WebHutt

Designing Your Digital Dreams.

سہلاؤشریف میں ۱۵۴ واں عرس بخاری بحسن وخوبی اختتام پزیر:- محمد شمیم احمد نوری مصباحی

عرس کی تقریبات میں زائرین کا سیلاب امنڈ پڑا۹شعبان المعظم ۱۴۴۳ ھ مطابق ۱۳ مارچ ۲۰۲۳ ء بروز اتوار علاقۂ تھار کی مرکزی درسگاہ “دارالعلوم انوار مصطفیٰ سہلاؤ شریف،گرڈیا باڑمیر” کے وادئیِ رحمت وانوار میں قطب تھار حضرت پیر سید حاجی عالی شاہ بخاری کا ۱۵۴ واں، حضرت پیر سید علاؤ الدین شاہ بخاری کا ۵۱ واں اور بانئِ دارالعلوم انوار مصطفیٰ حضرت پیر سید کبیر احمد شاہ بخاری کا آٹھواں عرس بخاری انتہائی عقیدت و محبت اور تزک و احتشام کے ساتھ منایا گیا،اولاً بعد نماز فجر دارالعلوم کی عظیم الشان “غریب نواز مسجد” میں اجتماعی قرآن خوانی کی گئی، بعد نماز ظہر قومی یکجہتی کا پروگرام ہوا جس میں باڑمیر ایڈیشنل ایس پی نرپت سنگھ،رامسر کے تحصیلدار جناب چھوٹے لال،سلمان خان پردھان گڈراروڈ،ماسٹر عبداللطیفACBEEO رامسر،سماجی کارکن جناب جوگندر تن سنگھ چوہان، حاجی فتح محمدصاحب ضلع صدرکانگریس کمیٹی باڑمیر نے اپنے اپنے خیالات وتاثرات کا اظہار کیا- ان میں سے اکثر دانشوران نے لوگوں کو دینی تعلیم کے ساتھ عصری تعلیم کے حصول پر زور دینے کے ساتھ ملک وملت کی خدمت اور وطن عزیز ہندوستان سے محبت اور دیش میں امن وامان برقرار رکھنے کی لوگوں سے اپیل کی-دارالعلوم انوارمصطفیٰ کے مہتمم وشیخ الحدیث اور خانقاہ عالیہ بخاریہ کے سجادہ نشین نورالعلماء پیرطریقت حضرت علّامہ الحاج سیدنوراللہ شاہ بخاری نے اس پروگرام میں شریک سبھی حضرات کاشکریہ اداکرنے کے ساتھ کچھ معززین کو راجستھانی تہذیب ورواج کے مطابق عمامہ باندھ کر اور مالا پہناکراستقبال کیا، اور جن حضرات نے بھی اس عرس بخاری کے انتظام وانصرام میں دامے درمے سخنے کسی بھی طرح سے حصہ لیا یا اس موقع پر دارالعلوم انوارمصطفیٰ کی زیر تعمیر بلڈنگ میں اپناقیمتی تعاون پیش کیاان سبھی حضرات کی حوصلہ افزائی کرنے کےساتھ انہیں اپنی دعاؤں سے نوازا،اور سبھی اصحاب خیر سے مزید تعاون کی درخواست کی-اور آپ نے اپنے خطبۂ استقبالیہ میں فرمایا کہ “بلا شبہ اولیائے کرام کے آستانے آپسی بھائی چارہ کو بڑھاوا دیتے ہیں،اور ان آستانوں سے دیش کے باشندوں کو آپسی میل ملاپ،الفت ومحبت، امن چین اور دیش سے محبت کاپیغام دیا جاتا ہے”اس پروگرام کی نظامت ماسٹر خان محمد ہرپالیہ ومولانا محمدحسین صاحب قادری انواری نے کی-بعدنماز عصر دارالعلوم کے دارالحدیث سے جلوس چادر صاحب سجادہ حضرت علامہ پیرسیدنوراللہ شاہ بخاری اوران کے برادران،سادات کرام وعلمائے ذوی الاحترام کی قیادت میں سندھی مولود شریف و نعت ومنقبت اوردرودشریف و کلمۂ طیبہ کا ذکر کرتے ہوئےروانہ ہوا-لوگوں کے کثیر ازدہام کے باوجود ابنائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ وغلامان بخاری کمیٹی گاگریا[علاقہ کھاوڑ] اور تھانہ رامسر وبجڈیار کے پولس محکمہ کی اچھی دیکھ ریکھ و عمدہ گائیڈنگ کی وجہ سے انتہائی سکون و اطمنان کےساتھ درگاہ شریف پہونچا-سب سے پہلے درگاہ شریف میں آرام فرما سبھی بزرگان دین کے آستانوں پر چادرپوشی وگل پاشی