मलजा नज़र में और वह मावा नज़र में है
यानी कि सब रसूलों का दूल्हा नज़र में है
दुनिया नज़र में और न उक़बा नज़र में है
हर लम्हा हर एक आन मदीना नज़र में है
दुनिया का हुसन मेरी निगाहों में हेच है
हुसने रसूले पाक समाया नज़र में है
फज़ले खुदा से आंखें हैं रौशन इसी लिए
मुख़तारे कायनात का जलवा नज़र में है
इश्क़े रसूले पाक में कूऐ रसूल को
परवाज़ फिक्र करती है तैबा नज़र में है
हम को नसीब ग़ौस का मुर्गा है रोज़ो शब
नजदी वहाबीओं की तो कौआ नज़र में है
महसूस हो रहा है बदन का महकना क्यूँ ?
तौसीफ शहरे तैबा का कांटा नज़र में है
Leave a Reply