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वीसासर बाड़़मेर में जल्सा-ए-ग़ौसे आज़म अ़क़ीदत व एहतिराम [श्रद्धा व सम्मान] के साथ मनाया गया। रिपोर्टर: (मौलाना) जान मुहम्मद अनवारी मुदर्रिस: दारुल उ़़लूम फैज़ाने ताज वीसासर, तहसील: सेड़़वा, ज़िला: बाड़़मेर (राजस्थान)

वीसासर बाड़़मेर में जल्सा-ए-ग़ौसे आज़म अ़क़ीदत व एहतिराम [श्रद्धा व सम्मान] के साथ मनाया गया। रिपोर्टर: (मौलाना) जान मुहम्मद अनवारी मुदर्रिस: दारुल उ़़लूम फैज़ाने ताज वीसासर, तहसील: सेड़़वा, ज़िला: बाड़़मेर (राजस्थान)


जानशीने हुज़ूर मुफ्ती-ए- आज़म राजस्थान हज़रत मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी ने विशेष खिताब[संबोधन] किया।


पूर्व की भाँति इस वर्ष भी दारूल उ़़लूम फैज़ाने ताज वीसासर बाड़़मेर के विस्तृत मैदान में दिनांक 28 रबीउ़़ल आखिर 1444 हिजरी मुताबिक़ 24 नवम्बर 2022 ई.गुरुवार को इंतिहाई अ़क़ीदत व एहतिराम और शान व शौकत [भव्यता] के साथ “जल्सा-ए-ग़ौसे आज़म” का इन्इक़ाद किया गया।
इस जल्से [धार्मिक सम्मेलन] की शुरुआ़त हज़रत मौलाना क़ारी जान मुहम्मद साहब अनवारी द्वारा कलामुल्लाह के पाठ [तिलावत] से की गई, उस के बाद दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ, दारुल उ़़लूम गुलज़ारे ग़ौसिया लकड़ासर और दारुल उ़़लूम फैज़ाने ताज वीसासर के प्रतिभाशाली छात्रों ने अपना दीनी व मज़हबी [धार्मिक] प्रोग्राम नात, मनक़बत और सुधारवादी भाषणों से युक्त कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत किया, जिसे उ़ल्मा [विद्वानों] और आ़म लोगों ने बहुत पसंद किया और छात्रों को इन्आ़म व इकराम से नवाज़ कर प्रोत्साहित किया।
फिर हज़रत मौलाना कमालुद्दीन साहब ग़ौसवी ने”समाज के सुधार और धार्मिक और आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता और महत्व” विषय पर एक मुख्तसर लेकिन व्यापक भाषण व बेहतरीन पैग़ाम क़ौम को दिया – बादहु वासिफे शाहे हुदा बुलबुले बाग़े मदीना हज़रत क़ारी मुहम्मद जावेद साहब सिकन्दरी अनवारी बरकाती ने नात और मनक़बत का नज़राना पेश किया।
अंत में जानशीने हुज़ूर मुफ्ती-ए- आज़म राजस्थान शेरे हिंदुस्तान हज़रत मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी शैखुल-हदीस दारुल उ़़लूम इस्हाक़िया जोधपुर ने विशेष खिताब [संबोधन] फरमाया-
उन्होंने अपने संबोधन के दौरान नेकी,तक़वा व परहेज़गारी को अपनाने, फिजूलखर्ची से बचने, आपसी प्रेम और आपसी मेल मुहब्बत, और हर तरह की बुराइयों से बचने,नेक कामों के करने और धार्मिक और आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने पर ज़ोर दिया और लोगों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को ठीक से शिक्षित और प्रशिक्षित करें, उन्होंने अपने संबोधन के दौरान जीलानी जमाअ़त हिंद के चीफ खलीफा हज़रत मौलाना सखी मुहम्मद साहब क़ादरी को हरमैन शरीफैन से लौटने पर बधाई दी और साथ ही साथ आप ने दुआ़इया कलिमात [प्रार्थनापूर्ण शब्दों] से भी नवाज़ा, निज़ामत के कर्तव्यों को मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी सेहलाऊ शरीफ और मौलाना शुमार अ़ली क़ादरी अनवारी मदरसा जामिया मुजद्ददिया फज़्ले मासूमिया जनपालिया बाड़़मेर ने संयुक्त रूप से निभाया।
निम्न लिखित हज़रात ने इस जल्से में विशेष रूप से भाग लिया – ताजुल उ़़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा मौलाना अल्हाज ताजुद्दीन अहमद साहब सोहरवर्दी मुहतमिम व शेैखुल हदीस दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौसिया खारची, हज़रत सय्यद भूरे शाह बुखारी नाज़िमे आला दारुल उ़़लूम गुलज़ारे गौसिया लकड़ासर,
शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए- थार हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी नाज़िमे आला दारुल उ़़लूम अनवारे ग़ौसिया सेड़़वा, सय्यद मीर मुहम्मद शाह अर्टी, अदीबे शाहीर हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद नूरी मिस्बाही, हज़रत मौलाना वली मुहम्मद साहब ग़ौसवी,हज़रत मौलाना अ़ली हसन क़ादरी अशफाक़ी,मौलाना मुहम्मद यूसुफ साहब क़ादरी,मौलाना नवाज़ अली, मौलाना खालिद रज़ा अनवारी, मौलाना जमालुद्दीन अनवारी आदि।
सलात व सलाम और जानशीने मुफ्ती-ए- आज़म राजस्थान हज़रत अ़ल्लामा मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी की दुआ़ पर यह जल्सा समाप्त हुआ।

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صارف

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