کی گئی، اجتماعی فاتحہ خوانی ہوئی، صلوٰة وسلام کے بعد درگاہ کے سجادہ نشین قبلہ پیر صاحب نے عرس میں تشریف لائےسبھی زائرین اور دوسرے لوگوں کے لیے جملہ آفات وبلیات اور ہر طرح کی بیماریوں، وباؤں اور مشکلات وپریشانیوں سے حفاظت اور ملک وملت کی صلاح وفلاح اور دیش میں امن چین اور شانتی کے لیے خصوصی دعا کی-بعد نماز مغرب:دارالعلوم وشاخہائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ کے کچھ ہونہار طلبہ کا دینی،علمی،اصلاحی وثقافتی پروگرام تلاوت،نعت ومنقبت، تقریر ومکالمہ کی صورت میں ہوا،جسے علماء وعوام نے بہت پسند کیا اور داد ودہش اورتحسین سےخوب خوب نوازا-بعدنمازعشاء:علمائے کرام کاخصوصی پروگرام قاری عبدالرزاق انواری کی تلاوت کلام پاک سے شروع ہوا-اس پروگرام میں خصوصی تقریر جانشین حضورمفتئِ اعظم راجستھان حضرت علّامہ الحاج مفتی شیر محمد خان صاحب رضوی شیخ الحدیث:دارالعلوم اسحاقیہ جودھپور کی ہوئی،آپ نے اپنی تقریر میں فرمایا کہ “اگر آپ لوگ دارین میں سرخ روئی چاہتے ہیں تو اللہ ورسول کی اطاعت کے ساتھ اپنے بچوں کو دینی وعصری تعلیم سے لیس کریں،اپنے والدین کی خدمت کریں،بڑوں کی تعظیم اور چھوٹوں پر شفقت کریں،پڑوسیوں کاخیال رکھیں،غریبوں اور محتاجوں کی مدد کریں،اپنے ان دینی وتعلیمی اداروں کا خوب خوب تعاون کریں، بزرگوں کے دامن کرم سے اپنے آپ کو وابستہ رکھیں،حاصل کلام یہ کہ تعلیمات اسلام پر عمل پیراہوں-آپ کے خطاب سے قبل ان حضرات نے بھی خطاب کیا-شہزادۂ مفتئ تھر حضرت مولاناعبدالمصطفیٰ صاحب نعیمی سہروردی مہتمم:دارالعلوم انوارغوثیہ سیڑوا،حضرت مولانا محمد ایوب صاحب اشرفی علی پور،ہاتھمہ، حضرت مولاناالحاج محمد پٹھان صاحب سکندری ریوڑی،جیسلمیر- جب کہ خصوصی نعت ومقبت خوانی کاشرف مدّاح رسول حافظ وقاری محمد عطاؤالرحمٰن قادری انواری و واصف شاہ ہدیٰ حضرت مولاناقاری محمد جاوید صاحب سکندری انواری نے حاصل کیا-نظامت کے فرائض مولانامحمدحسین صاحب قادری انواری نگراں:شاخہائے دارالعلوم انوارمصطفیٰ و حضرت مولانا علیم الدین صاحب قادری اشفاقی اور مولوی محمدریاض الدین سکندری انواری متعلم درجۂ فضیلت دارالعلوم ہٰذا نے مشترکہ طورپر انجام دییے-عرس کی تقریبات میں خصوصیت کے ساتھ یہ حضرات شریک ہوئے- مصلح قوم وملّت حضرت علّامہ ومولانا حافظ اللہ بخش صاحب اشرفی جنرل سکریٹری: سنی تبلیغی جماعت باسنی،سیدغلام شاہ بامنور، سرپنچ سیدمٹھن شاہ مٹاری عالمسر، مولانامحمدعمران ناگورشریف،مولانا کمال الدین صاحب غوثوی سوڑیار، مولاناالحاج سخی محمد قادری[چیف خلیفہ:جیلانی جماعت، مولانامحمد رمضان قادری،مولاناغلام رسول صاحب ایٹادہ،مولاناعلی حسن قادری جودھپور،حاجی عبدالغفور سابق وزیر[منتری] راجستھان سرکار،جناب رانافقیر جیسلمیر،ہری سنگھ سوڈھا سابق ودھایک شیو،ایڈوکیٹ روپ سنگھ راٹھورچوہٹن،قبلہ پیر صاحب نے سبھی شرکائے عرس بخاری اور حکومتی اہل کاروں کا عرس کمیٹی کی طرف شکریہ اداکیا-صلوٰة وسلام اور دعا پر یہ جلسہ اختتام پزیر ہوا-رپورٹ:محمدشمیم احمدنوری مصباحی!ناظم تعلیمات:دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر(راجستھان)

