आ़ली जनाब नूरुल हसन अंसारी [मरहूम व मग़्फूर] की वार्षिक ईसाले षवाब [सालाना फातिहा व बरसी] के अवसर पर, उनके बिराद्रान व शहज़ादगान ने बड़ी श्रद्धा और सम्मान [अ़क़ीदत व एहतिराम] के साथ कुरआन का पाठ [क़ुरआन ख्वानी] और जल्सा-ए-ईद मिलादुन्नबी सल्लल्लाहु अ़ुलैहि वसल्लम का आयोजन किया।
सुबह 8 बजे इज्तिमाई [सामूहिक] कुरआन ख्वानी की गई।
मग़रिब की नमाज़ के बाद तुरंत जल्सा-ए- ईद मिलादुन्नबी व मज्लिसे ईषाले षवाब की शुरुआ़त हज़रत हाफिज़ व क़ारी मुहम्मद इस्हाक़ साहब क़ादरी द्वारा तिलावते कलामे पाक से हुई।
उस के बाद मद्दाहे रसूल जनाब अफरोज़ आ़लम साहब ने नअ़्ते रसूले मक़बूल सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम प्रस्तुत की –
फिर हज़रत मौलाना अमीरुद्दीन साहब निज़ामी खतीब व इमाम बैतुन्नूर जामा मस्सिद ने “ईसाले षवाब के जाइज़ होने व ईसाले षवाब की शरई हैषियत” पर एक बहुत ही जामेअ़ व शांदार व्यापक खिताब किया।
अंत में हज़रत मौलाना अनवार अहमद साहब निज़ामी खतीब व इमाम फिरदौस मस्जिद जमुनहियाँ बाग़ ने सीरतुन्नबी ﷺ के मौज़ूअ़ पर विशेष [खुसूसी] खिताब किया,आप ने अपने खिताब के दौरान लोगों को हुज़ूर नबी-ए-रहमत ﷺ के जन्म [विलादते बा सआ़दत]की परिस्थितियों [हालात व वाक़िआ़त]को बयान करते हुए लोगों से सभी बुराइयों, विशेष रूप से झूठ और धोखाधड़ी से बचने का आग्रह किया और उन्हें प्रोत्साहित किया।
मौलवी शहज़ाद आ़लम ने निज़ामत के कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन किया।
सलात व सलाम और हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही नाज़िमे तअ़लीमात दारुल उ़लूम अनावरे मुस्तफ़ा सेहलाऊ शरीफ़ की दुआ़ पर, इस मज्लिसे सईद का अंत हुआ –
इस मज्लिस में इन उ़ल्मा-ए-किराम व मुअ़ज़्ज़िीन ने विशेष रूप से भाग लिया-
हज़रत अ़ल्लामा मौलाना मुहम्मद हारून साहब मिस्बाही मुदर्रिस मदरसा मज़हरुल उ़लूम घोसी पुरवा, गोरखपुर, हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़हीर खान निज़ामी महराजगंजवी, हज़रत मौलाना नसरुद्दीन साहब गोरखपुरी,आ़ली जनाब मुहम्मद शरीफ साहब अंसारी, मुहम्मद हसन साहब अंसारी, मेंहदी हसन साहब,नबी हसन साहब,जाफर अ़ली अंसारी, अबुल हसन उर्फ गुड्डू,क़ुतबुद्दीन अंसारी साहब,मुहम्मद सुब्हान अंसारी,मुहम्मद उ़मर,मुहम्मद आसिफ अंसारी वग़ैरह।
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