین نوری صاحب حضرت مولانا مفتی سفیرالحق صاحب ، حضرت مولاناقاری محمد ہارون حبیبی صاحب حضرت مولانا محمد انور چشتی صاحب حضرت مولانا غلام جیلانی وارثی صاحب وغیرہم اور دارالعلوم کے تمام طلبہ شریک ہوئے ،دارالعلوم کے سینیئر استاذ حضرت مولانا مفتی محمدمجاہدحسین رضوی مصباحی صاحب نے مذکورۃ الصدر دونوں علما کے وصال کو جماعت کا ناقابل تلافی نقصان قرار دیا اور دونوں کی حیات و خدمات پر اختصارکے ساتھ روشنی ڈالی انھوں نے کہا کہ معقولات ومنقولات پر کامل عبور رکھنے کے باوجود حضرت علامہ مفتی محمد ہاشم صاحب قبلہ نعیمی مرادآبادی علیہ الرحمہ انتہائی متواضع منکسر المزاج اور سادگی پسند تھے اپنے طلبہ کے ساتھ ان کا برتاؤ مخلصانہ اور مشفقانہ تھا جو ایک کامیاب ،اچھے اور بافیض استاذ کی پہچان ہے۔جس جامعہ نعیمیہ سے آپ فارغ التحصیل ہوئے اسی ادارے میں ۶۴ سال کی طویل مدت تک آپ نے تدریسی فرائض انجام دئے اور ہزاروں شاگرد وں نے ان سے اکتساب فیض کیا۔
اسی طرح حضرت علامہ مفتی نظام الدین صاحب نوری علیہ الرحمہ دارالعلوم فیض الرسول ہی سے تعلیم حاصل کی اور اخیر میں وہیں کے استاذ مقرر ہوئے ۔وہ ایک لائق و فاق مدرس ہونے کے ساتھ مفتی بھی تھے اور ملک کے نامور خطیب بھی ، نعتیہ شاعری سے بھی انھیں اچھا خاصہ لگاؤ تھا ان کے مجموعۂ کلام کا مسودہ ناچیز کے پاس محفوظ ہے،ہم پوری کوشش کریں گے کہ ان کا یہ مجموعہ جلد از جلد اشاعت کے مراحل سے گزر کر قارئین کے ہاتھوں میں آجائے۔اللہ رب العزت نے مفتی صاحب موصوف کوحسن صورت کے ساتھ حسن سیرت سے بھی نوازا تھا وہ ہر چھوٹے بڑے سے بڑی خندہ پیشانی اور گرم جوشی سے ملتے تھے یہی وجہ ہے کہ وہ سب کے منظور نظر تھے۔
اللہ رب العزت انھیں اپنے جوار رحمت میں جگہ عطاکرے جنۃ الفردوس میں ان کے درجات بلند کرے ان کی دینی وملی خدمات کو شرف قبول بخشے اور ان کے بدل مرحمت فرمائے۔آمین یارب العالمین

خالصاً لوجہ اللہ دین کی خدمت کریں،اللّٰہ آپ کو دارین میں سرخ روئی عطا فرمائے گا:سید نوراللہ شاہ بخاری،،، رپورٹ:حبیب اللہ قادری انواری آفس انچارج:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر [راجستھان]

خالصاً لوجہ اللہ دین کی خدمت کریں،اللّٰہ آپ کو دارین میں سرخ روئی عطا فرمائے گا:سید نوراللہ شاہ بخاری