ज़कात

अस्सलामु अलैकुम व रहमत उल्लाह व बर्कातुहु

जबरदस्त मिसाल है।
हम, “तरबूज” खरीदते हैं.
मसलन 5 किलो का एक नग
जब हम इसे खाते हैं
तो पहले इस का मोटा छिलका उतारते हैं.
5 किलो में से कम से कम 1किलो
छिलका निकलता है.
यानी तकरीबन 20%
क्या इस तरह 20% छिलका
जाया होने का हमे अफसोस होता है?
क्या हम परेशान होते हैं. क्या हम सोचते हैं के हम तरबूज को
ऐसे ही छिलके के साथ खालें.
नही बिलकूल नाही!
यही हाल केले, अनार, पपीता और
दीगर फलों का है. हम खुशीसे
छिलका उतार कर खाते हैं, हालांके हम ने इन फलों को छिलकों समेत
खरीदा होता है.
मगर छिलका फेंकते वक्त हमे
बिल्कुल तकलीफ नाही होती.
इसी तरह मुरगी बकरा साबीत
खरीदते हैं. मगर जब खाते हैं, तो
इस के बाल,खाल वगैरे निकाल कर
फेंक देतें हैं.
क्या इस पर हमें कुछ दुःख होता है ?
नही और हरगीज नही।
तो फिर 40 हजार मे से 1 हजार देने पर
1लाख मे से 2500/-रूपये देने पर
क्यो हमें बहुत तकलीफ होती है ?
हालांके ये सिर्फ 2.5% बनता है यानी 100/- रूपये में से सिर्फ (ढाई) 2.50/-रूपये ।
ये तरबूज, आम, अनार वगैरे के छिलके और गुठली से कितना कम है,
इसे शरीयत मे जकात फरमाया गया है,
इसे देने से
माल भी पाक, इमान भी पाक,
दिल और जिस्म भी पाक
और माशरा भी खुशहाल,
इतनी मामूली रकम यानी 40/-रूपये मे से सिर्फ 1 रूपया
और फायदे कितने ज्यादा,
बरकत कितनी ज्यादा।
समझ गए हो तो आगे भेजो।
●ज़्ज़ाक़ल्ला खेर●
🌹🌷वस्सलाम 🌷

