सेहलाऊ शरीफ में “जश्ने इफ्तिताहे बुखारी” मनाया गया।
हर साल की तरह इसाल भी इलाक़ा-ए-थार की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,गरडिया,ज़िला: बाड़मेर,राजस्थान” की अ़ज़ीमुश्शान “ग़रीब नवाज़ मस्जिद” में 26 शव्वाल 1443 हिजरी/28 मई 2022 ईस्वी शनिवार को इन्तिहाई अ़क़ीदत व एहतिराम के साथ “जश्ने इफ्तिताहे बुखारी शरीफ” का प्रोग्राम नूरुल उ़़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की क़यादत व सरपरस्ती में हुवा।
प्रोग्राम की शुरूआ़त तिलावते कलामे रब्बाने से हुई।
बादहु दारुल उ़़लूम के कई तल्बा ने बारगाहे रसूल صلی اللہ علیہ وسلمमें नअ़त ख्वानी का शर्फ हासिल किया।
फिर दारुल के मुदर्रिस हज़रत मौलाना खैर मुहम्मद साहब क़ादरी अनवारी ने इस प्रोग्राम में तशरीफ लाए सभी हज़रात का दा:उ़: के ज़िम्मेदारान, स्टाफ और तल्बा की तरफ से शुक्रिया अदा करने के साथ शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए-थार हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी सोहरवर्दी नाज़िमे आला: दारुल उ़़लूम अनवारे ग़ौषिया सेड़़वा को दावते खिताब दिया…आप ने हज़रत इमाम बुखारी की सीरत के मुख्तलिफ पहलुओं पर रोशनी डालते हुए बुखारी शरीफ की जमअ़ व तरतीब की कैफियत वग़ैरह पर भी रोशनी डाली और आप ने दौराने खिताब कहा कि हज़रत इमाम बुखारी इल्म व फन में यकताए रोज़गार थे,अल्लाह तआ़ला ने आप को उ़लूमे हदीष व क़ुरआन के साथ दीगर बहुत सारे उ़़लूम व फुनून से नवाज़ा था, आप जहाँ ज़ुह्द व तक़वा के पैकर थे वहीं तवाज़ुअ़ व इन्किसारी उन का वतीरा था,ज़ाहिर व बातिन में खुदा से बहुत डरते थे,मुश्तबहात से भी बचते,ग़ीबत और दोसरे गुनाहों से इज्तिनाब करते और लोगों के हुक़ूक़ का पूरा पूरा खयाल करते,हासिले कलाम यह कि हज़रत इमामे बुखारी बेहद इबादत गुज़ार और शब बेदार थे,आप का हर क़ौल व फेअ़्ल व अ़मल हुज़ूर नबी-ए-अकरम صلی اللہ علیہ وسلم के क़ौल व फेअ़्ल का मज़हर था-
फिर दरजा-ए-फज़ीलत के एक तालिबे इल्म ने बहुत ही वालिहाना अंदाज़ में नअ़ते रसूल صلی اللہ علیہ وسلم पेश किया।
बादहु क़ाइदे क़ौम व मिल्लत ताजुल उ़़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा व मौलाना ताजुद्दीन अहमद साहब सोहरवर्दी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़़लूम फैज़े ग़ौषिया खारची ने तल्बा-ए-फज़ीलत को “इफ्तिताहे बुखारी शरीफ” की इस तक़रीब में बुखारी शरीफ की पहली हदीष का दर्स देते हुए कहा कि इल्मे क़ुरआन व हदीष तमाम दीनी उ़़लूम की असल हैं,इस लिए हम सभी लोगों को चाहिए कि हम अपने बच्चों के उ़़लूमे क़ुरआन व हदीष की तअ़लीम के हुसूल पर खुसूसी धयान दें,फिर आप ने बुखारी शरीफ पढ़़ने की फज़ीलत पर भी शान्दार गुफ्तगू की और फरमाया कि बुखारी शरीफ पढ़ने से अल्लाह की रहमतों का नुज़ूल होता है, पढ़़ने वाले के चेहरे पर नूरानियत और शादाबी रहती है,इस की क़िरात व दर्स व तदरीस से मुश्किलात दूर होती हैं…आप ने भी हज़रत इमाम बुखारी अ़लैहिर्रहमा की सीरत व सवानेह और बुखारी शरीफ की जमअ़ व तरतीब की कैफियत और इल्मे हदीष की अ़ज़मत व फज़ीलत और उस की तारीख पर सैर हासिले बहष पेश की…सिलसिला-ए-खिताब को जारी रखते हुए आप ने फरमाया कि हज़रत इमाम बुखारी को रसूलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم से बे पनाह मुहब्बत थी और वोह इस से ज़ाहिर है कि अमीरुल मोमिनीन फिल हदीष हज़रत इमाम बुखारी ने अपनी पूरी ज़िंदगी इत्तिबाए सुन्नत और अहादीषे नबविया की तफतीश व तहक़ीक़ और फिर दर्स व तदरीस व नश्र व इशाअ़त में सर्फ कर दी…आप का क़ुव्वते हाफिज़ा निराला और ग़ैर मअ़मूली था,आप को “जबलुल हिफ्ज़” यानी याद दाश्त का पहाड़ कहा जाता था,उस्ताद से जो हदीष सुनते या किसी किताब पर नज़र डालते तो वह आप के हाफिज़ा में महफूज़ हो जाती थी,इल्मे हदीष के साथ आप दोसरे बहुत से उ़़लूम व फुनून के माहिर थे,…साथ ही साथ आप ने दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा की उ़़म्दा व बेहतरीन कार कर्दगी और इस की तअ़मीर व तरक़्क़ी पर दा:उ़:अनवारे मुस्तफा के मुहतमिम व शैखुल हदीष नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त रहबरे राहे शरीअ़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी مدظلہ العالی को मुबारकबाद पेश करने के साथ अपनी दुआ़ओं और हौसला अफज़ा कलिमात से नवाज़ा…साथ ही साथ आप ने क़ौम को खिताब करते हुए कहा कि आप हज़रात अपने बच्चों के दीनी तअ़लीम के साथ अ़सरी व दुनियावी तअ़लीम की तहसील पर खूब खूब तवज्जोह दें क्यों कि तअ़लीम के बगैर सहीह मअ़नों में तरक़्क़ी ना मुम्मकिन है, गोया आप ने दीनी तअ़लीम के साथ दुनियावी तअ़लीम की तहसील पर ज़ोर दिया-
सलात व सलाम, इज्तिमाई फातिहा ख्वानी और नूरुल उ़ल्मा हज़रत अ़ल्लामा सय्यद पीर नूरुल्लाह शाह बुखारी की दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।
रिपोर्ट:मुहम्नद शमीम अहमद नूरी मिस्बाही
खादिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा पच्छमाई नगर, सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया,तह:रामसर,ज़िला:बाड़मेर (राजस्थान)
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