مدارس ومکاتب کے علماء ومدرسین اور مساجد کے ائمہ دینی اعتبار سے بہت ہی اہمیت وفضیلت کے حامل ہیں جس پر آیت کریمہ “قل ھل یستوی الذین یعلمون والذین لا یعلمون” اور قرآن مقدس کی دیگر بہت سی آیات اور رسول رحمت صلی اللہ علیہ وسلم کی احادیث طیبہ شاہد ہیں،مگر افسوس کہ خود قوم مسلم بھی علماء وائمہ کو وہ اہمیت نہیں دیتی جس کے وہ حامل ہیں پھر بھی دوسرے پیشہ سے جڑے ہوئے افراد کے اعتبار سے ہمارے علماء وائمہ ہمیشہ شاکر وصابر نظر آتے ہیں،فالحمدلله علیٰ ذٰلک-
مذکورہ خیالات کا اظہارمغربی راجستھان کی عظیم اور علاقۂ تھار کی مرکزی درسگاہ “دارالعلوم انوار مصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر، راجستھان” کے مہتمم وشیخ الحدیث نورالعلماء شیخ طریقت حضرت علامہ الحاج سیدنوراللہ شاہ بخاری مدظلہ العالی نے دارالعلوم کی عظیم الشان “غریب نوازمسجد” میں 20 شوال المکرم1443 ہجری مطابق 22 مئی 2022 عیسوی اتوار کو منعقدہ “شاخہائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف” کے مدرسین وذمہ داران کے “سالانہ افتتاحی مجلس مشاورت” میں شرکائے مجلس کو خطاب کرتے ہوئے کیا-
آپ نے اپنے ناصحانہ خطاب کے دوران شاخہائے ادارہ کے مدرسین کرام ومساجد کے ائمہ کو مخاطب کر کے یہ بھی فرمایا کہ”آپ سبھی مدارس ومکاتب کے مدرسین واساتذہ اور اراکین وذمہ داران نیز مساجد کے ائمہ اور ٹرسٹیان کو چاہییے کہ آپ حضرات اپنی ذمہ داریوں کو محض ڈیوٹی سمجھ کر نہ کریں بلکہ خلوص وللہیت،نیک نیتی اور اللہ ورسول کی رضا کی خاطر خدمت دین متین سمجھ کرکریں، اگر آپ نے ایساکیا تو اللّٰہ تعالیٰ آپ کو دارین کی سرخ روئی نصیب فرمائےگا-یہ آپ سبھی حضرات کی خوش قسمتی ہے کہ اللّٰہ تعالیٰ نے آپ حضرات کو دین کی خدمت کےلیے چن لیا ہے اور علم دین جیسی لازوال دولت ونعمت سے نوازا ہے-ساتھ ہی ساتھ آپ نے مدارس ومکاتب اور مساجد کے ذمہ داران کو بھی علماء وائمہ کے تئیں اپنی ذمہ داریوں کااحساس دلاتے ہوئے فرمایا کہ “ہمارے علماء جس بھی بستی میں تعلیم وتعلم اور درس وتدریس یا امامت وخطابت کا فریضہ انجام دے رہے ہوں اس بستی کے لوگوں کو چاہییے کہ وہ اپنے ائمہ ومدرسین کی ہر اعتبار سے خاطر خواہ قدر کریں،اور مدرسین شاخہائے ادارہ سے کہا کہ آپ حضرات کے لیے مرکز”دارالعلوم انوارمصطفیٰ” کی طرف سے جو ہدایات تحریری شکل میں جاری کی گئی ہیں ان پر مکمل طور پر عمل پیرا ہوتے ہوئے اپنی خدمات انجام دیں کیونکہ اسی میں آپ کی،ادارہ کی اور اہل بستی کی کامیابی مضمر ہے-
اس مجلس مشاورت کی شروعات تلاوت کلام ربانی سے کی گئی پھر دارالعلوم کے کچھ ہونہار طلبہ نے یکے بعد دیگرے بارگاہ رسول صلی اللہ علیہ وسلم میں نعت خوانی کاشرف حاصل کیا-
پھر دارالعلوم کے ناظم تعلیمات حضرت مولانا محمدشمیم احمد صاحب نوری مصباحی نے اس میٹنگ کے اغراض ومقاصد پر روشنی ڈالنے کے ساتھ “مکاتب میں تعلیم وتدریس کے بہتر طریقے”پر بالاختصار عمدہ گفتگو کی اور “من لم یشکرالناس لم یشکراللہ ” پر عمل کرتے ہوئے دارالعلوم کے ارکان واساتذہ کی طرف سے میٹنگ میں تشریف لائے سبھی علمائے کرام وعوام اہلسنت کا شکریہ اداکیا -بعدہ حضرت مولاناخان محمدقادری انواری باگاواس نے نعت رسول مقبول پیش کیا-
پھر تقریباً ۱ گھنٹہ کا وقت لوگوں کے مشورے، شکایات اور اس کے ازالے کے لیے رکھاگیا جس میں لوگوں نے اپنی اپنی باتیں قبلہ سید صاحب کے پاس رکھیں،آپ نے لوگوں کی باتوں کو بغور سن کر ان کے حل نکالے اور لوگوں کو مطمئن کیا-بعض آبادیوں کے لوگوں نے نئی تعلیمی شاخ کے قیام کی درخواستیں بھی پیش کیں جب کہ بعض مدرسین اپنی سابقہ جگہوں سے دوسری جگہوں پر تبادلہ کے خواہاں ہوئے سب کی باتیں وگذارشات کو دارالعلوم کے صدرالمدرسین حضرت مولانادلاور حسین صاحب قادری نے کارروائی رجسٹر میں درج کر لیا اور ان شاءاللّٰہ العزیز جلدہی ساری باتوں پر مناسب کارروائی ہوجائےگی،جن مکاتب میں مدرسین کی ضرورت ہے وہاں مناسب مدرسین کاانتظام کردیاجائےگا،جب کہ نئی تعلیمی شاخوں کے درخواست دہندگان کے یہاں باہمی مشاورت سے تعلیمی شاخوں کی بھی منظوری دے دی جائیں گی-
درمیان میٹنگ شاخہائے دارالعلوم کے مسقل نگراں حضرت مولانا محمد حسین صاحب انواری نے اپنی نگرانی کے دوران دارالعلوم کی تعلیمی شاخوں کے اندر جو خوبیاں وخامیاں محسوس کی ان سب باتوں پر مشتمل تفصیلی روشنی ڈالی اور تجزیہ پیش کرنے کے ساتھ کہاں کس طرح کی خدمات کی ضرورت ہے اس پر روشنی ڈالی-
اس مجلس مشاورت میں خصوصیت کے ساتھ ان حضرات نےاپنے تاثرات پیش کیے-
حضرت مولاناخیر محمدصاحب قادری انواری،حضرت مولاناجمال الدین صاحب قادری انواری،حضرت مولاناعبدالسبحان صاحب مصباحی، حضرت مولاناعلم الدین صاحب قادری انواری-
واضح رہے کہ اس مجلس مشاورت میں شاخہائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ کے تقریباً سبھی مدرسین کرام اور سبھی شاخوں کے کچھ ذمہ داران نے بھی شرکت کی-
صلوٰة وسلام اور نورالعلماء حضرت علامہ پیرسیدنوراللہ شاہ بخاری کی دعا پر یہ مجلس اختتام پزیر ہوئی-
رپورٹ:حبیب اللہ قادری انواری
آفس انچارج:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر [راجستھان]

شاخہائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ کی سالانہ افتتاحی مجلس مشاورت 22 مئی کو!

حسب سابق امسال راجستھان کے علاقۂ تھار وگجرات میں مغربی راجستھان کی عظیم ومنفرد دینی وعصری دعوتی وتربیتی اور مرکزی درسگاہ “دارالعلوم انوار مصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر” کے ماتحت وزیر نگرانی چل رہے سبھی مدارس ومکاتب کی سالانہ افتتاحی مجلس مشاورت 20 شوال المکرم 1443 ہجری مطابق 22 مئی 2022 عیسوی بروز:اتوار بوقت:8 بجے صبح دارالعلوم کے وسیع وعریض گراؤنڈ میں منعقد ہوگی-
اس مجلس مشاورت میں شاخہائے دارالعلوم انوار مصطفیٰ کے سبھی مدرسین کرام کی شرکت لازمی ہوتی ہے-
واضح ہو کہ اس مجلس مشاورت میں شاخہائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ کی گذشتہ کارگزاریاں پیش کی جاتی ہیں اور جن تعلیمی شاخوں کے مدرسین کی کارکردگی بہتر وعمدہ ہوتی ہے ان کی تعریف وتحسین اور انعام واکرام کے ساتھ دیگر مدرسین کرام کو شاخہائے ادارہ کو بہتر سے بہترین بنانے کے لیے نصیحت کرنے کے ساتھ کچھ عمدہ ومفید ہدایات جاری کی جاتی ہیں،اور ساتھ ہی ساتھ اس مجلس میں شاخوں کے مدرسین کی جائز شکایات ومطالبات کو سننے کے بعد ان کے ازالے کی بھی ہر ممکن کوشش بھی کی جاتی ہے اور اگر کسی تعلیمی شاخ کا کوئی مدرس اپنی سابقہ جگہ سے مستعفی ہوکر نئی جگہ کا خواہاں ہوتا ہے تو اسے مناسب جگہ پر تبادلہ بھی کیا جاتا ہے،اور از سرنو کچھ مدرسین وائمہ کی تقرری بھی اسی مجلس مشاورت میں عمل میں آتی ہے،اور اگر کسی نئی آبادی،قصبہ یا گاؤں کے ذمہ داران نئی تعلیمی شاخ کی ارکان ادارہ کو درخواست پیش کرتے ہیں تو باہمی مشاورت اور درخواست دہندہ آبادی کا جائزہ لینے کے بعد نئی تعلیمی شاخ بھی قائم کی جاتی ہے اور اس کی مکمل دیکھ ریکھ ارکان ادارہ بحسن وخوبی کرتے ہیں-
فی الحال دارالعلوم انوار مصطفیٰ سہلاؤشریف کے ماتحت 80 مدارس ومکاتب چل رہے ہیں- دارالعلوم انوارمصطفیٰ کے ماتحت اس قدر کثیر تعداد میں مدارس ومکاتب کا بحسن وخوبی نونہان اسلام کی تعلیم وتربیت کرنا یقیناً یہ بہت بڑی خدمت ہے-اتنے بڑے پیمانہ پر تعلیم وتعلم کے فروغ اور دین وسنیت کی خدمات جہاں امت مسلمہ کے اہل خیر حضرات کے تعاون کانتیجہ ہے وہیں ادارہ کے موجودہ مہتمم وشیخ الحدیث نورالعلماء شیخ طریقت حضرت علامہ الحاج سید نوراللّٰہ شاہ بخاری مدظلہ العالی کی حکمت عملی،جد وجہد اور کوشش وکاوش کاثمرہ ہے-اللّٰہ تعالیٰ قبلہ سید صاحب کے علم وعمل اور عمر واقبال میں خوب خوب برکتیں عطافرمائے اور آپ کی دینی وملّی خدمات کو اپنی بارگاہ میں قبول فرمائے-آمین!
رپورٹ:محمدشمیم احمدنوری مصباحی
خادم:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر(راجستھان)