सेहलाऊ शरीफ में 154 वां उर्से बुखारी मनाया गया

सेहलाऊ शरीफ में 154 वाँ उ़र्से बुखारी मनाया गया।उर्स के प्रोग्राम में ज़ाइरीन का सैलाब उमंड पड़ा।इलाक़ा-ए-थार की मशहूर दीनी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,गरडिया,बाड़मेर” के वसीअ़ ग्राउंड में 13 मार्च 2022 ईस्वी दिन:रविवार को क़ुतुबे थार हज़रत पीर सय्यद हाजी आ़ली शाह बुखारी का 154 वाँ, हज़रत पीर सय्यद अ़लाउद्दीन शाह बुखारी का 50 वाँ और बानी-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा हज़रत पीर सय्यद कबीर अहमद शाह बुखारी [अ़लैहिमुर्रहमा] का आठवाँ उ़र्से बुखारी इन्तिहाई शानो शौकत और अ़क़ीदत व मोहब्बत और हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया। सबसे पहले बाद नमाज़े फज्र: इज्तिमाई कुरआन ख्वानी की गई, फिर बाद नमाजे ज़ोहर क़ौमी एकता का प्रोग्राम हुआ जिसमें एडिशनल एसपी बाड़मेंर नरपत सिंह जी, तहीलदार रामसर छोटे लाल जी,सलमान खान प्रधान गडरारोड,अ:लतीफ AC:Beoo बलाक रामसर, तन सिंह चौहान के सुपुत्र जोगेन्दर सिंह चौहान जी, हाजी फतेह मोहम्मद साहब अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी बाड़मेर ने अपने अपने विचार व्यक्त किए, अधिकतर लोगों ने दीनी शिक्षा के साथ दुनियावी शिक्षा हासिल करने और आपसी भाईचारा और देश से मोहब्बत पर जोर दिया। हज़रत पीर सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी ने कौमी एकता प्रोग्राम में शामिल सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि” औलिया-ए-किराम, सूफी संतों के आस्ताने आपसी भाई चारा को बढ़ावा देते हैं, और इन आस्तानों से देश वासियों को आपसी मेल मिलाप अमन चैन और देश से मोहब्बत का पैगाम दिया जाता है, हज़रत पीर साहब ने दरगाह इंतिज़ामिया कमेटी की तरफ से अपने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा करने के साथ मुख्य अतिथियों को साफा बांधकर और हार पहनाकर स्वागत किया।इस प्रोग्राम का संचालन मास्टर खान मोहम्मद [हरपालिया] व मौलाना मोहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी ने किया- यह दोनों हज़रात गाहे बगाहे लोगों के सामने दारुल उ़लुम अनवारे मुस्तफा और उस के मातहत चलने वाले इदारों बिल खुसूस अनवारे मुस्तफा माध्यमिक विद्यालय का तआ़रुफ भी पेश करते रहे। बाद नमाजे अ़स्र:दारुल उ़लूम के दारुल हदीष से दरगाह शरीफ के लिए जुलूसे चादर साहिबे सज्जादा नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी और उन के बिराद्रान,सादाते किराम व उ़ल्मा-ए-ज़विल एहतिराम की क़यादत में सिंधी मौलूद शरीफ व नअ़त व मन्क़बत पढ़ते और दरूद शरीफ व कलमा का ज़िक्र करते हुए रवाना हुआ।लोगों के जन सैलाब के बा वजूद अबना-ए- दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा व ग़ुलामाने बुखारी कमेटी गागरिया [इलाक़ा:खावड़] और थाना रामसर व बिजिडियार के पुलिस प्रशासन की अच्छी देख रेख व गाइडिंग की वजह से इंतिहाई सुकून व इतमिनान के साथ दरगाह शरीफ पहुंचा। सबसे पहले दरगाह शरीफ में आराम फरमा सभी बुजुर्गों के मज़ारों पर चादर पोशी व गुलपाशी की गई, फिर इज्तिमाई फातिहा ख्वानी हुई, सलातो सलाम के बाद दरगाह के सज्जादा नशीन क़िब्ला पीर साहब ने उ़र्स में तशरीफ लाए सभी ज़ायरीन और दूसरे लोगों के लिए जुमला आफतों व बलाओं और हर तरह की बीमारियों से हिफाज़त और मुल्क व मिल्लत की सलाह व फलाह और देश में अमन चैन और शांति की खुसूसी दुआ की।बाद नमाज़े मग़रिब:दारुल उ़लूम व शाखहा-ए-दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा के कुछ होनहार तल्बा का दीनी,इल्मी,इस्लाही व षक़ाफती प्रोग्राम तिलावत,नअ़त व मन्क़बत, तक़रीर व मुकालमा की सूरत में हुआ जिसे उ़ल्मा व अ़वाम ने बहुत पसंद किया और दाद व तहसीन से खूब खूब नवाज़ा।बाद नमाज़े इशा:उ़ल्मा-ए-किराम का खुसूसी प्रोग्राम तिलावते कलामे पाक से शुरूअ़ हुआ।इस प्रोग्राम में खुसूसी तक़रीर जानशीने हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म राजस्थान हज़रत अ़ल्लामा मुफ्ती शेर मोहम्मद खान साहब रिज़्वी शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम इस्हाक़िया जोधपुर की हुई।आप ने अपने खिताब में फरमाया कि “अगर आप लोग दुनिया व आखिरत की भलाई चाहते हैं तो अपने बच्चों की दीनी व अ़सरी तअ़लीम पर तवज्जोह दें,आपसी इत्तिफाक़ व इत्तिहाद क़ाइम करें,अपने माँ बाप की खिदमत करें,अपने से बड़ों की तअ़ज़ीम व तकरीम करें,ग़रीबों और मुहताजों की मदद करें हासिले कलाम यह कि तअ़लीमाते इस्लाम को अपनाएं।आप से पहले इन हज़रात ने भी खिताब किया। शहज़ादा-ए- मुफ्ती-ए- थर हज़रत मौलाना अ़ब्दुल मुस्तफा साहब नईमी सेड़वा,हज़रत मौलाना अ़य्यूब अ़ली साहब अशरफी अ़ली पुरा हाथमा,हज़रत मौलाना पठान साहब सिकन्दरी,रीवड़ी जैसलमेर-खुसूसी नअ़त व मन्क़बत ख्वानी का शर्फ मद्दाहे रसूल हाफिज़ व क़ारी अ़ताउर्रहमान क़ादरी अनवारी व वासिफे शाहे हुदा हज़रत मौलाना क़ारी मोहम्मद जावेद साहब सिकन्दरी अनवारी ने हासिल किया-निज़ामत के फराइज़ हज़रत मौलाना मोहम्मद हुसैन साहब क़ादरी अनवारी निगराँ शाखहा-ए-दारुल उ़लूम हाज़ा व हज़रत मौलाना अ़लीमुद्दीन साहब क़ादरी अशफाक़ी सुमेरपुर ने मुश्तरका तौर पर अंजाम दिए।उ़र्स की तक़रीबात मे खास तौर पर यह हज़रात शरीक हुए।मुस्लिहे क़ौम व मिल्लत हज़रत अ़ल्लामा मौलाना हाफिज़ अल्लाह बख्श साहब अशरफी बासनी नागौर शरीफ,सय्यद गुलाम शाह बामणोर, सरपंच सय्यद मिठन शाह मटारी, मौलाना मोहम्मद इमरान अशफाक़ी नागौर शरीफ,मौलाना कमालुद्दीन ग़ौषवी,मौलाना सखी मोहम्मद क़ादरी,मौलाना मोहम्मद रमज़ान क़ादरी,मौलाना ग़ुलाम रसूल साहब,मौलाना अ़ली हसन क़ादरी अशफाक़ी ,हाजी अ़ब्दुलगफूर पुर्व राज्यमंत्री,जनाब राणा फक़ीर जैसलमेर,हरीस सिंह सोढा पुर्व विधायक शिव,एडोकेट रूपसिंह राठौर चौहटन,क़िब्ला पीर साहब ने सभी ज़ाइरीने उ़र्स व सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा करने के साथ इस साल के उ़र्से बुखारी में किसी भी तरह से हिस्सा लेने वालों या दारुल उ़लू में अपना तआ़वुन पेश करने वालों का भी शुक्रिया अदा करने के साथ उन की हौसला अफ्ज़ाई भी की और अपनी दुआ़ओं से नवाज़ा,सलातो सलाम और दुआ़ पर यह जल्सा इख्तिताम पज़ीर हिआ।रिपोर्ट:मोहम्मद शमीम अहमद नूरी मिस्बाहीखादिम:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा पच्छमाई नगर, सेहलाऊ शरीफ,पो: गरडिया,ज़िला:बाड़मेर[राज:]

