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लालासर बाड़मेर में जश्ने ग़ौषे आज़म…………………………………………………बेजा और ग़ैर शरई रस्म व रिवाज से परहेज़ इन्तिहाई ज़रूरी:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी

लालासर बाड़मेर में जश्ने ग़ौषे आज़म…………………………………………………बेजा और ग़ैर शरई रस्म व रिवाज से परहेज़ इन्तिहाई ज़रूरी:अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी

23 फरवरी 2022 ईस्वी दिन:बुध आ़ली जनाब मुहम्मद याक़ूब खान नोहड़ी ने अपने गाँव लालासर में अपने मुर्शिदाने तरीक़त ” मशाइखे सिल्सिला-ए- आ़लिया क़ादरिया साँगरा शरीफ” बिल खुसूस सिलसिला-ए-क़ादरिया के बानी हुज़ूर ग़ौषे आज़म सय्यदुना शैख अ़ब्दुल क़ादिर जीलानी की याद में एक अ़ज़ीमुश्शान जल्सा बनाम “जश्ने ग़ौषे आज़म” का इन्इक़ाद व एहतिमाम किया।इस जल्से की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से की गई।बादुहू दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ व दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची के कई होनहार तुल्बा ने यके बाद दीगरे नअ़त व मनाक़िब और तक़ारीर पेश कीं।फिर उ़ल्मा-ए-किराम में दर्ज ज़ैल उ़ल्मा-ए-ज़विल एहतिराम ने इस्लाहे मुआ़शरा,दीनी व दुनियावी तअ़लीम की ज़रूरत व अहमियत और तअ़लीमाते औलिया-ए-किराम जैसे उ़न्वानात पर उ़म्दा खिताबात किए।★खतीबे ज़ीशान हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद आदम साहब क़ादरी,अलजामिअ़तुल इस्हाक़िया [अशफाक़िया हास्टल] जोधपुर, ☆साबिक़ क़ाज़ी-ए- शहर पाली हज़रत मौलाना मुहम्मद अय्यूब साहब अशरफी अ़ली नगर,हाथमा, ★हज़रत मौलाना अ़ली हसन साहब क़ादरी, मुदर्रिस:जामिआ़ इस्हाक़िया जोधपुर, ☆हज़रत मौलाना वली मुहम्मद साहब सदर मुदर्रिस:दारुल उ़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची,★हज़रत मौलाना कमालुद्दीन साहब ग़ौषवी, सूड़ियार,☆मौलाना मुहम्मद रियाज़ुद्दीन सिकन्दरी अनवारी, ★मौलाना दिलदार हुसैन अनवारी वग़ैरहुम……आखिर में खुसूसी तक़रीर राजस्थान की अ़जीम व मुम्ताज़ दीनी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ” के मुहतमिम व शैखुल हदीष पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मद्द ज़्ल्लहुल आ़ली की हुई।आप ने इन्तिहाई नासिहाना तक़रीर की जिसे उ़ल्मा व अ़वाम ने बहुत पसंद किया और उन नसीहतों पर अ़मल की यक़ीन दहानी की। आप ने अपने खिताब के दौरान यह भी फरमाया की “हम सभी मुसलमानों को चाहिए कि अपने दिलों में अल्लाह का खौफ और अल्लाह व रसूल की मुहब्बत,सहाबा-ए-किराम, अहले बैते अतहार नीज़ औलिया-ए-किराम की मुहब्बत और अपने मुर्शिदाने तरीक़त की तअ़ज़ीम व तकरीम और उन से उल्फत व मुहब्बत करें, और मुहब्बत दिल से और सही़ह मानों में करें, और सही़ह मुहब्बत यह है कि मुहब्बत के तक़ाज़ों पर ग़ौर व फिक्र कर के उस पर अमल पैरा हो जाएं, वरना सिर्फ ज़बान से मुहब्बत का दावा किसी काम का नहीं,और मुहब्बत का तक़ाज़ा यह है कि उन के फरमूदात व इरशादात पर अ़मल करें और उन के बताए हुए मार्ग[रास्ते]पर चलें।