ہرپالیہ[باڑمیر،راجستھان] میں اجتماعی شادیوں کی مثالی تقریب،نکاح خوانی 15 مئی کو

ایک ہی دن 92 دولہا دولہن بنیں گے زندگی کے ہم سفر!

باڑمیر ضلع کے سیڑوا تحصیل کے تحت ہرپالیہ نامی گاؤں میں دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف کے مجلس منتظمہ کے زیر نگرانی اور دارالعلوم انوارمصطفیٰ کے مہتمم وشیخ الحدیث نورالعلماء شیخ طریقت حضرت علامہ الحاج سیدنوراللہ شاہ بخاری مدظلّہ العالی کی قیادت وسرپرستی میں 15 مئی 2022 عیسوی بروزاتوار حضرت پیر سید کبیراحمدشاہ بخاری علیہ الرحمہ کے اوطاق میں بہت بڑے پیمانے پر اجتماعی نکاح وشادی کے پروگرام کا اہتمام کیا گیا ہے-
یہ گرام پنچایت ہرپالیہ کے لوگوں کا ایک مثالی وتاریخی اور لائق تعریف وتحسین وتبریک عمل واقدام ہے کہ ایک ہی جگہ اور ایک ہی پنڈال کے نیچے 92 بچوں کی شادی ہوجائےگی-اس لائق تعریف اور نیک عمل سے جہاں قوم کے لوگوں کا وقت برباد ہونے سے بچے گا وہیں شادی بیاہ کے مواقع پر جو فضول خرچی اور بے جا وغیر شرعی رسم ورواج پر عمل کیاجاتاہے اس پر لگام لگ جائے گا اور لوگ بہت ساری پریشانیوں سے بچ جائیں گے-
بلاشبہ ہرپالیہ گاؤں کے زندہ دل لوگوں نے سندھی سماج اور دوسرے برادران وطن کے لیے ایک بہترین عملی نمونہ پیش کیا ہے-
باشندگان ہرپالیہ کے اندر ایسی مثبت اور بہترین واصلاحی سوچ وفکر پیدا کرنے والے شیخ طریقت حضرت علامہ الحاج پیر سید نوراللہ شاہ بخاری مدظلہ العالی کو اللہ تعالیٰ عمر خضری عطافرمائے اور آپ کے علم وعمل اور اقبال میں مزید بلندیاں عطافرمائے-