مرے لبوں پہ مقالہ شب برأت کا ہے:- از قلم قسمت سکندرپوری یو پی انڈیا

مرے لبوں پہ مقالہ شب برأت کا ہے

نگاہ و دل میں اجالا شب برأت کا ہے

درودپاک پڑھوں اور شب گزر جائے

یہ سب سےقیمتی تحفہ شب برأت کاہے

کریں گناہوں سےتوبہ پڑھیں درودوسلام

یہی صحیح طریقہ شب برأت کا ہے

خدا کرے کہ وہ مشہورِ عام ہو جائے

جوخاص خاص وظیفہ شب برأت کا ہے

دھلیں گے فردِ خطا ,روکے آب ِتوبہ سے

بڑا مفید یہ نسخہ شب برأت کا ہے

یہ خود بتانے نبی جنت البقیع گئے

اٹوٹ قبروں سے رشتہ شب ِبرأت کا ہے

شب ِبرأت لحاظ ان کاکم نہیں رکھتی

خیال جن کو زیادہ شب برأت کا ہے

غبار, دل میں نہ آئے فساد ِ نیت کا

یہ پاک صاف ارادہ شب برأت کا ہے

خدائےپاک کےلطف وکرم کی شبنم سے

ہر ایک گل تر و تازہ شب ِبرأت کا ہے

پلک جھپکنے نہ پائے,نجات کیلئےخاص

نہ جانے کون سا لمحہ شب ِبرأت کا ہے

,رجب,خدا کا تو,روزہ,نبی کی امت کا

حضور والا مہینہ شب ِ برأت کا ہے

خداکےگھر میں بلاؤ خدا کے بندوں کو

یہ کہہ ان سےکہ جلسہ شب برأت کاہے

پکائیں,کھائیں,پٹاخےجلائیں,سوجائیں

ہمارےدل میں یہ خاکہ شب برأت کاہے

وہابیوں کو قسمت,بچا کھچا دے دو

تمہارے پاس تو حلوہ شب برأت کاہے

सेहलाऊ शरीफ में 154 वां उर्से बुखारी 13 मार्च को

बाड़़मेर राजस्थान] इलाका-ए-थार की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा दरगाह हज़रत पीर सय्यद हाजी अ़ालीशाह बुखारी,पच्छमाई नगर, सेहलाऊ शरीफ,गरडिया, बाड़मेर” के वसीअ़ ग्राउंड में 13 मार्च 2022 ईस्वी दिन:रविवार को 154 वां उर्से बुखारी नूरुल उ़ल्मा शैखे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी मुहतमिम व शैखुल हदीष:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा व सज्जादा नशीन:खानक़ाहे आ़लिया बुखारिया सेहलाऊ शरीफ की क़यादत व सरपरस्ती में इंतिहाई शानो शौकत और अक़ीदत व एहतिराम के साथ शरई मरासिम की पाबंदी के साथ मनाया जाएगा। प्रोग्राम की तफ्सील कुछ इस तरह है। बाद नमाज फज्र: इज्तिमाई कुरआन ख्वानी,… बाद नमाज़े ज़ोहर: क़ौमी एकता प्रोग्राम,… बाद नमाज़े अ़स्र: चादर पोशी व गुल पाशी व मुल्क व मिल्लत की सलाह व बहबूद की खातिर दरगाह शरीफ में खुसूसी दुआ़,… बाद नमाज़े मग़रिब: दारुल उ़़लूम अनवारे मुस्तफा व शाखा-ए- दारुल उ़़लूम के कुछ होनहार बच्चों का दीनी,इल्मी,षक़ाफती व इस्लाही प्रोग्राम,…बाद नमाज़े इशा: उ़़ल्मा-ए-किराम का खुसूसी प्रोग्राम, जिसमें खास तौर पर जानशीने मुफ्ती-ए- आज़म राजस्थान हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज मुफ्ती शेर मुहम्मद खान साहब रिज़्वी शैखुल हदीष: दारुल उ़़लूम इस्हाक़िया जोधपुर की खुसूसी तक़रीर होगी। आपके अ़लावा दीगर उ़ल्मा-ए- किराम,सादाते ज़विल एहतिराम, व नअ़त ख्वानाने रसूल की भी शिरकत होगी।इसलिए आप सभी हज़रात इस दीनी व मज़हबी प्रोग्राम में शिरकत करके उर्स के फुयूज़ व बरकात से मालामाल हों!

سہلاؤ شریف میں 154واں عرس بخاری 13مارچ کو

[باڑمیر راجستھان] علاقۂ تھار کی مرکزی اور راجستھان کی ممتاز دینی،تربیتی وعصری درسگاہ “دارالعلوم انوار مصطفیٰ درگاہ حضرت پیر سید حاجی عالی شاہ بخاری،پچھمائی نگر، سہلاؤ شریف، گرڈیا، باڑمیر” کے وادئِ رحمت و انوار میں 13 مارچ 2022 عیسوی بروز اتوار 154 واں عرس بخاری
نور العلماء،پیرطریقت حضرت علامہ الحاج سید نور اللہ شاہ بخاری مہتمم وشیخ الحدیث: دارالعلوم انوار مصطفیٰ و سجادہ نشین: خانقاہ عالیہ بخاریہ سہلاؤ شریف کی قیادت و سرپرستی میں انتہائی تزک و احتشام اور عقیدت و احترام کے ساتھ شرعی مراسم کی پابندی کرتے ہوئے منایا جائے گا-

پروگرام کی تفصیل کچھ اس طرح ہے!
بعد نماز فجر: اجتماعی قرآن خوانی- بعد نماز ظہر:قومی یکجہتی پروگرام- بعد نماز عصر:چادر پوشی وگل پاشی، اجتماعی فاتحہ خوانی،صلوٰة وسلام اور ملک و ملت کی فلاح و بہبود کی خاطر درگاہ شریف میں خصوصی دعا- بعد نماز مغرب: دارالعلوم انوار مصطفیٰ وشاحہائے دارالعلوم کے کچھ ہونہار طلبہ کا دینی، علمی، ثقافتی اور اصلاحی پروگرام- بعد نماز عشاء: علمائے کرام کا خصوصی پروگرام جس میں خصوصیت کے ساتھ جانشین حضور مفتی اعظم راجستھان حضرت علامہ الحاج مفتی شیر محمد خان صاحب قبلہ رضوی شیخ الحدیث: دارالعلوم اسحاقیہ جودھ پور کی خصوصی تقریر ہوگی-
آپ کے علاوہ دیگر علماء و مشائخ، سادات کرام، نعت خوانان رسول کی بھی شرکت ہوگی-
لہٰذا آپ سبھی حضرات اس دینی و مذہبی پروگرام میں شرکت فرما کر عرس کےفیوض و برکات سے مالا مال ہوں!