आप ने अपने आखिरी जुम्लों मे इन चीज़ों के बारे में बहुत ही उ़म्दा नसीहत किया।(1):अपने बच्चों की दीनी व दुनियावी तअ़लीम पर खूब तवज्जोह दें, क्यों कि तअ़लीम रोशनी है और जहालत तारीकी-(2):आपसी इत्तिफाक़ व इत्तिहाद और भाईचारा हर हाल में बर क़रार रखें, क्यों कि “इत्तिफाक़ ज़िंदगी है और इख्तिलाफ मौत”-(3):अपने खालिक़ व मालिक [अल्लाह तआ़ला] की खूब इबादत करें,खास तौर पर नमाज़े पंजगाना की पाबंदी करें,जुम्ला अवामिरे शरइय्या पर अ़मल और मन्हिय्यात से परहेज़ करें-अपने से बड़ों की तअ़ज़ीम और छोटों पर रहम व शफक़त और अपने माँ बाप की खिदमत करने के साथ उ़ल्मा-ए-किराम का अदब व एहतिराम करें-(4):अपने बच्चों की शादी वक़्त पर करें, यानी जब वोह शादी के लाएक़ हो जाएं तो बिला वजह ताखीर न करें और सुन्नते रसूल पर अ़मल करते हुए शादीयों में नाम व नमूद के लिए बिल्कुल फुज़ूल खर्ची न करें।(5):अपने अ़ज़ीज़ व अक़ारिब में किसी की मौत के बाद बिला वजह और ग़ैर शरई रस्म व रिवाज व खुराफात से परहेज़ करें और हरगिज़ हरगिज़ एैसे मौक़ों पर फुज़ूल खर्ची कर के अपने मालों को बरबाद न करें,और अगर अल्लाह तआ़ला ने आप को माल व दौलत से नवाज़ा है और आप खर्च करना चाहते हैं तो उसे अपने मरहूमीन के ईसाले षवाब के लिए नेक मसारिफ व कामों मे खर्च कर के खुद भी षवाबे दारैन के मुस्तहिक़ हों,जैसे मस्जिद, मदरसा की तअ़मीर या किसी ज़रूरत में हिस्सा लें या किसी ग़रीब तालिबे इल्म की किफालत की ज़िम्मेदारी क़बूल कर लें या किसी भी मुहताज, फक़ीर, व ज़रूरत मंद की ज़रूरत पूरी कर दें।निज़ामत के फ्राइज़ हज़रत मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी निगराँ शाखहा-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ व हज़रत मौलाना मुहम्मद यूसुफ साहब क़ादरी देरासर ने मुश्तरका तौर पर ब हुस्न व खूबी अंजाम दिया।इस दीनी प्रोग्राम में यह हज़रात खुसूसियत के साथ शरीक हुए।★हज़रत सय्यद सोहबत अ़ली शाह मटारी आ़लमसर,☆हज़रत मौलाना अल्हाज सखी मुहम्मद साहब क़ादरी बीसासर,★हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही सेहलाऊ शरीफ,हज़रत मौलाना अल्हाज मुहम्मद रमज़ान साहब क़ादरी,☆मौलाना अ़ब्दुल हकीम क़ादरी झेलून,★मौलाना मुहम्मद हाकम क़ादरी,☆क़ारी मुहम्मद यामीन क़ादरी अनवारी देतानी,★क़ारी अरबाब अ़ली क़ादरी अनवारी, ☆मौलाना मुराद अली क़ादरी अनवारी,★मौलाना अ़ब्दुल वकील क़ादरी अनवारी लालासर,☆मौलाना अ़ब्दुल मजीद क़ादरी करीम का पार★मौलाना मुहम्मद उर्स सिकन्दरी अनवारी, ☆अल्हाज खलीफा रोशन खान खलीफे की बावड़ी,★जनाब मुहम्मद सलमान साहब प्रधान,☆हाजी कबीर खान तोगा जैसलमेर व जनाब खलीफा मुहम्मद सिद्दीक़ धोबली वग़ैरहुम।सलातो सलाम और क़िब्ला पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह जल्सा इख्तिताम पज़ीर हुवा।

रिपोर्टर:मुम्मद नसीर अनवारीS/O: मुहम्मद आदम [तालसर]मुतअ़ल्लिम दरजा-ए-फज़ीलत: दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया[तह:रामसर]ज़िला:बाड़मेर(पाज:)

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