علاقے کے معزز لوگوں کا کہنا ہے کہ “ہمیں باشندگان ہرپالیہ پر ناز ہے کیونکہ اس گاؤں کے لوگوں نے سماج کو مالی نقصان سے بچانے اور وقت جیسی انمول دولت کی بربادی سے بچانے کا اپنے اس عمل و پیش قدمی سے ہماری سماج کو بہت ہی اچھا پیغام دیا ہے”-
اگر یہ اجتماعی شادی کا پروگرام نہ ہوتا تو اتنے سارے لوگوں کی شادیاں کم از کم 2 مہینے میں ہوتیں،جسے صرف ایک دن میں انجام دے دیا جائےگا،اس اجتماعی شادی سے کس قدر وقت اور پیسوں کی بچت ہے یہ کسی ذی شعور پر مخفی نہیں-
امید کی جارہی ہے کہ یہ اچھی رسم اب بتدریج پورے علاقۂ تھار میں رائج ہوگی [ان شاءاللہ تعالیٰ]
اللہ تعالیٰ ہمیں ہر طرح کی فضول چیزوں اور غلط رسم ورواج سے بچائے،سماج ومعاشرے میں پھیلی برائیوں کو ختم کرنے اور قوم وملت کو اعلیٰ مقام پر پہنچانے والے قائد ولیڈر نصیب کرے جو حالات کی نزاکت کو سمجھنے کا شعور رکھتے ہوں-

हरपालिया [बाड़मेर,राजस्थान] में पहली बार विशाल सामूहिक विवाह समारोह 15 मई को।

62 परिवार के 92 दुल्हा दुल्हन शादी के बंधन में बंधेंगेबाड़मेर जनपद में पहली बार सेड़वा तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत हरपालिया में दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा शिक्षण संस्था सेहलाऊ शरीफ की देख रेख और संस्था के संस्थापक हजऱत पीर सैयद नूरुल्लाह शाह बुखारी की अध्यक्षता में 15 मई 2022 ईस्वी रविवार को हज़रत पीर सैयद कबीर अहमद शाह बुखारी अ़लैहिर्रहमा के ओताक़ में विशाल सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया है। यह ग्राम पंचायत हरपालिया के लोगों का एक इतिहासिक व बहुत ही सराहनीय कार्य है कि एक ही जाज़म पर 92 बच्चों की शादी हो जाएगी, इस सराहनीय व नेक कार्य से जहाँ क़ौम के लोगों का समय बरबाद होने से बचेगा वहीं शादी विवाह के मौक़े पर जो फुज़ूल खर्ची की जाती है उस पर लगाम लग जाएगा और लोग बहुत सी परेशानियों से बच जाएंगे।बिला शुब्हा हरपालिया गाँव के ज़िंदा दिल लोगों ने सिंधी समाज और दोसरे बिरादराने वतन के लिए एक नमूना पेश किया है!हरपालिया ग्राम वासियों के अंदर एसी सोच व फिक्र पैदा करने वाले हज़रत अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी को अल्लाह तआ़ला लंबी ज़िंदगी अ़ता फरमाए।इलाक़े के लोगों का कहना है कि “हमें हरपालिया वासियों पर नाज़ है क्यों कि इस गाँव के लोगों ने समाज को माली [आर्थिक] नुक़सान से बचाने और वक़्त [समय] जैसी अनमोल दौलत की बरबादी से बचाने का समाज को बहुत अच्छा पैग़ाम व संदेश दिया है।अगर यह सामूहिक विवाह प्रोग्राम न होता तो इतने सारे लोगें की शादियाँ कम से कम लगातार 2 महीने में होतीं जिसे सिर्फ 01 दिन में अंजाम दे दिया जाएगा, इस सामूहिक विवाह समारोह से किस क़दर वक़्त और पैसों की बचत है यह किसी से पोशीदा नहीं।उम्मीद की जा रही है कि यह अच्छी रस्म अब पूरे इलाक़े में राइज [प्रभावी] होगी। [इन शा अल्लाह तआ़ला]अल्लाह तआ़ला हमें हर तरह की फुज़ूल बातों और ग़लत रस्म व रिवाज से बचाए,समाज में व्याप्त बुराइयों को खतम करने और क़ौम को आला मक़ाम पर पहुंचाने वाले मुहसिन व लीडर नसीब करे जो हालात की नज़ाकत को समझने का शऊ़र [सूझ बूझ] रखते हों।