نعت رسول ﷺ،، جانِ عیسٰی تری دہائی ہے،، از قلم :-قسمت سکندرپوری یو پی 9565140742

نعت شریف

جن کی اللہ تک رسائی ہے

بسترا ان کا اک چٹائی ہے

سچ کی تصویر میں بھلائی ہے

جھوٹ کی شکل میں برائی ہے

مر تبہ سر و رِ دو عالم کا

بعدِ رب سب سے ہائی فائی ہے

روئے والشمس سے نظر نہ ملا

پیرہن تیرا مومیائی ہے

سب طبیبوں نےدےدیاہے جواب

جان عیسٰی تری دہائی ہے

ہر دَہائی جسے سلام کرے

دین ِ اسلام کی اکائی ہے

ان کےقبضے میں سارے عالم کا

آنہ آنہ ہے پائی پائی ہے

بادشاہی کی سب سےپہلی اینٹ

شاہ ِ کونین کی گدائی ہے

ہاتھ, دل, اشک ِ غم, برائے ثناء

خامہ , قرطاس , روشنائی ہے

نعت گوئی ہے دولتِ دارین

اور اپنی یہی کمائی ہے

جس پہ کردیں حضور چشمِ کرم

اس کا کوہِ گناہ رائی ہے

جوش نےان کے درپہ جاکے کہا

اب کہاں ہوشِ لب کشائی ہے

ہے خدا تک مرے نبی کی پہنچ

اور نبی تک مری رسائی ہے

طے شدہ امر ہے ازل سے ہی

اصطفاء شان مصطفائی ہے

ہر مرض کے لئے درودِ پاک

مختصر, معتبر , دوائی ہے

ان کے دستور کا جو ہے قیدی

بس اسی کے لئے رہائی ہے

قادری چشتی اشرفی رضوی

اور کوئی ابو العلائی ہے

متحد ہو تو قوم ہو کیسے

سب کوجب شوقِ رہنمائی ہے

رحمت ِ کائنات کی آغوش

بہرِ حسنین چارپائی ہے

جو کہےان کو اپنے جیسا بشر

وہ بشر بو لہب کا بھائی ہے

نجدیت اورسنیت میں جناب

کفر و ایمان کی لڑائی ہے

سجدۂ شکر, کر, اگر حاصل

تجھ کو توفیق ِپارسائی ہے

رونے والا یہ جانتا ہی نہیں

ہنسنے والا بھی کربلائی ہے

میرے مرشد اویسِ ملت ہیں

رہنما جن کی رہنمائی ہے

چھو کےقسمت کوکرگیا سونا

نعت کا شعر کیمیائی ہے

لذت عیش میں عقبی کی سزا بھول گیا:- نتیجہ فکر:-محمد کہف الوری مصباحی، نائب صدر: لمبنی پردیس، راشٹریہ علما کونسل، نیپال، نگران اعلی: فروغ اردو زبان تعلیمی شاخ، ڈڈوا گاؤں پالکا، ضلع بانکے، موبائل نمبر:-9779814516787+

حسن دنیا میں شریعت کی ادا بھول گیا

شاخ تھا جس کی اسی سے تو وفا بھول گیا

مست دولت میں ہے عقبی کو بھُلا بیٹھا ہے

عشق دولت سے کیا ذکر خدا بھول گیا

ہر اک عنوان پہ چلتی ہے زباں خوب تری

ہائے افسوس کہ تو حق کی سدا بھول گیا

بے حیائی کو تو نے آج حیا سمجھا ہے

حیف صد حیف کہ تو طرز حیا بھول گیا

فکر امروز نہیں بھول گیا فردا کو

کیسی غفلت ہے تری رسم بقا بھول گیا

تیری نظروں میں بسا رنگ شعار اغیار

غیر کے پیچھے چلا اپنا پتہ بھول گیا

تیرے کردار پہ شرمائیں یہود و مشرک

جرم پہ جرم کیا نام خطا بھول گیا

راستے خوب گناہوں کے تجھے ہیں ازبر

نیک راہوں سے ہٹا راہ ہدی بھول گیا

اپنے اعمال سے اسلام کا باغی تو بنا

لذت عیش میں عقبی کی سزا بھول گیا

جنتی بننے کا دل میں ہے ترے شوق مگر

پیار شیطاں سے کیا حکم خدا بھول گیا

بے محل جوش بھی جذبہ بھی تجھے آتا ہے

دین کے واسطے تو ہونا خفا بھول گیا

اہل دنیا کی رضا کے لیے در در بھٹکا

خلق کے ڈر سے تو خالق کی رضا بھول گیا؟

قدرداں اپنا یہاں کوئی نہیں ہے ازہر

ورنہ کس بات پہ وہ میری ندا بھول گیا

آسمان درس وخطابت کا ایک اور نیر تاباں ہوا روپوش……. مفتی قاضی فضل رسول مصباحی..

