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सेड़वा, बाड़़मेर में जल्सा-ए-गौसे आज़म दस्तगीर का समापन इंतिहाई शान व शौकत के साथ हुआ

सेड़वा, बाड़़मेर में जल्सा-ए-गौसे आज़म दस्तगीर का समापन इंतिहाई शान व शौकत के साथ हुआ


जानशीने हुज़ूर मुफ्ती-ए- आज़म राजस्थान हज़रत मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी ने विशेष खिताब[संबोधन] किया।रिपोर्टर:बाक़िर हुसैन क़ादरी अनवारीखादिम: दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया, तह:रामसर, ज़िला: बाड़मेर (राजस्थान)


पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी दारूल उ़लूम अनवारे ग़ौसिया जामा मस्जिद सेड़वा बाड़मेर के वसीअ़ कान्फ्रेंस हाल में 29 रबीउ़ल आखिर 1444 हिजरी , 25 नवंबर 2022 ई.शुक्रवार को इंतिहाई अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ “जल्सा-ए-ग़ौसे आज़म दस्तगीर ” का आयोजन किया गया।
जल्से की शुरुआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से हुई, फिर दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ ,दारुल उ़लूम गुलज़ारे ग़ौसिया लकड़ासर व दारुल उ़लूम अनवारे ग़ौसिया सेड़वा के प्रतिभावान छात्रों [होनहार तल्बा] ने अपना धार्मिक कार्यक्रम नात, मन्क़बत व सुधारवादी भाषण [खिताब] की सूरत में पेश किया, जिसे विद्वानों [उ़ल्मा-ए-किराम]और आ़म लोगों ने खूब पसंद किया, और छात्रों को इन्आ़म व इकराम से नवाज़ कर प्रोत्साहित किया।
फिर नूरुल उ़़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी नाज़िमे आला व शैख़ुल हदीस दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफ़ा सेहलाऊ शरीफ़ ने सदारती व इस्तक़्बालिया खिताब किया – बादहु हज़रत मौलाना नवाज़ अ़ली साहब मुदर्रिस दारुल उ़लूम गुलज़ारे ग़ौसिया लकड़ासर ने “इल्म व उ़ल्मा व औलिया-ए-किराम की अ़ज़मत व फज़ीलत” विषय पर खिताब किया – फिर अदीबे शहीर हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही, नाज़िमे तअ़लीमात दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ ने हदीेसे जिबरईल की रोशनी में अरकाने इस्लाम पर प्रकाश डालते हुए शरीअ़ते इस्लामिया विशेष रूप से नमाज़,रोज़ा, हज व ज़कात अदा करने पर ज़ोर दिया।
अंत में जानशीने हुज़ूर मुफ्ती-ए- आज़म राजस्थान शेरे हिंदुस्तान हज़रत अ़ल्लामा मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी शैखुल हदीस दारुल उ़लूम इस्हाक़िया जोधपुर ने दलाइल व वाक़िअ़ात की रोशनी में”अ़ज़मत व फज़ीलते औलिया-ए-किराम” पर इंतिहाई आ़लिमाना व फाज़िलाना खिताब फरमाया ,आप ने अपने खुसूसी खिताब[विशेष संबोधन] में अल्लाह के वलियों [सूफी संतों] की महानता और उत्कृष्टता पर बहुत ही प्रेरक और विद्वतापूर्ण भाषण दिया। .
अपने खिताब[संबोधन] के दौरान उन्होंने उल्मा-ए-किराम, सादाते ज़विल एहतिराम व औलियाअल्लाह की अज़मत और उन से अ़क़ीदत व मुहब्बत करने,तक़वा व परहेज़गारी इख्तियार करने, पवित्रता और धर्मपरायणता, फुिज़ूलखर्ची से बचने, आपसी प्रेम और आपसी इत्तिफाक़ व इत्तिहाद व मेल मिलाप,अपने से बड़ों खास तौर पर अपने माँ बाप का सम्मान करने और विशेष तौर पर धार्मिक [दीनी]और आधुनिक शिक्षा हासिल करने पर ज़ोर दिया । निज़ामत के कर्तव्यों को संयुक्त रूप से मौलाना मुहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी सेहलाऊ शरीफ, मौलाना मुहम्मद सिद्दीक़ साहब सोहरवर्दी और मौलाना मुहम्मद रियाज़ुद्दीन साहब सिकन्दरी अनवारी ने बड़े सलीक़े से निभाया।
निम्न लिखित हज़रात ने इस जल्से में विशेष रूप से भाग लिया- हज़रत सय्यद भूरे शाह बुखारी नाज़िमे आला दारुल उ़लूम गुलज़ारे ग़ौसिया लकड़ासर,
शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए- थार, हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी, नाज़िमे आला दारुल उ़लूम अनवारे गौसिया सेड़वा, हज़रत सय्यद इब्राहीम शाह बुखारी, सैयद मीर मुहम्मद शाह अरटी,सैयद सोहबत अ़ली शाह मटारी आलमसर, हज़रत मौलाना अल्हाज सखी मुहम्मद साहब क़ादरी, हज़रत मौलाना मुहम्मद अय्यूब अ़ली साहब अशरफी, हज़रत मौलाना दिलावर हुसैन साहब क़ादरी, हज़रत मौलाना अब्दुस्सुब्हान साहब मिस्बाही, हज़रत मौलाना मुहम्मद रमज़ान साहब, हज़रत मौलाना जमालुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी, हज़रत मौलाना जान मुहम्मद साहब सोहरवर्दी, मौलाना मुहम्मद अहमद अकबरी, मौलाना मुहम्मद उ़मर क़ादरी,मौलाना उ़बैदुल्लाह साहब का़दरी, मौलाना मुहम्मद अकबर सोहरवर्दी, मौलाना फखरुद्दीन क़ादरी अनवारी, मौलाना अ़ताउर्रहमान साहब क़ादरी अनवारी, मौलाना मुहम्मद इदरीस क़ादरी अनवारी, मौलाना अब्दुर्रसूल क़ादरी अनवारी, मौलाना गुलाम मुहम्मद क़ादरी अनवारी, मौलाना मुहम्मद तालिबुल मौला क़ादरी अनवारी,मौलाना मुहम्मद शुमार अनवारी, मौलाना मुहम्मद हनीफ क़ादरी अनवारी,मौलाना इस्लामुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी, मौलाना मुहम्मद हसन क़ादरी, मौलाना मुहम्मद हाशिम सिकन्दरी, क़ारी इस्लामुद्दीन खासकेली,
आ़ली जनाब सुल्तान साहब दर्स,हकीम क़ाएम दर्स,मगन खान दर्स,मैनेजर रहीमना खान दर्स,हाजी अरबाब,खलीफा जलाल समेजा, अ़ब्दुल्लतीफ समेजा,फज़ल खान दर्स,सुलेमान खान रहूमा,अ़लीम खान दर्स आदि।
बादहु सलात व सलाम और नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह जल्सा समाप्त हुआ।

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