सिरिजपुरवा में अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ जश्ने सुन्नते रसूल मनाया।

07 मई 2022 ईस्वी बरोज़ सनीचर मदरसा अ़रबिया अहले सुन्नत सिद्दीक़िया फैज़ुल उ़लूम सिरिजपुरवा के सामने मरहूम व मग़्फूर अ़ब्दुर्रशीद अंसारी के बड़े साहबज़ादे मुहम्मद आ़लम की शादी खाना आबादी के मौक़े पर निहायत ही अ़क़ीदत व मुहब्बत के साथ “जश्ने सुन्नते रसूल व महफिले मीलादे पाक” का इन्इक़ाद किया गया।इस बा बरकत महफिल की शुरुआ़त हज़रत हाफिज़ व क़ारी अहमद रज़ा ज़ियाई मुदर्रिस: मदरसा अ़रबिया अहले सुन्नत सिद्दीक़िया फैज़ुल उ़लूम सिरिजपुरवा के ज़रिया तिलावते कलामुल्लाह से की गई।फिर यके बाद दीगरे कई लोगों ने बारगाहे रसूले अकरम सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम में नअ़तों के नज़राने पेश किए।शुरुआ़ती तक़रीर हज़रत मौलाना मुहम्मद अ़ालमगीर साहब आ़सिम फैज़ी ने दीनी व अ़सरी तअ़लीम के हासिल करने की फज़ीलत,ज़रूरत और अहमियत के उ़़न्वान पर किया।आप ने लोगों को खानक़ाहे बरकातिया मारहरा शरीफ के पैग़ाम “आधी रोटी खाइये बच्चो को पढ़ाइये ” पर अ़मल करने की ताकीद व तल्क़ीन की।बादहू नाज़िमे मज्लिस हज़रत मौलाना शअ़बान साहब अ़ज़ीज़ी ने फिर कई मद्दाहाने रसूल को लोगों के सामने पेश किया-नअ़त ख्वाँ हज़रात ने मीठे लब व लेहजे मे उ़म्दा नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया, और लोगों ने खूब दाद व दहिश से नवाज़ा।खास तौर पर इन हज़रात ने नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।हज़रत मौलाना सेराज अह अहमद साहब क़ादरी अ़लीमी, हज़रत हाफिज़ व क़ारी अहमद रज़ा ज़ियाई,हाफिज़ व क़ारी कमाल अहमद,-जब कि हज़रत मौलाना आ़बिद अ़ली साहब निज़ामी अ़लीमी सदरुल मुदर्रिसीन दारुल उ़लूम फैज़ाने रज़ा नराएन जोत,महराज गंज ने भी लोगों को मुख्तसर खिताब किया।आखिर में खुसूसी खिताब खतीबे खुसूसी आ़लिमे बा अ़मल हज़रत मौलाना महबूब आ़लम साहब निज़ामी सदर मुदर्रिस:मदरसा अ़लीमिया लोटन बाज़ार, सिद्धार्थ नगर ने की-आप ने अपने खिताब के दौरान लोगों को अपने माँ बाप की इज़्ज़त व तौक़ीर और उन की खिदमत करने के साथ शादी विवाह को इस्लामी तौर तरीक़े से करने की गुज़ारिश की और साथ ही साथ शरीअ़ते मुस्तफा के मुताबिक़ अपनी ज़िंदगी बसर करने की ताकीद की।इस मज्लिस में खुसूसियत के साथ यह हज़रात शरीक हुए।हज़रत मौलाना मुहम्मद शाहिद रज़ा साहब नूरी सदर मुदर्रिस: दारुल उ़लूम ग़ौषिया फैज़ुर्रसूल सेमरहना, हाफिज़ व क़ारी मुहम्मद अनीस साहब,जनाब अ़ब्दुल हई साहब,जनाब अ़ब्दुल्लाह साहब,जनाब अ़ब्दुल मुईद साहब, जनाब मुहम्मद आज़म साहब,जनाब नबीहुल्लाह साहब,जनाब अफरोज़ अहमद,सरवरे आ़लम वग़ैरहुम…सलातो सलाम और हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही नाज़िमे तअ़लीमात:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ की दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।रिपोर्टर:मुहम्मद तौसीफ रज़ा बरकातीसाकिन:भवनिया पुर [सेमरहना] पो:उस्का बाज़ार, ज़िला:सिद्धार्थ नगर [उ:प्र:)