ابھی ابھی یہ جانکاہ خبر موصول ہوئ کہ حضرت علامہ مفتی مظفر حسین رضوی استا ذ وناظم تعلیمات ”تنظیم المسلمین “بائسی ،ضلع پورنیہ بہار اب ہمارے درمیان نہ رہے ۔اس نا گوار اطلاع سے حیران و ششدر رہ گیا , آخر دین کےیہ اکابر رہنما کس طرح ایک ایک کرکے رخصت ہو رہے ہیں ؟جن کی احسن تدریس وتقریر کی برکت سے طلبہ کےعلوم وفنون ا ور قوم کے عقائد و اعمال صلاح و فلاح سے آراستہ ہوتے تھے۔ان کےاشغال اصاغر علما کے لۓرہنمااصول کا درجہ رکھتےتھے ان کی اتباع اور پیروی میں اپنی زندگی کوہمیشہ مفید اور نتیجہ خیز بناتے تھے مگر رفتہ رفتہ ان اکابرین کے رو پوش ہونے سے یہ امیدیں بھی پوری ہوتی نظر نہیں آتیں ۔مذکورہ باتیں دارالعلوم اہل سنت قادریہ سراج العلوم برگدہی کے استاذ مفتی قاضی فضل رسول مصباحی نے ایک پریس ریلیز میں کہیں ۔انہوں نے یہ بھی کہاکہیقیناحضرت کی رحلت سے دنیاۓ سنیت میں جو خلا پیدا ہوا ہےاس کا مستقبل قریب میں پورا ہونا مشکل نظر آتا ہے۔مفتی صاحب نےیہ بھی کہاکہمفتئ موصوف گونا گوں خوبیوں کے مالک تھے ۔آپ کی سب سے عظیم خوبی یہ تھی کہ آپ عمدہ افہام وتفہیم کا ملکہ رکھتے تھے۔ ” تنظیم المسلمین “کےتعلیمی فروغ واستحکام میں آپ نے اپنی بےپناہ محنت اور کاوش صرف کی اور ادارہ کو اپنی تعلیمی قیادت کے زمانےمیں تحسین و تزئین کے زریں دور میں لا کھڑا کیا مجھے امید واثق ہے کہ موصوف کا یہ عمل ان کے نجات کی راہ کی تعئین بھی کر دے گا۔ہم سب زیادہ سےزیادہ ان کے حق میں دعا کریں کہ اللہ تعالی حضرت کی مغفرت فرماۓ اور آپ کے احبا واقربا کو صبر واجر سے بہرہ ور کرے ۔زیادتئ دعا اس لۓ کہ حدیث شریف میں ہے ”اذا سأل احدکم فلیکثر فانما یسأل ربہ “جب تم میں سے کوئ دعا کرے تو دعا میں زیادتی کرے کیوں کہ وہ اپنے رب ہی سےتو دعا کررہاہے، اللہ ہم سب کو اپنے بھائیوں کے حق میں زیادہ سے زیادہ دعا کرنے کی توفیق عطا فرماۓ آمینمفتی قاضی نور پرویز رشیدی کٹیہار،مولانا شیر محمد خان قادری پرنسپل دار العلوم اہل سنت قادریہ سراج العلوم برگدہی ،مہراج گنج ، مفتی قاضی فضل احمد مصباحی قاضئ شرع ضلع کٹیہار، مفتی قاضی شہید عالم رضوی استاذ جامعہ نوریہ بریلی شریف ،مفتی شمیم احمدنوری سہلاؤ شریف راجستھان،مولانا قاضی خطیب عالم مصباحی دار العلوم وارثیہ لکھنؤ، مولانا کاتب ذوالقرنین خان، مولانا عرفان احمد مصباحی ریسرچ اسکالر جامعہ ملیہ اسلامیہ دہلی،مولانا قاضی فضیل احمد سراجی،مفتی رضاءالمصطفی مصباحی،مولانا ابرار عالم مصباحی نائب صدر اصلاحی رویت ہلال کمیٹی سالماری کٹیہار ،مولانا معراج عالم خازن اصلاحی رویت ہلال کمیٹی سالماری کٹیہار،مفتی مبشر رضا ازہر ممبئ،مولانا عسجد رضا بائسی، مفتی دلنواز مصباحی بائسی،ماسٹر قاضی ہدایت رسول ،قاضی عنایت رسول،مولانا منظر الاسلام مدرسہ معین الاسلام ،ملک پور، مکھیا حسین اشرف اعظم نگر،ماسٹر عمران احمد اشرفی اعظم نگر۔مولانا حبیب الرحمن اشرفی کٹیہار ،مولانا حسیب الرحمن بنارس کے علاوہ درجنوں علما نے مفتی صاحب علیہ الرحمہ کی مغفرت اور مکین جنت وپسماندگان کے صبر جمیل اور اجر جزیل کی دعا کی ہے۔

معراج النبی کاپیغام:امت مسلمہ کے نام:از:- مولانا محمدشمیم احمدنوری مصباحی

نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی مبارک سیرت اور آپ کی حیاتِ بابرکت میں پیش آنے والے حیرت انگیز واقعات میں اللہ تعالی نے انسانوں کے لئے عبرت اور نصیحت کے بے شمار پہلو رکھے ہیں، سیرتِ رسول صلی اللہ علیہ وسلم کا کوئی چھوٹا بڑا واقعہ ایسا نہیں ہے جس میں رہتی دنیا تک کے لئے انسانوں اور بالخصوص مسلمانوں کو پیغام و سبق نہ ملتا ہو اللہ تعالی نے حضور نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کو خاتم النبیین بنا کر مبعوث فرمایا اور آپ کی ذات کو انسانوں کے لئے نمونہ قرار دیا، جس کو دیکھ کر صاف و شفاف آئینہ میں صبح قیامت تک آنے والے لوگ اپنی زندگی کو سنوار سکتے ہیں اور اپنے شب و روز کو سدھار سکتے ہیں، الجنھوں اور پریشانیوں میں راہ عافیت تلاش کرسکتے ہیں، آلام و مصائب کے دشوار گزار حالات میں قرینۂ حیات پاسکتے ہیں، یورشِ زمانہ سے نبرد آزمائی اور فتنہ و فساد کے پر خطر ماحول میں حکمت و تدبر کے ذریعہ منزل تک رسائی حاصل کرسکتے ہیں۔ غرض یہ کہ سیرت کا کوئی واقعہ اور کوئی پہلو ایسا نہیں کہ جس میں مسلمانوں کے لئے ان گنت نصائح نہ ہوں۔ چنانچہ سیرت رسول صلی اللہ علیہ وسلم کے حیرت انگیز واقعات میں سے واقعۂ معراج بھی ہے،جو بہت ہی مشہور ومعروف ہے ۔اسے علمائے اسلام نے نہایت تفصیل سے تحریر فرمایا ہے اور اکثر واقعہ تفسیرِ قرآن کریم اور صحیح احادیث نبویہ میں موجود ہے۔اس سارے واقعہ سے دورِ حاضر کے مسلمانوں کو کیا سبق ملتا ہے ؟اور اِس واقعہ کو مدنظر رکھ کر آئندہ مسلمانوں کو کیا کرنا چاہیے ،یہ سوالات نہایت اہم ہیں-
عربی لغت میں ’’معراج‘‘ ایک وسیلہ ہے جس کی مدد سے بلندی کی طرف چڑھا جائے اسی لحاظ سے سیڑھی کو بھی ’’معراج‘‘ کہا جاتا ہے۔ (ابن منظور، لسان العرب، ج2، ص322)یہ واقعہ جو اصطلاحا ’’معراج‘‘ اور ’’اسراء‘‘ کے نام سے مشہور ہے۔ حدیث اور سیرت کی کتابوں میں اس واقعہ کی تفصیلات بکثرت صحابہ رضوان اللہ علیہم سے مروی ہیں جن کی تعداد 25 تک پہنچتی ہے۔ ان میں سے مفصل ترین روایت حضرت انس بن مالک، حضرت مالک بن صَعصَعہ، حضرت ابو ذر غفاری اور حضرت ابو ہریرہ رضوان اللہ علیہم سے مروی ہیں۔ ان کے علاوہ حضرت عمر، حضرت علی، حضرت عبداللہ بن مسعود، حضرت عبداللہ بن عباس، حضرت ابو سعید خدری، حضرت حذیفہ بن یمان، حضرت عائشہ اور متعدد دوسرے صحابہ رضوان اللہ علیہم نے بھی اس کے بعض اجزاء بیان کیے ہیں
جو تاریخ انسانی کا نہایت محیرالعقول اور سیرت رسول صلی اللہ علیہ وسلم کا بے مثال معجزہ ہے اللہ تعالی نے اپنے نبی سرور دو عالم صلی اللہ علیہ وسلم کو رات ہی کے کچھ حصے میں جسم و روح کے ساتھ، بیداری کی حالت میں عالم بالا کی سیر کرائی اور اپنے قرب کا اعلی ترین مقام عنایت فرمایا، جنت و جہنم کا مشاہدہ کروایا، نیکوں اور بدوں کے سزا و جزا کا معائنہ کروایا، نبیوں سے ملاقات ہوئی، ہر جگہ آپ کی عظمت و رفعت کا چرچہ کروایا، رحمتوں کی بارش فرمائی اور انعامات و الطاف سے خوب نوازا اور امت کے لئے عظیم الشان تحفہ ’’نماز‘‘ کی شکل میں عطا کیا، اور قیامت تک کے لئے انسانوں کو اپنے معبود اور خالق سے رابطہ کرنے اور اپنے مالک سے راز و نیاز کرنے کا سلیقہ بخشا۔ واقعۂ معراج بے شمار سبق آموز پہلوؤں اور عبرت خیز واقعات کا مجموعہ ہے۔
اس واقعۂ معراج کی روشنی میں ہمارے لئے موجودہ عالمی حالات میں بھی کئی ایک نصیحت آموز ہدایات ملتی ہیں جس کے ذریعہ گرد و پیش میں چھائے ہوئے تاریک ماحول اور ظلم و ستم کی اندھیری رات میں ہم چراغ ایمان کو فروزاں کرسکتے ہیں اور مایوسی و ناامیدی کی گھٹا ٹوپ تاریکی میں امید کی شمع روشن کرسکتے ہیں۔ اس کے لئے ہمیں واقعۂ معراج کے پس منظر کو ذہنوں میں تازہ کرنا پڑے گا اور ان حالات کی چیرہ دستیوں کو دیکھنا ہوگا جس کے بعد یہ ایک عظیم الشان سفر کروایا گیا-
ہمیں چاہییے کہ ہم آج جہاں معجزہ معراج النبی کا جشن منائیں وہیں لوگوں کو اس کے جامع پیغام کو اپنانے کی تاکید وتلقین کریں۔کیونکہ جس امت کے رسول معراج کی بلندیوں تک پہنچے اس امت کو پستیوں کا قیدی نہیں بنایا جاسکتا۔معراج النبی صلی اللہ علیہ وسلم کے تذکرے سے امت کو بلندیوں کی طرف پرواز کرنے کا سبق ملتا ہے۔امت مصطفیٰ کی معراج اطاعت مصطفیٰ ؐمیں موجودہے۔جو عرش کی بلندیوں سے ساری کائنات کا مشاہدہ کر رہے تھے ان کا دیا ہوا نظام اور ضابطۂ حیات ہی سب سے جامع اور کامل ترین ہوسکتا ہے۔آپ کی وسعتِ نگاہ نے ہر خطے اور ہر صدی کے مسائل کا حل عطا فرمایا ہے۔معراج مصطفی نظام مصطفی کامل ہونے کی دلیل ہے۔معجزۂ معراج سے پتہ چلتا ہے کہ دینی احکام اور دنیاوی امور کے لحاظ سے کوئی شخص بھی علوم مصطفی کے ہم پلہ نہیں۔معراج کا جشن منانا بہت بڑی سعادت مندی ہے۔معجزہ معراج کے مطالعہ سے نسل نو کیلئے انکشافات کی راہیں کھلتی ہیں۔معراج کی رات کے مشاہدات نبوی میں امت کیلئے فکر آخرت کے بہت بڑے بڑے اسباق موجود ہیں۔سفرِ معراج میں دو مسجدوں کا ذکر واضح کر رہا ہے کہ امت کے دل میں مسجد کا شوق کس قدر ہونا چاہیے۔
اور حضور کے معراج سےواپسی پر اللّٰہ وعزوجل کی طرف سے نمازوں کاتحفہ ہم سے اس بات کا تقاضا کرتا ہے کہ ہم اس تحفہ کی قدر کرتے ہوئے نمازوں کی پابندی کریں-
مذکورہ باتیں علاقۂ تھار کی مرکزی درسگاہ “دارالعلوم انوارمصطفیٰ سہلاؤشریف،باڑمیر(راجستھان)کے ناظم تعلیمات اور معروف قلمکار حضرت مولانا محمدشمیم احمدنوری مصباحی نے ایک پریس ریلیز میں بتائی-